जल निकास की प्रणालियाँ: खेत से अतिरिक्त पानी हटाने के प्रभावी तरीके Drainage Systems

🌾💧जल निकास की प्रणालियाँ 💧🌾

Drainage Systems : खेती में जल निकास (Drainage) की सही प्रणाली का चुनाव करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह सीधे तौर पर आपकी फसल की पैदावार और मिट्टी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अतिरिक्त पानी को खेत से हटाने के लिए मुख्य रूप से तीन प्रकार की प्रणालियों का उपयोग किया जाता है: सतही जल निकास (Surface Drainage), भूमिगत जल निकास (Sub-Surface Drainage) और लंबवत जल निकास (Vertical Drainage)। आइए इन प्रणालियों को विस्तार से समझते हैं।

1. सतही जल निकास प्रणाली (Surface Drainage System)

यह जल निकास का सबसे आम और पुराना तरीका है, जिसमें खेत की सतह पर जमा अतिरिक्त पानी को नालियों या ढलान के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ वर्षा अधिक होती है और मिट्टी की पारगम्यता (पानी सोखने की क्षमता) कम होती है।

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मुख्य विधियाँ:

  • प्राकृतिक जल निकास (Natural System): इस प्रणाली में खेत की प्राकृतिक ढलान और निचले क्षेत्रों का उपयोग करके अतिरिक्त पानी को बाहर निकाला जाता है। इसमें ज़्यादा इंजीनियरिंग की ज़रूरत नहीं होती, बस खेत के प्राकृतिक जल निकासी मार्गों को साफ़ और खुला रखा जाता है ताकि पानी आसानी से बह सके। यह उन खेतों के लिए उपयुक्त है जिनकी ढलान स्पष्ट होती है।
  • खेत नालियाँ (Field Ditches): खेत में छोटी-छोटी खुली नालियाँ बनाई जाती हैं जो पानी को इकट्ठा करके मुख्य नाली तक ले जाती हैं। ये नालियाँ अस्थायी या स्थायी हो सकती हैं।
    • अस्थायी नालियाँ (Temporary Ditches): इन्हें फसल बोने या कटाई के बाद बनाया जाता है और फिर भर दिया जाता है। ये कम लागत वाली होती हैं।
    • स्थायी नालियाँ (Permanent Ditches): ये गहरी और चौड़ी होती हैं, जिन्हें एक बार बनाया जाता है और लंबे समय तक उपयोग किया जाता है। इन्हें आमतौर पर खेत के किनारे या निचले इलाकों में बनाया जाता है।
  • फरो ड्रेनेज (Furrow Drainage): इसमें खेत में मेड़ और नाली बनाई जाती है। पानी नालियों में इकट्ठा होकर खेत से बाहर निकल जाता है। यह तरीका ढलान वाले खेतों के लिए उपयुक्त है।
  • समतल भूमि पर ढलान बनाना (Land Grading/Leveling): खेत की सतह को इस प्रकार समतल किया जाता है कि उसमें एक हल्का ढलान हो, जिससे पानी अपने आप निचले क्षेत्र की ओर बह जाए।
  • उठी हुई क्यारियाँ (Raised Beds): इसमें फसल को उठी हुई क्यारियों पर बोया जाता है और उनके बीच की नालियों से पानी निकल जाता है। यह तरीका उन फसलों के लिए अच्छा है जो जलभराव के प्रति संवेदनशील होती हैं।

फायदे:

  • लागत कम होती है।
  • लगाने में आसान।
  • तेज़ी से पानी निकालता है।

नुकसान:

  • खेत का कुछ हिस्सा नालियों के कारण बर्बाद हो सकता है।
  • मिट्टी का कटाव हो सकता है।
  • कृषि कार्यों में बाधा आ सकती है।

2. भूमिगत जल निकास प्रणाली (Sub-Surface Drainage System)

इस प्रणाली में खेत की सतह के नीचे पाइप या टाइल्स बिछाकर अतिरिक्त पानी को निकाला जाता है। यह विधि उन क्षेत्रों के लिए अधिक प्रभावी है जहाँ मिट्टी की निचली परतें पानी को रोकती हैं या जहाँ सतही जल निकास पर्याप्त नहीं होता।

मुख्य विधियाँ:

  • टाइल ड्रेनेज (Tile Drainage): इसमें मिट्टी के नीचे छिद्रित पाइप (आमतौर पर पीवीसी या मिट्टी के बने) बिछाए जाते हैं। ये पाइप धीरे-धीरे पानी को इकट्ठा करते हैं और उसे एक मुख्य नाली या संग्रह बिंदु तक ले जाते हैं। टाइल ड्रेनेज के कुछ सामान्य लेआउट पैटर्न हैं:
    • हेरिंगबोन प्रणाली (Herringbone System): इस प्रणाली में, खेत में छोटी-छोटी सहायक नालियाँ (लैट्रल ड्रेन्स) एक मुख्य नाली (कलेक्टर ड्रेन) में तिरछे कोण पर मिलती हैं, जिससे यह मछली की हड्डी (हेरिंगबोन) जैसा पैटर्न बनाती है। यह ढलान वाले या अनियमित आकार के खेतों के लिए प्रभावी होती है, जहाँ एक दिशा से पानी का प्रवाह होता है।
    • ग्रिडिरॉन प्रणाली (Gridiron System): इस प्रणाली में, सहायक नालियाँ (लैट्रल ड्रेन्स) एक-दूसरे के समानांतर बिछाई जाती हैं और एक या दो मुख्य नालियों से समकोण (90 डिग्री) पर मिलती हैं। यह आमतौर पर समतल और बड़े खेतों के लिए उपयुक्त होती है, जहाँ पानी का प्रवाह हर तरफ से समान रूप से होता है।
  • स्टोन ड्रेनेज (Stone Drainage): इसमें पाइप की जगह पत्थरों या बजरी से भरी हुई खाई खोदी जाती है, जिससे पानी रिसकर निकल जाता है। यह तरीका वहां उपयोग किया जाता है जहां पाइप उपलब्ध न हों या लागत कम रखनी हो।
  • मोल ड्रेनेज (Mole Drainage): यह एक सस्ता और अस्थायी भूमिगत जल निकास तरीका है। इसमें एक विशेष उपकरण (मोल प्लो) का उपयोग करके मिट्टी के नीचे अस्थायी सुरंगें (चैनल) बनाई जाती हैं, जिनके माध्यम से पानी बहता है। यह चिकनी मिट्टी के लिए अधिक उपयुक्त है।

फायदे:

  • खेत की सतह पर कोई बाधा नहीं होती।
  • मिट्टी की संरचना और वायु संचार में सुधार होता है।
  • दीर्घकालिक और अत्यधिक प्रभावी होती है।
  • जड़ों को गहराई तक जाने में मदद करती है।

नुकसान:

  • स्थापना की लागत बहुत अधिक होती है।
  • तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  • रखरखाव की आवश्यकता हो सकती है।

3. लंबवत जल निकास प्रणाली (Vertical Drainage System)

यह प्रणाली भूजल स्तर को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें खेत में गहरे कुएं या बोरवेल खोदे जाते हैं और पंपों का उपयोग करके भूजल को बाहर निकाला जाता है, जिससे भूजल स्तर नीचे चला जाता है और जड़ क्षेत्र में पानी का जमाव कम हो जाता है।

मुख्य विधियाँ:

  • ड्रेनेज कुएं/बोरवेल (Drainage Wells/Borewells): खेत के विभिन्न हिस्सों में गहरे कुएं खोदे जाते हैं और उनसे पानी निकालकर सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है या नहरों में छोड़ा जा सकता है।

फायदे:

  • बड़े क्षेत्रों को कवर कर सकती है।
  • निकाले गए पानी का दोबारा उपयोग किया जा सकता है।
  • जलमग्नता और लवणता दोनों को नियंत्रित करने में मदद करती है।

नुकसान:

  • बहुत महंगी होती है।
  • पंपों के संचालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • लगातार निगरानी और रखरखाव की आवश्यकता होती है।

किस प्रणाली का चुनाव करें?

जल निकास प्रणाली का चुनाव करते समय खेत की मिट्टी का प्रकार, ढलान, वर्षा की मात्रा, पानी के जमाव की गंभीरता और उपलब्ध बजट जैसे कारकों पर विचार करना चाहिए। अक्सर कई प्रणालियों का एक संयोजन (जैसे सतही और भूमिगत निकास) सबसे प्रभावी परिणाम देता है।

सही जल निकास प्रणाली अपनाकर आप अपने खेत को जलभराव से बचा सकते हैं और स्वस्थ, प्रचुर फसलें प्राप्त कर सकते हैं।

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