Factors Affecting to Select the Drainage System:
जल निकास के चुनाव को प्रभावित करने वाले कारक
actors Affecting to Select the Drainage System: जल निकास (Drainage) कृषि भूमि से अतिरिक्त जल को हटाने की प्रक्रिया है। यह फसल उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक जल-भराव पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है और मिट्टी की वायु संचार क्षमता को कम करता है। जल निकास प्रणाली का चुनाव करते समय कई कारकों पर विचार करना आवश्यक होता है ताकि सबसे प्रभावी और किफायती विधि का चयन किया जा सके। ये कारक निम्नलिखित हैं:
1. भूमि की स्थलाकृति (Topography of Land): भूमि की ढलान जल निकास प्रणाली के चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक है।
- समतल या कम ढलान वाली भूमि: ऐसी भूमि पर सतही जल निकास (surface drainage) की तुलना में उप-सतही जल निकास (sub-surface drainage) अधिक प्रभावी होता है। यदि ढलान बहुत कम है, तो पम्पिंग की आवश्यकता हो सकती है।
- अधिक ढलान वाली भूमि: अधिक ढलान वाली भूमि पर सतही जल निकास आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के कारण पानी स्वाभाविक रूप से नीचे की ओर बह जाता है। हालांकि, कटाव को रोकने के लिए उचित सावधानी बरतनी चाहिए।
2. मिट्टी का प्रकार (Soil Type): मिट्टी की बनावट और उसकी पारगम्यता (permeability) जल निकास प्रणाली के चयन को बहुत प्रभावित करती है।
- बलुई मिट्टी (Sandy Soil): बलुई मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है और यह अत्यधिक पारगम्य होती है। इसमें पानी तेजी से नीचे रिस जाता है, इसलिए प्रायः इसमें जल निकास की विशेष आवश्यकता नहीं होती, जब तक कि भूजल स्तर बहुत ऊंचा न हो।
- दोमट मिट्टी (Loamy Soil): दोमट मिट्टी में जल निकास मध्यम रूप से आवश्यक होता है। इसमें सतही और उप-सतही दोनों तरह के निकास की आवश्यकता पड़ सकती है।
- चिकनी मिट्टी (Clayey Soil): चिकनी मिट्टी की जल धारण क्षमता अधिक होती है और यह कम पारगम्य होती है। इसमें पानी धीरे-धीरे रिसता है, जिससे जल-भराव की समस्या आम होती है। ऐसी मिट्टी में प्रभावी जल निकास के लिए उप-सतही नालियों (जैसे टाइल ड्रेन) की आवश्यकता अधिक होती है।
3. वर्षा की मात्रा और वितरण (Amount and Distribution of Rainfall): किसी क्षेत्र में होने वाली वर्षा की मात्रा और उसके वितरण का सीधा प्रभाव जल निकास की आवश्यकता पर पड़ता है।
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्र: जिन क्षेत्रों में भारी और लगातार वर्षा होती है, वहां प्रभावी जल निकास प्रणाली की आवश्यकता अधिक होती है ताकि अतिरिक्त पानी को तेजी से हटाया जा सके और फसल को नुकसान से बचाया जा सके।
- कम वर्षा वाले क्षेत्र: शुष्क या अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में जल निकास की आवश्यकता कम होती है, बशर्ते कि सिंचाई के कारण जल-भराव न हो।
4. भूजल स्तर (Groundwater Table): भूजल स्तर की गहराई जल निकास के चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक है।
- उच्च भूजल स्तर: यदि भूजल स्तर फसल की जड़ क्षेत्र के बहुत करीब है, तो उप-सतही जल निकास (जैसे टाइल ड्रेन, ओपन ड्रेन) की आवश्यकता होती है ताकि भूजल स्तर को नीचे लाया जा सके।
- कम भूजल स्तर: यदि भूजल स्तर बहुत गहरा है, तो जल निकास की आवश्यकता कम होती है, सिवाय सतही जल-भराव की स्थिति में।
5. जल निकास के लिए उपलब्ध बहाव या निकास मार्ग (Availability of Outlet): जल निकास प्रणाली से निकलने वाले पानी को निकालने के लिए एक उपयुक्त और पर्याप्त निकास मार्ग (जैसे नाला, नदी या निचला क्षेत्र) का उपलब्ध होना आवश्यक है।
- यदि कोई प्राकृतिक निकास मार्ग उपलब्ध नहीं है, तो पानी को निकालने के लिए पम्पिंग या कृत्रिम जलाशयों का निर्माण करना पड़ सकता है, जिससे लागत बढ़ जाती है।
6. फसल का प्रकार (Type of Crop): विभिन्न फसलों की जल-भराव सहन करने की क्षमता अलग-अलग होती है।
- पानी के प्रति संवेदनशील फसलें: आलू, टमाटर, मटर, और दलहनी फसलें जल-भराव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। इनके लिए प्रभावी जल निकास प्रणाली आवश्यक है।
- पानी सहन करने वाली फसलें: धान जैसी फसलें जल-भराव को सहन कर सकती हैं और वास्तव में उन्हें पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन लगातार ठहरा हुआ पानी उन्हें भी नुकसान पहुंचा सकता है।
7. आर्थिक पहलू और लागत (Economic Aspect and Cost): किसी भी जल निकास प्रणाली के चुनाव में उसकी स्थापना और रखरखाव की लागत एक महत्वपूर्ण कारक होती है।
- कम लागत और अधिक प्रभावी प्रणाली का चयन करना प्राथमिकता होती है। उप-सतही निकास प्रणालियां आमतौर पर सतही प्रणालियों की तुलना में अधिक महंगी होती हैं, लेकिन वे अधिक स्थायी और प्रभावी होती हैं।
8. मृदा लवणता (Soil Salinity): कुछ क्षेत्रों में जल-भराव से मिट्टी में लवणता बढ़ जाती है। जल निकास प्रणाली का उपयोग अतिरिक्त लवणों को जड़ क्षेत्र से बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है। ऐसे मामलों में, जल निकास प्रणाली का चुनाव लवणों को प्रभावी ढंग से धोने की क्षमता पर आधारित होता है।
निष्कर्ष: जल निकास प्रणाली का चुनाव एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें उपरोक्त सभी कारकों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना होता है। एक उचित योजना और विभिन्न कारकों पर विचार करके ही एक कुशल और टिकाऊ जल निकास प्रणाली का चयन किया जा सकता है, जो अंततः फसल की पैदावार बढ़ाने और भूमि की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होती है।