भारतीय सेना: देश का गौरव Essay on Indian Defence Forces
(कक्षा 12वीं के लिए आदर्श निबंध – परीक्षाओं और लेखन हेतु)
रूपरेखा
- प्रस्तावना
- भारतीय सेना का प्रारंभिक इतिहास
- आधुनिक भारतीय सेना की स्थापना
- संरचना और संगठन
- भारतीय सेना के प्रमुख युद्ध और अभियान
- सैनिकों का योगदान और बलिदान
- भारतीय सेना के सम्मान और पराक्रम
- सेना दिवस और इसका महत्व
- सेना की मानवीय भूमिका
- आधुनिक दौर में सेना का महत्व
- निष्कर्ष
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रस्तावना
भारतीय सेना केवल सुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि वह देश की गरिमा, शौर्य और राष्ट्रभक्ति का जीवंत प्रतीक है। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है और इसकी वीरता, अनुशासन व समर्पण की मिसाल पूरी दुनिया देती है। भारतीय सैनिक “सेवा परमो धर्मः” के सिद्धांत को अपनाते हुए हर परिस्थिति में देश की रक्षा करते हैं, चाहे वह सीमा पर दुश्मन से जंग हो या प्राकृतिक आपदा में नागरिकों की सुरक्षा ।
भारतीय सेना का प्रारंभिक इतिहास
भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। रामायण और महाभारत के काल से ही संगठित सैन्य व्यवस्था का वर्णन मिलता है। आधुनिक भारतीय सेना की जड़ें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में पाई जाती हैं। 1740 के दशक में अंग्रेजों ने भारत में तीन प्रमुख सैन्य केंद्र स्थापित किए – मद्रास, कलकत्ता और बॉम्बे, जिन्हें बाद में ‘ब्रिटिश भारतीय सेना’ का नाम दिया गया ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 15 अगस्त 1947 को भारतीय सेना ने औपचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र की सेना का रूप धारण किया। इसके बाद इसका पुनर्गठन हुआ और यह भारत की संप्रभुता की रक्षा का प्रमुख बल बन गई ।
आधुनिक भारतीय सेना की स्थापना
भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना मिलकर भारत के सशस्त्र बल (Armed Forces) कहलाते हैं, जिनमें थलसेना सबसे बड़ा अंग है। इसका गठन औपचारिक रूप से 26 जनवरी 1950 को हुआ जब भारत गणराज्य घोषित हुआ। थलसेना का दायित्व भूमि सीमाओं की रक्षा करना और आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना है ।[8][1]
भारत का राष्ट्रपति सेना का सर्वोच्च सेनानायक होता है, जबकि संचालन की जिम्मेदारी थलसेना प्रमुख (Chief of Army Staff) के पास होती है।
संरचना और संगठन
भारतीय थलसेना सात मुख्य कमांडों से संचालित होती है:
- उत्तरी कमांड (उधमपुर)
- पश्चिमी कमांड (चंडीमंदिर)
- मध्य कमांड (लखनऊ)
- पूर्वी कमांड (शिलांग)
- दक्षिणी कमांड (पुणे)
- दक्षिण-पश्चिमी कमांड (जयपुर)
- प्रशिक्षण कमांड (शिमला)
सेना में वर्तमान में लगभग 12 लाख सक्रिय सैनिक एवं 10 लाख रिजर्व सैनिक हैं, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है ।
भारतीय सेना के प्रमुख युद्ध और अभियान
स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना ने अनेक युद्धों और अभियानों में सफलता अर्जित की:
- 1947–48: पहला भारत–पाक युद्ध (कश्मीर की रक्षा में विजय)
- 1962: भारत–चीन युद्ध
- 1965: भारत–पाक युद्ध, जिसमें भारतीय सेना ने लाहौर तक घुसपैठ की
- 1971: भारत की सबसे बड़ी जीत, पाकिस्तान से बांग्लादेश का गठन
- 1999: कारगिल युद्ध, जिसमें भारतीय सेना ने पर्वतीय क्षेत्रों में ऐतिहासिक विजय प्राप्त की ।
इनके अलावा सेना ने ऑपरेशन मेघदूत (सियाचिन), ऑपरेशन विजय, और कई संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी सक्रिय भागीदारी की।
सैनिकों का योगदान और बलिदान
भारतीय सैनिकों ने सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि आपदा राहत, आतंकवाद विरोध, सुरक्षा अभियानों तथा नागरिक सहायता में भी सराहनीय योगदान दिया है।
सियाचिन जैसे भीषण ठंड वाले इलाकों में –50°C तापमान पर अपनी जान जोखिम में डालने वाले जवान हमारे राष्ट्रीय नायक हैं।
उनका परिश्रम, अनुशासन और बलिदान हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है ।
भारतीय सेना के सम्मान और पराक्रम
भारतीय सेना के पराक्रम को सम्मान देने हेतु भारत सरकार ने परम वीर चक्र, महा वीर चक्र, वीर चक्र जैसे सर्वोच्च सैन्य सम्मान स्थापित किए हैं।
परम वीर चक्र प्राप्त करने वाले वीरों में
- मेजर शैतान सिंह
- कैप्टन विक्रम बत्रा
- अब्दुल हमीद
- योगेन्द्र सिंह यादव
जैसे नाम आज भी हर भारतीय के हृदय में अमर हैं ।
सेना दिवस और इसका महत्व
हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस (Army Day) मनाया जाता है, जब 1949 में फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला।
सेना दिवस के अवसर पर दिल्ली में करियप्पा परेड ग्राउंड में परेड और वीरता पुरस्कार समारोह आयोजित किए जाते हैं।
यह दिन उन सैनिकों के बलिदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा में अपना जीवन न्योछावर कर दिया ।
सेना की मानवीय भूमिका
भारतीय सेना केवल युद्ध लड़ने वाली संस्था नहीं, बल्कि यह देश की सबसे बड़ी मानव सेवा संस्था भी है।
भूकंप, बाढ़, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में सेना ने हर बार नागरिकों की जान बचाई है।
‘ऑपरेशन राहत’, ‘ऑपरेशन मैत्री’, और ‘ऑपरेशन सूर्या आशा’ जैसे अभियानों ने विश्व स्तर पर भारतीय सेना की मानवीय छवि को मजबूत किया है ।
आधुनिक दौर में सेना का महत्व
आज भारत कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। आतंकवाद, सीमा पर तनाव, साइबर युद्ध और आधुनिक युद्ध तकनीक के दौर में भारतीय सेना का दायित्व पहले से अधिक बढ़ गया है।
सरकार सेना के आधुनिकीकरण के लिए “फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सोल्जर प्रोग्राम” जैसे नए प्रोजेक्ट चला रही है, जिसमें स्मार्ट हथियार, ड्रोन, और उन्नत संचार तकनीकें शामिल हैं ।
निष्कर्ष
भारतीय सेना केवल हथियारों से लड़ने वाली ताकत नहीं, बल्कि भावना, समर्पण और राष्ट्रप्रेम की जीती-जागती मिसाल है। सैनिकों की वर्दी सिर्फ परिधान नहीं, बल्कि तिरंगे की शान है। सैनिक देश की सीमाओं पर जागते हैं ताकि हम चैन से सो सकें। इसलिए हर भारतीय को सेना के प्रति गर्व होना चाहिए और उनका सम्मान करना अपना कर्तव्य मानना चाहिए।
भारतीय सेना वास्तव में “देश का गौरव” है, और उसके सैनिक “राष्ट्र की आत्मा” के प्रहरी हैं ।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: भारतीय सेना दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: हर वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।
प्रश्न 2: भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ कौन थे?
उत्तर: फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा।
प्रश्न 3: भारत ने अब तक कितने प्रमुख युद्ध लड़े हैं?
उत्तर: भारत ने पाकिस्तान के साथ चार और चीन के साथ एक युद्ध लड़ा है।
प्रश्न 4: भारतीय सेना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: देश की सीमाओं की रक्षा करना, राष्ट्रीय अखंडता बनाए रखना और आपदाओं के समय नागरिक सहयोग प्रदान करना ।[8]
प्रश्न 5: भारतीय सेना का आदर्श वाक्य क्या है?
उत्तर: “सेवा परमो धर्मः” — सेवा ही सर्वोच्च कर्तव्य है।
प्रश्न 6: भारत की पहली महिला सैनिक अधिकारी कौन थीं?
उत्तर: पुणे की कर्नल प्रीत चालोत्रा भारतीय सेना में महिला नेतृत्व की प्रतीक बनीं।
प्रश्न 7: भारतीय सेना किस दिन अस्तित्व में आई?
उत्तर: भारत की स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को, लेकिन औपचारिक भारतीय गणराज्य सेना के रूप में 26 जनवरी 1950 को।
यह निबंध कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए पूर्णतः उपयुक्त है। इसमें तथ्यात्मक जानकारी, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, आधुनिक दृष्टिकोण और समाजोपयोगी तत्वों का समावेश है, जिससे यह परीक्षा में और प्रकाशन दोनों के लिए आदर्श बनता है.