Class 9 Hindi Kshitij Chapter Sakhiyan evam Shabad : कक्षा 9 के एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक (क्षितिज, भाग-1) के पाठ “साखियाँ एवं सबद” के लिए प्रश्नों और उत्तरों का एक व्यापक संग्रह दिया गया है, जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), रिक्त स्थान पूर्ति, स्तंभ मिलान, लघु उत्तरीय प्रश्न, और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न शामिल हैं। प्रश्न पाठ की सामग्री के अनुरूप डिज़ाइन किए गए हैं, जो कबीर की साखियों और सबद, तथा रहिम के दोहों पर केंद्रित हैं, और पाठ्यपुस्तक की भाषा के अनुसार हिंदी में प्रस्तुत किए गए हैं। उत्तर सटीक और विस्तृत हैं, जो कक्षा 9 के छात्रों के लिए उपयुक्त हैं।
साखियाँ
मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं ।
मुकताफल मुकता चुगै, अब उड़ि अनत न जाहिं । 1 ।
प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ। प्रे
मी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ | 2
हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि ।
स्वान रूप संसार है,भूँकन दे झख मारि । 3
पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान ।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान। 4।
हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकटि न जाइ | 5 |
काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम |
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम।6।
ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोइ । 7 ।
Multiple Choice Questions (MCQs)
- कबीर की साखियों का मुख्य विषय क्या है?
a) सांसारिक सुख
b) भक्ति और आत्म-जागृति
c) युद्ध और वीरता
d) प्रकृति सौंदर्य
उत्तर: b) भक्ति और आत्म-जागृति - साखी सं. 1 में कबीर ने सज्जन पुरुष की कौन-सी विशेषता बताई है?
a) धन का भूखा होना
b) भक्ति और प्रेम की भूख
c) यश और कीर्ति की इच्छा
d) बाह्य कर्मकांडों का पालन
उत्तर: b) भक्ति और प्रेम की भूख - रहिम के पहले दोहे में जल की तुलना किससे की गई है?
a) धन
b) विनम्रता
c) क्रोध
d) अहंकार
उत्तर: b) विनम्रता - कबीर के सबद में प्रेम की गली को कैसा बताया गया है?
a) चौड़ी और सरल
b) संकरी और कठिन
c) लंबी और सुंदर
d) खुली और आसान
उत्तर: b) संकरी और कठिन - रहिम के दूसरे दोहे में किस नीति की शिक्षा दी गई है?
a) धन संचय करना
b) मन की व्यथा को गुप्त रखना
c) दूसरों की निंदा करना
d) सामाजिक प्रदर्शन करना
उत्तर: b) मन की व्यथा को गुप्त रखना
Fill in the Blanks
- कबीर की साखी में सज्जन पुरुष वह है जो ______ का भूखा होता है।
उत्तर: भाव (भक्ति और प्रेम) - रहिम के अनुसार, जल के बिना मोती, मानुष, और ______ सब सून हैं।
उत्तर: चून - कबीर के सबद में कहा गया है कि प्रेम गली अति ______ है।
उत्तर: सांकरी - साखी सं. 5 में कबीर ने ______ की महत्ता बताई है।
उत्तर: सत्संगति - रहिम के दोहे में कहा गया है कि मन की व्यथा को ______ में रखना चाहिए।
उत्तर: मन
Match the Column
कॉलम A (रचना/पंक्ति) | कॉलम B (संदेश/विषय) |
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1. साधु भूखा भाव का | a) प्रेम और समर्पण की भक्ति |
2. प्रेम गली अति सांकरी | b) सज्जन की आध्यात्मिक भूख |
3. रहिमन पानी राखिए | c) मन की मलिनता को धोना |
4. सज्जन तो वह सज्जन | d) विनम्रता की महत्ता |
5. संसार स्वाँग बन्यौ है | e) संसार की नश्वरता |
उत्तर:
1-b, 2-a, 3-d, 4-c, 5-e
Short Answer Questions
- साखी सं. 1 में कबीर ने सज्जन पुरुष की क्या विशेषताएँ बताई हैं?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि सज्जन पुरुष (साधु) वह है जो भाव (भक्ति और प्रेम) का भूखा होता है, न कि धन का। वह लालच से मुक्त और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होता है। - रहिम के पहले दोहे में जल की उपयोगिता को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: रहिम कहते हैं कि जल के बिना मोती अपनी चमक, मनुष्य सम्मान, और आटा उपयोगिता खो देता है। जल विनम्रता और जीवन का प्रतीक है। - कबीर के सबद में प्रेम की गली की एक विशेषता बताइए।
उत्तर: प्रेम की गली अति सांकरी है, अर्थात् इसमें केवल भक्त या ईश्वर में से एक ही के लिए स्थान है, जो पूर्ण समर्पण को दर्शाता है। - साखी सं. 5 में सत्संग की क्या महत्ता है?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि सत्संगति मनुष्य को संसार सागर से पार करवाती है, जैसे लकड़ी की हांडी बार-बार डालने पर भी पानी नहीं भरती, वही सत्संग के बिना जीवन व्यर्थ है। - रहिम के दूसरे दोहे में व्यक्त नीति का तत्त्व क्या है?
उत्तर: रहिम कहते हैं कि मन की व्यथा को गुप्त रखना चाहिए, क्योंकि लोग इसे सुनकर हँसते हैं, लेकिन कोई दुख बाँटने में सहायता नहीं करता।
Long Answer Questions
- कबीर की साखियों का मुख्य विषय क्या है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीर की साखियों का मुख्य विषय भक्ति, आत्म-जागृति, और सामाजिक सुधार है। वे निर्गुण ईश्वर की भक्ति, सच्चाई, और नैतिक जीवन पर जोर देते हैं, बाह्य कर्मकांडों (मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा) का विरोध करते हैं। कबीर सामाजिक समानता को बढ़ावा देते हैं और जाति-पाति के भेद को नकारते हैं।
उदाहरण: साखी सं. 3 में वे कहते हैं:
\begin{quote} सज्जन सज्जन कहि फिरै, सज्जन बिन कोय।\ सज्जन तो वह सज्जन, जो मन मल धोय।। \end{quote} यहाँ कबीर बताते हैं कि सच्चा सज्जन वह है जो मन की मलिनता (लालच, अहंकार) को धोता है, न कि केवल नाममात्र का सज्जन। यह साखी आंतरिक शुद्धता और नैतिकता का संदेश देती है। कबीर की साखियाँ इस प्रकार समाज को आत्म-निरीक्षण और सादगी की ओर प्रेरित करती हैं। - साखी सं. 4 में कबीर ने संसार की नश्वरता को किस प्रकार व्यक्त किया है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
साखी सं. 4 में कबीर कहते हैं:
\begin{quote} संसार स्वाँग बन्यौ है, ज्यूँ कुम्हार का घड़ा।\ जैसे टूटी पुनि ना मिलै, वैसे मनहु बदा।। \end{quote} कबीर ने संसार की नश्वरता को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया है:- संसार एक स्वांग: वे संसार को एक नाटक या माया के रूप में चित्रित करते हैं, जो अस्थायी और भ्रामक है।
- कुम्हार के घड़े का दृष्टांत: जैसे मिट्टी का घड़ा टूटने पर फिर नहीं जुड़ता, वैसे ही मानव जीवन और सांसारिक सुख क्षणभंगुर हैं।
- आध्यात्मिक संदेश: कबीर कहते हैं कि मनुष्य को माया के मोह में नहीं पड़ना चाहिए, बल्कि सच्चाई और ईश्वर की खोज में लगना चाहिए।
इस साखी के माध्यम से कबीर मनुष्य को संसार की अस्थिरता के प्रति जागरूक करते हैं और आत्मिक उत्थान की ओर प्रेरित करते हैं। यह आज के भौतिकवादी समाज में भी प्रासंगिक है, जहाँ लोग सांसारिक सुखों के पीछे भागते हैं।
- कबीर के सबद में व्यक्त भक्ति भाव की विशेषताएँ क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
कबीर के सबद में व्यक्त भक्ति भाव की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:- निर्गुण भक्ति: कबीर निराकार, सर्वव्यापी ईश्वर की भक्ति करते हैं, सगुण पूजा का विरोध करते हैं।
- प्रेम और समर्पण: उनकी भक्ति में ईश्वर के प्रति गहरा प्रेम और पूर्ण समर्पण है।
- आंतरिक खोज: वे कहते हैं कि ईश्वर मंदिर-मस्जिद में नहीं, हृदय में मिलता है।
- सादगी और सच्चाई: उनकी भक्ति कर्मकांडों से मुक्त और सच्चे मन पर आधारित है।
- सामाजिक समानता: कबीर जाति-पाति के भेद को नकारते हैं और सभी को समान मानते हैं।
उदाहरण: सबद में वे कहते हैं:
\begin{quote} प्रेम गली अति सांकरी, ता में दो न समाय।\ जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाय।। \end{quote} यहाँ कबीर बताते हैं कि प्रेम की गली (भक्ति का मार्ग) इतनी संकरी है कि इसमें अहंकार और ईश्वर दोनों नहीं समा सकते। जब भक्त का अहंकार मिटता है, तब वह ईश्वर में लीन हो जाता है। यह भक्ति की गहराई और समर्पण को दर्शाता है। कबीर की यह भक्ति आज भी लोगों को आत्म-जागृति की ओर प्रेरित करती है।
- रहिम के दोहों में व्यक्त नीति की विशेषताएँ क्या हैं? एक दोहे के आधार पर समझाइए।
उत्तर:
रहिम के दोहों में व्यक्त नीति की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- नैतिकता और सादगी: रहिम सत्य, सादगी, और नैतिक जीवन की शिक्षा देते हैं।
- विनम्रता: वे विनम्रता को सबसे बड़ा गुण मानते हैं।
- सामाजिक सद्भाव: उनके दोहे सहानुभूति और परोपकार को प्रोत्साहित करते हैं।
- संतुलित जीवन: धन, मान, और संबंधों में संतुलन बनाए रखने की सलाह देते हैं।
- मानवीय मूल्य: दया और मानवता जैसे मूल्यों को महत्व देते हैं।
उदाहरण: पहला दोहा:
\begin{quote} रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।\ पानी गये न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।। \end{quote} इस दोहे में रहिम जल को विनम्रता का प्रतीक बनाते हैं। वे कहते हैं कि जल के बिना मोती अपनी चमक, मनुष्य सम्मान, और आटा उपयोगिता खो देता है। यह नीति सिखाती है कि विनम्रता के बिना व्यक्ति का जीवन निरर्थक है। यह दोहा आज के समाज में भी विनम्रता और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देता है।
- कबीर और रहिम की रचनाओं का आज के समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
कबीर और रहिम की रचनाएँ आज के समाज पर निम्नलिखित प्रभाव डाल सकती हैं:- आध्यात्मिक जागृति: कबीर की साखियाँ और सबद बाह्य कर्मकांडों से हटकर हृदय की शुद्धता और ईश्वर की खोज की प्रेरणा देती हैं। आज के भौतिकवादी और तनावपूर्ण समाज में यह मानसिक शांति और संतुलन ला सकता है।
- सामाजिक समानता: कबीर का जाति-पाति और धर्म के भेदभाव का विरोध आज के भारत में सामाजिक समरसता को बढ़ावा दे सकता है। उनकी रचनाएँ लोगों को सभी को समान मानने की शिक्षा देती हैं।
- नैतिकता और विनम्रता: रहिम के दोहे विनम्रता, सत्य, और सहानुभूति जैसे मूल्यों को सिखाते हैं। उदाहरण के लिए, “रहिमन पानी राखिए” विनम्रता और जल संरक्षण की प्रेरणा देता है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रासंगिक है।
- आत्म-संयम: रहिम का “मन की व्यथा” वाला दोहा आज के सोशल मीडिया युग में गोपनीयता और संयम की शिक्षा देता है, जहाँ लोग निजी बातें सार्वजनिक करते हैं।
- युवाओं के लिए प्रेरणा: दोनों कवियों की सरल और सार्वभौमिक रचनाएँ युवाओं को नैतिक जीवन, सामाजिक जिम्मेदारी, और आत्म-निरीक्षण की ओर प्रेरित कर सकती हैं।
उदाहरण: कबीर की साखी “संसार स्वाँग बन्यौ है” आज के उपभोक्तावादी समाज को सांसारिक मोह से मुक्त होने का संदेश देती है, जबकि रहिम का जल वाला दोहा पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता बढ़ाता है।
इस प्रकार, कबीर और रहिम की रचनाएँ आध्यात्मिकता, नैतिकता, और सामाजिक सुधार का मार्ग दिखाकर आधुनिक समाज को दिशा प्रदान कर सकती हैं।