पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व Essential Elements for Plant Growth and their Sources

Essential Elements for Plant Growth and their Sources

Essential Elements for Plant Growth and their Sources: पौधों को अपनी वृद्धि, विकास और जीवन चक्र को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। वैज्ञानिकों ने कुल 17 आवश्यक पोषक तत्वों की पहचान की है जो पौधों के लिए अनिवार्य माने जाते हैं। यदि इनमें से किसी एक भी पोषक तत्व की कमी हो जाए तो पौधे की सामान्य वृद्धि रुक जाती है और उसकी उपज प्रभावित होती है।

इन पोषक तत्वों को आवश्यकता की मात्रा के आधार पर मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है:

1. वृहद पोषक तत्व (Macronutrients)

ये वे पोषक तत्व हैं जिनकी पौधों को अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। इन्हें आगे दो उप-श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

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क. प्राथमिक पोषक तत्व (Primary Nutrients) ये ऐसे पोषक तत्व हैं जिनकी पौधों को सबसे अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है और जो मिट्टी में अक्सर सीमित होते हैं, इसलिए इनकी पूर्ति आमतौर पर उर्वरकों के माध्यम से की जाती है। इन्हें “NPK” के नाम से भी जाना जाता है:

  • नाइट्रोजन (N):
    • कार्य: पत्ती और तने की वृद्धि (वनस्पतिक वृद्धि), गहरे हरे रंग के लिए क्लोरोफिल का मुख्य घटक, प्रोटीन, एंजाइम और विटामिन का निर्माण।
    • कमी के लक्षण: पुरानी पत्तियाँ पीली पड़ना, पौधों की वृद्धि रुकना।
  • फास्फोरस (P):
    • कार्य: जड़ विकास, फूल और बीज निर्माण, ऊर्जा हस्तांतरण (ATP), आनुवंशिक सामग्री (DNA, RNA) का घटक।
    • कमी के लक्षण: पत्तियाँ बैंगनी या लाल रंग की होना, जड़ों का कमजोर विकास, फूल और फल कम लगना।
  • पोटैशियम (K):
    • कार्य: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, पानी का नियमन (रंध्रों का खुलना और बंद होना), फल और अनाज की गुणवत्ता में सुधार, एंजाइमों को सक्रिय करना।
    • कमी के लक्षण: पत्तियों के किनारे भूरे या झुलसे हुए दिखना (विशेषकर निचली पत्तियों पर), पौधे का कमजोर होना।

ख. द्वितीयक पोषक तत्व (Secondary Nutrients) इनकी आवश्यकता प्राथमिक पोषक तत्वों से कम लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्वों से अधिक होती है। ये भी पौधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं:

  • कैल्शियम (Ca):
    • कार्य: कोशिका भित्ति के निर्माण और मजबूती के लिए आवश्यक, जड़ों और अंकुरों के विकास में मदद, एंजाइमों को सक्रिय करना।
    • कमी के लक्षण: नई पत्तियों और बढ़ते बिंदुओं का विकृत होना या मर जाना, फलों में ब्लॉसम एंड रोट (जैसे टमाटर में)।
  • मैग्नीशियम (Mg):
    • कार्य: क्लोरोफिल का केंद्रीय घटक (इसलिए पौधों का हरा रंग), प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण, एंजाइमों को सक्रिय करना।
    • कमी के लक्षण: पुरानी पत्तियों की शिराओं के बीच पीलापन (इंटरवीनस क्लोरोसिस)।
  • सल्फर (S):
    • कार्य: प्रोटीन, विटामिन (जैसे बायोटिन, थायमिन) और एंजाइमों के निर्माण के लिए आवश्यक, विशेष रूप से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा बढ़ाने में सहायक।
    • कमी के लक्षण: नई पत्तियाँ पीली पड़ना (नाइट्रोजन के समान, लेकिन सल्फर की कमी में नई पत्तियाँ प्रभावित होती हैं), पौधों की वृद्धि रुकना।

2. सूक्ष्म पोषक तत्व (Micronutrients)

इनकी आवश्यकता पौधों को बहुत कम मात्रा में होती है लेकिन ये भी पौधों के सामान्य विकास और जैविक क्रियाओं के लिए उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी थोड़ी सी कमी भी गंभीर प्रभाव डाल सकती है:

  • लोहा (Fe):
    • कार्य: क्लोरोफिल निर्माण, श्वसन और प्रकाश संश्लेषण में शामिल एंजाइमों का घटक।
    • कमी के लक्षण: नई पत्तियों की शिराओं के बीच पीलापन (लेकिन शिराएं हरी रहती हैं)।
  • मैंगनीज (Mn):
    • कार्य: प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल के उत्पादन में सहायक, एंजाइमों को सक्रिय करना, नाइट्रेट के अवशोषण में मदद।
    • कमी के लक्षण: नई पत्तियों पर धब्बेदार पीलापन, पत्तियों का मुरझाना।
  • बोरॉन (B):
    • कार्य: कोशिका भित्ति का निर्माण, शर्करा और स्टार्च का स्थानांतरण, परागण और बीज उत्पादन में महत्वपूर्ण।
    • कमी के लक्षण: बढ़ते बिंदुओं (ग्रोइंग पॉइंट्स) का मर जाना, फलों का फटना, फूल और फलों का कम लगना।
  • जिंक (Zn):
    • कार्य: एंजाइमों को सक्रिय करना, प्रोटीन संश्लेषण, वृद्धि हार्मोन (ऑक्सिन) के उत्पादन में आवश्यक।
    • कमी के लक्षण: पत्तियों का छोटा होना (लिटिल लीफ), पौधों की वृद्धि रुकना, इंटरनोड का छोटा होना।
  • कॉपर (Cu):
    • कार्य: प्रकाश संश्लेषण, श्वसन और एंजाइमों के कार्य में महत्वपूर्ण, प्रोटीन और विटामिन के निर्माण में सहायक।
    • कमी के लक्षण: पत्तियों के सिरे मुरझाना या पीछे की ओर मुड़ना, शाखाओं का मर जाना।
  • मोलिब्डेनम (Mo):
    • कार्य: नाइट्रोजन के उपयोग और नाइट्रेट के अपचयन में आवश्यक, फलदार पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण।
    • कमी के लक्षण: पुरानी पत्तियों की शिराओं के बीच पीलापन, पत्तियों का मुड़ना।
  • क्लोरीन (Cl):
    • कार्य: प्रकाश संश्लेषण में ऑक्सीजन के विकास में भूमिका, पानी के अवशोषण और उसके नियमन में सहायक।
    • कमी के लक्षण: पत्तियों का मुरझाना, पत्ती के सिरे का जलना, कांस्य रंग की पत्तियाँ।
  • निकल (Ni) (हाल ही में जोड़ा गया 17वाँ आवश्यक पोषक तत्व):
    • कार्य: यूरिया एंजाइम का घटक, नाइट्रोजन चयापचय में भूमिका।
    • कमी के लक्षण: पत्तियों के सिरे पर नेक्रोसिस (ऊतक मृत्यु), यूरिया का जमाव।

इसके अतिरिक्त, पौधे हवा और पानी से कार्बन (C), हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O) भी प्राप्त करते हैं, जो उनके शुष्क भार का लगभग 90-95% बनाते हैं। यद्यपि ये पोषक तत्व माने जाते हैं, इन्हें उर्वरकों के माध्यम से प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती है।

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