MP Board Class 9 Subject Hindi Lekhak Parichay :
प्रमुख हिंदी साहित्यकारों का विस्तृत परिचय :
MP Board Class 9 Subject Hindi Lekhak Parichay: प्रेमचंद से लेकर महादेवी वर्मा तक इन साहित्यकारों ने हिंदी गद्य को नई दिशा दी। प्रेमचंद ने यथार्थवादी सामाजिक चित्रण किया, राहुल सांकृत्यायन ने यात्रा साहित्य को समृद्ध किया, श्यामाचरण दुबे ने सामाजिक चिंतन को गहराई दी, जाबिर हुसैन ने संवेदनशील संस्मरण लिखे, हरिशंकर परसाई ने व्यंग्य को स्थापित किया और महादेवी वर्मा ने गद्य में काव्यात्मकता व मानवीय करुणा भरी। इन सभी ने अपनी अनूठी शैलियों और विषयों से हिंदी साहित्य को बहुआयामी बनाकर उसके विकास में अमूल्य योगदान दिया।
1. प्रेमचंद
जीवन परिचय: मुंशी प्रेमचंद (मूल नाम: धनपत राय श्रीवास्तव) का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव में हुआ था। गरीबी और अभावों से जूझते हुए उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में अध्यापन कार्य से जुड़े। ‘नवाब राय’ से ‘प्रेमचंद’ बनने तक का उनका साहित्यिक सफ़र हिंदी साहित्य के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हुआ।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु: प्रेमचंद ने भारतीय समाज, विशेषकर ग्रामीण जीवन, किसानों-मजदूरों की समस्याओं, जमींदारी प्रथा के शोषण, सामाजिक कुरीतियों (जैसे दहेज प्रथा, बाल-विवाह, छुआछूत), नारी की दुर्दशा और राष्ट्रीय चेतना को अपनी कहानियों और उपन्यासों का केंद्रीय विषय बनाया।
- दृष्टिकोण: वे आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद के पक्षधर थे। उन्होंने समाज की कटु सच्चाइयों को बेबाकी से प्रस्तुत किया, लेकिन अंत में कहीं न कहीं समाधान या आदर्श की स्थापना का प्रयास भी किया। उनकी कहानियों और उपन्यासों में मानवीय संवेदना और गहरी सामाजिक प्रतिबद्धता दिखती है।
- पात्र-चित्रण: उनके पात्र साधारण जन-जीवन से लिए गए थे – किसान, मजदूर, ग्रामीण महिलाएँ, दलित, शोषित। उनके पात्र जीवंत और विश्वसनीय होते थे, जिनके सुख-दुख पाठक को अपने लगते थे।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा: प्रेमचंद की भाषा सरल, सहज, बोधगम्य और मुहावरेदार थी। उन्होंने हिंदी और उर्दू (हिंदुस्तानी) के मिश्रित रूप का प्रयोग किया, जो आम जनमानस की भाषा थी। उनकी भाषा में लोक-जीवन की गंध और ग्रामीण शब्दावली का सुंदर प्रयोग मिलता है।
- शैली: उनकी शैली मुख्यतः वर्णनात्मक और कथात्मक थी। वे घटनाओं और पात्रों का सजीव चित्रण करते थे। उनकी कहानियों और उपन्यासों में नाटकीयता, संवादों की स्वाभाविकता और मार्मिकता का अद्भुत मेल था। वे व्यंग्य और विनोद का भी कुशल प्रयोग करते थे।
- कहानी कला: उन्हें हिंदी कहानी का जनक कहा जाता है। उन्होंने कहानियों को केवल मनोरंजन का साधन न बनाकर सामाजिक उद्देश्य से जोड़ा।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- प्रेमचंद को हिंदी साहित्य में ‘उपन्यास सम्राट’ और ‘कहानी सम्राट’ के रूप में सर्वमान्य स्थान प्राप्त है।
- वे हिंदी साहित्य में यथार्थवाद के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने साहित्य को केवल कल्पनालोक से निकालकर सामाजिक जीवन की कठोर सच्चाइयों से जोड़ा।
- वे ‘प्रेमचंद युग’ के नाम से एक पूरे साहित्यिक कालखंड के प्रतिनिधि हैं, जिसने हिंदी गद्य को नई दिशा दी।
साहित्य विकास में योगदान:
- सामाजिक चेतना का विकास: प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय समाज में व्याप्त अन्याय, शोषण और पाखंड के प्रति गहरी चेतना जगाई। उन्होंने दलितों, किसानों और स्त्रियों की आवाज़ को साहित्य में मुखर किया।
- यथार्थवादी परंपरा की नींव: उन्होंने हिंदी साहित्य में यथार्थवादी लेखन की मजबूत नींव रखी, जिससे बाद के कई लेखकों को प्रेरणा मिली। उन्होंने आदर्शवाद के साथ यथार्थ को जोड़कर एक नई परंपरा स्थापित की।
- भाषा का लोकव्यापीकरण: उन्होंने संस्कृतनिष्ठ हिंदी या अत्यधिक फारसी-उर्दू शब्दों वाली भाषा के बजाय आम बोलचाल की हिंदुस्तानी भाषा का प्रयोग कर साहित्य को जन-जन तक पहुँचाया।
- उपन्यास और कहानी विधा का विकास: उन्होंने इन दोनों विधाओं को मात्र मनोरंजक कथाओं से निकालकर गंभीर सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण का माध्यम बनाया।
2. राहुल सांकृत्यायन
जीवन परिचय: राहुल सांकृत्यायन (मूल नाम: केदारनाथ पांडेय) का जन्म 9 अप्रैल, 1893 को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे महापंडित के रूप में प्रसिद्ध थे, जिन्होंने जीवन भर ज्ञान की खोज में यात्राएँ कीं और अनेक भाषाओं (तिब्बती, पालि, संस्कृत, रूसी आदि) पर अधिकार प्राप्त किया। उनका निधन 14 अप्रैल, 1963 को हुआ।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु: उनकी रचनाओं का मुख्य विषय यात्रा, इतिहास, दर्शन, धर्म, लोक-संस्कृति और पुरातत्व था। वे अपनी यात्राओं के माध्यम से विभिन्न देशों, संस्कृतियों और ऐतिहासिक तथ्यों का अन्वेषण करते थे।
- दृष्टिकोण: वे घुमक्कड़ी को एक जीवन-दर्शन मानते थे। उनका मानना था कि ज्ञान और अनुभव यात्राओं से ही प्राप्त होते हैं। वे तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे, और अंधविश्वासों तथा रूढ़ियों का खंडन करते थे।
- अनुसंधान: उन्होंने अपने यात्रा अनुभवों को केवल वर्णन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनके साथ ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक तथ्यों का गहन अनुसंधान भी प्रस्तुत किया।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा: राहुल सांकृत्यायन की भाषा सरल, स्पष्ट और तथ्यात्मक होती थी। उनकी लेखन शैली में शोध और अन्वेषण का पुट होता था लेकिन उसे वे रोचक ढंग से प्रस्तुत करते थे। उन्होंने आवश्यकतानुसार तकनीकी शब्दों का भी प्रयोग किया, पर उन्हें बोधगम्य बनाए रखा।
- शैली: उनकी शैली विश्लेषणात्मक, वर्णनात्मक और सूचनात्मक थी। वे जटिल विषयों को भी सरल उदाहरणों और तर्कों के माध्यम से समझाते थे। उनकी यात्रा वृत्तांतों में वर्णन की सजीवता और लेखक के निजी अनुभवों का सुंदर समन्वय मिलता है।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- राहुल सांकृत्यायन को हिंदी साहित्य में ‘यात्रा वृत्तांत का जनक’ और ‘महापंडित’ के रूप में जाना जाता है।
- वे हिंदी साहित्य में घुमक्कड़ी परंपरा के प्रवर्तक थे।
- ज्ञान के विविध क्षेत्रों में उनकी गहरी पैठ के कारण उन्हें ‘त्रिपाठी’ (तीन भाषाओं के ज्ञाता) और फिर ‘महापंडित’ कहा गया।
साहित्य विकास में योगदान:
- यात्रा वृत्तांत विधा का विकास: उन्होंने हिंदी में यात्रा वृत्तांत को एक महत्वपूर्ण साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित किया। उन्होंने इसे केवल मनोरंजक यात्रा विवरण से निकालकर ज्ञानवर्धक और शोधपरक बनाया।
- ज्ञान के क्षितिज का विस्तार: अपनी यात्राओं और लेखन के माध्यम से उन्होंने पाठकों को भारत और विश्व के विभिन्न देशों, संस्कृतियों, इतिहास और दर्शन से परिचित कराया, जिससे हिंदी साहित्य में ज्ञान के क्षितिज का विस्तार हुआ।
- तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण: उन्होंने अपने लेखन से पाठकों में तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, जिससे रूढ़ियों और अंधविश्वासों को चुनौती मिली।
- बहुमुखी लेखन: उन्होंने उपन्यास, कहानी, जीवनी, इतिहास, दर्शन आदि अनेक विधाओं में लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।
3. श्यामाचरण दुबे
जीवन परिचय: श्यामाचरण दुबे का जन्म 25 जुलाई, 1922 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हुआ था। वे भारत के एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री और सांस्कृतिक मानवविज्ञानी थे। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से मानव विज्ञान में पीएचडी की। उन्होंने अकादमिक और शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 4 फरवरी, 1996 को उनका निधन हो गया।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु: श्यामाचरण दुबे के लेखन का मुख्य विषय भारतीय समाज की संरचना, संस्कृति, परंपराएँ, आधुनिकता का प्रभाव, उपभोक्तावाद, बदलती जीवन-शैली और विकास से जुड़ी समस्याएँ थीं। वे समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से भारतीय जीवन का विश्लेषण करते थे।
- दृष्टिकोण: उनका लेखन विश्लेषणात्मक और चिंतनपरक होता था। वे सामाजिक समस्याओं को केवल ऊपरी तौर पर नहीं देखते थे बल्कि उनकी जड़ों तक पहुँचने का प्रयास करते थे। वे एक तटस्थ और गंभीर विचारक थे।
- आधुनिकता और भारतीयता: वे आधुनिकता और भारतीय परंपरा के बीच के द्वंद्व और सामंजस्य पर गहन विचार प्रस्तुत करते थे।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा: उनकी भाषा सरल, स्पष्ट, सटीक और अकादमिक होते हुए भी बोधगम्य थी। वे जटिल सामाजिक अवधारणाओं को भी सहजता से प्रस्तुत कर पाते थे। उनकी भाषा में अनावश्यक अलंकरण नहीं होता था, बल्कि विचारों की स्पष्टता पर जोर रहता था।
- शैली: उनकी शैली मुख्यतः निबंधात्मक और विवेचनात्मक थी। वे तार्किक ढंग से अपनी बात रखते थे और तथ्यों तथा उदाहरणों से उसे पुष्ट करते थे। उनके निबंधों में विचारों का प्रवाह और गहनता मिलती है।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- श्यामाचरण दुबे को हिंदी साहित्य में प्रमुख समाजशास्त्रीय विचारक और निबंधकार के रूप में जाना जाता है।
- उन्होंने हिंदी गद्य में गंभीर, विचारपरक और विश्लेषणात्मक लेखन की परंपरा को मजबूत किया।
- वे भारतीय समाज और संस्कृति के अध्ययन को हिंदी साहित्य से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण स्तंभ थे।
साहित्य विकास में योगदान:
- सामाजिक चिंतन का गहन विश्लेषण: उन्होंने हिंदी साहित्य में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अकादमिक और गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया, जिससे हिंदी गद्य की वैचारिकता बढ़ी।
- ज्ञान-विज्ञान को साहित्य से जोड़ना: उन्होंने समाजशास्त्र और मानव विज्ञान जैसे विषयों को साहित्यिक भाषा के माध्यम से आम पाठकों तक पहुँचाया, जिससे ज्ञान-विज्ञान का लोकव्यापीकरण हुआ।
- आधुनिक समस्याओं पर विचार: उनके लेखन ने भारतीय समाज को उपभोक्तावाद, पश्चिमीकरण और विकास की चुनौतियों जैसे आधुनिक समस्याओं पर गंभीरता से सोचने के लिए प्रेरित किया।
4. जाबिर हुसैन (‘साँवले सपनों की याद’ के लेखक)
जीवन परिचय: जाबिर हुसैन का जन्म 1945 में बिहार के नालंदा जिले के नौनेरा गाँव में हुआ था। वे अंग्रेजी साहित्य के प्राध्यापक रहे और सक्रिय रूप से राजनीति से भी जुड़े। वे बिहार विधान परिषद के सभापति भी रह चुके हैं।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु: जाबिर हुसैन के लेखन में सामाजिक सरोकार, मानवीय संवेदनाएँ, आम आदमी का संघर्ष, पर्यावरण चेतना और विशिष्ट व्यक्तियों के जीवन का चित्रण प्रमुख होता है। वे अपने आस-पास के यथार्थ को गहराई से महसूस करते हैं।
- दृष्टिकोण: उनका लेखन भावनात्मक और आत्मीय होता है। वे अपने पात्रों और विषयों के प्रति गहरी सहानुभूति रखते हैं। ‘साँवले सपनों की याद’ में सालिम अली के प्रति उनका गहरा लगाव और पर्यावरणीय चिंताएँ स्पष्ट दिखती हैं।
- जीवनीपरक संस्मरण: वे किसी विशिष्ट व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को संस्मरणात्मक शैली में प्रस्तुत करने में माहिर हैं।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा: जाबिर हुसैन की भाषा सरल, सहज और प्रवाहमय होती है। वे हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का सुंदर मिश्रण करते हैं, जिससे उनकी भाषा में एक विशेष आकर्षण आ जाता है।
- शैली: वे मुख्यतः डायरी और संस्मरणात्मक शैली में लिखते हैं। उनकी शैली में एक खास तरह की काव्यात्मकता और चित्रात्मकता होती है, जो वर्णित विषय को जीवंत कर देती है। उनकी वाक्य-रचना छोटी और प्रभावी होती है।
- मार्मिकता: उनके लेखन में एक खास तरह की मार्मिकता और संवेदनशीलता होती है, जो पाठक के मन को छू लेती है।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- जाबिर हुसैन हिंदी साहित्य में एक संवेदनशील और सामाजिक सरोकारों वाले लेखक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
- वे डायरी और संस्मरण विधा को नई गहराई और भावनात्मकता प्रदान करने वाले प्रमुख लेखकों में से हैं।
- उनकी रचनाएँ, विशेषकर ‘साँवले सपनों की याद’, पर्यावरण चेतना और मानवीय संबंधों की मार्मिक प्रस्तुति के लिए जानी जाती हैं।
साहित्य विकास में योगदान:
- संस्मरण विधा का विस्तार: उन्होंने संस्मरण विधा को केवल जीवनीपरक तथ्यों तक सीमित न रखकर उसमें भावनात्मकता, काव्यात्मकता और गहन संवेदनशीलता का समावेश किया।
- पर्यावरण चेतना का प्रसार: ‘साँवले सपनों की याद’ जैसी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने साहित्य के दायरे में पर्यावरण संरक्षण और पक्षी प्रेम जैसे महत्वपूर्ण विषयों को भी सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया।
- विशिष्ट शैली का निर्माण: उन्होंने अपनी विशिष्ट, प्रवाहमय और संवेदनशील शैली से हिंदी गद्य को एक नई अभिव्यक्ति प्रदान की।
- सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित लेखन: उनके लेखन ने पाठकों को आम आदमी के जीवन और सामाजिक विसंगतियों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
5. हरिशंकर परसाई
जीवन परिचय: हरिशंकर परसाई का जन्म 22 अगस्त, 1924 को होशंगाबाद, मध्य प्रदेश के जमानी गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के व्यंग्य सम्राट के रूप में विख्यात हैं। उन्होंने जबलपुर में रहकर ‘वसुधा’ पत्रिका का संपादन किया और व्यंग्य को अपनी मुख्य साहित्यिक विधा बनाया। उनका निधन 10 अगस्त, 1995 को हुआ।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु: परसाई जी के व्यंग्य समाज, राजनीति, धर्म, प्रशासन, व्यक्तिगत पाखंड, भ्रष्टाचार, ढोंग और मानव स्वभाव की विसंगतियों पर केंद्रित होते थे। वे आम आदमी के जीवन में व्याप्त विरोधाभासों को अपनी सूक्ष्म दृष्टि से पकड़ते थे।
- दृष्टिकोण: उनका दृष्टिकोण तीखा, आलोचनात्मक और सुधारवादी था। वे केवल हँसाते नहीं थे, बल्कि हँसाते-हँसाते समाज की बुराइयों पर प्रहार करते थे ताकि उनमें सुधार हो सके। उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता उनके लेखन में स्पष्ट दिखती है।
- सामाजिक यथार्थ: उन्होंने अपने व्यंग्यों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ का नग्न चित्रण किया।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा: हरिशंकर परसाई की भाषा सरल, सहज, बोलचाल की, लेकिन अत्यंत धारदार और चुटीली होती थी। वे व्यंग्य के लिए सटीक शब्द चयन और मुहावरों का प्रभावी प्रयोग करते थे। उनकी भाषा में एक खास तरह का तीखापन और व्यंजना शक्ति थी।
- शैली: उनकी शैली मुख्यतः व्यंग्यात्मक और कटाक्षपूर्ण थी। वे सीधी बात को भी घुमा-फिराकर इतने प्रभावी ढंग से कहते थे कि वह सीधे पाठक के हृदय में उतर जाती थी। उनकी रचनाओं में हास्य, विनोद और विचारोत्तेजकता का अद्भुत संतुलन मिलता है। वे प्रतीकात्मकता और लाक्षणिकता का भी खूब प्रयोग करते थे।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- हरिशंकर परसाई को हिंदी साहित्य में ‘व्यंग्य सम्राट’ और ‘व्यंग्य विधा के संस्थापक’ के रूप में सर्वमान्य स्थान प्राप्त है।
- उन्होंने हिंदी में व्यंग्य को एक स्वतंत्र साहित्यिक विधा के रूप में स्थापित किया और उसे गंभीर साहित्य की श्रेणी में ला खड़ा किया।
- उनके योगदान के कारण हिंदी व्यंग्य को एक नई पहचान मिली।
साहित्य विकास में योगदान:
- व्यंग्य को स्वतंत्र विधा बनाना: परसाई जी से पहले व्यंग्य निबंधों या कहानियों का एक अंग होता था, लेकिन उन्होंने इसे एक स्वतंत्र और शक्तिशाली विधा के रूप में विकसित किया।
- सामाजिक-राजनीतिक चेतना का प्रसार: उनके व्यंग्यों ने समाज और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, पाखंड और विसंगतियों के प्रति जनता में गहरी चेतना जगाई।
- जनसाधारण की समस्याओं को उठाना: उन्होंने आम आदमी के जीवन की परेशानियों, उसकी विडंबनाओं और उसकी लाचारी को अपने व्यंग्यों का विषय बनाया, जिससे साहित्य का दायरा विस्तृत हुआ।
- भाषा का परिमार्जन: उन्होंने अपनी व्यंग्यात्मक शैली से हिंदी भाषा को अधिक चुटीला, गतिशील और प्रभावशाली बनाया।
6. महादेवी वर्मा
जीवन परिचय: महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों (बृहत्त्रयी) में से एक थीं। वे कवयित्री के साथ-साथ एक उत्कृष्ट गद्य लेखिका भी थीं। उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका निधन 11 सितंबर, 1987 को हुआ।
सृजनात्मक विशेषताएँ:
- विषय-वस्तु (काव्य में): उनकी कविताओं में मुख्यतः वेदना, रहस्यवाद, प्रकृति प्रेम, वैयक्तिक अनुभूतियाँ और अज्ञात प्रियतम के प्रति विरह की भावना प्रमुख है।
- विषय-वस्तु (गद्य में): उनके संस्मरण और रेखाचित्रों में मानवीय संवेदनाएँ, पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, समाज के उपेक्षित वर्गों के जीवन का मार्मिक चित्रण और उनके निजी जीवन के अनुभव प्रमुख हैं। वे अपने संपर्क में आए साधारण व्यक्तियों और पशु-पक्षियों के असाधारण व्यक्तित्व को उजागर करती थीं।
- दृष्टिकोण: उनका दृष्टिकोण संवेदनशील, करुणापूर्ण और मानवतावादी था। वे जीवन और जगत के प्रति गहरी संवेदना रखती थीं और उनके लेखन में मानवीय गरिमा और पशु-प्रेम का अद्भुत समन्वय मिलता है।
साहित्यिक विशेषताएँ एवं शैली:
- भाषा (काव्य में): उनकी काव्य भाषा संस्कृतनिष्ठ, कोमल, भावपूर्ण और लाक्षणिक होती थी जिसमें प्रतीकात्मकता का गहरा पुट होता था।
- भाषा (गद्य में): उनके गद्य की भाषा भी अत्यंत परिष्कृत, साहित्यिक और भावप्रवण होती थी। वे शब्दों का अत्यंत सधा हुआ और प्रभावी प्रयोग करती थीं, जिससे उनके वर्णन सजीव हो उठते थे।
- शैली: उनकी गद्य शैली चित्रात्मक और मार्मिक थी। वे पात्रों और घटनाओं का ऐसा सजीव वर्णन करती थीं कि पाठक के मन में एक स्पष्ट तस्वीर बन जाती थी। उनकी शैली में भावनात्मक गहराई और आत्मपरकता का सुंदर समन्वय मिलता है। वे अपनी बात को सीधे-सीधे कहने की बजाय भावुकता और काव्यात्मकता के साथ प्रस्तुत करती थीं।
हिंदी साहित्य में स्थान:
- महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ की उपाधि से विभूषित किया गया है क्योंकि उनकी कविताओं में मीराबाई के समान ही विरह और वेदना की गहरी अनुभूतियाँ मिलती हैं।
- वे हिंदी की सर्वश्रेष्ठ संस्मरण और रेखाचित्र लेखिकाओं में से एक हैं।
- ‘यामा’ पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला, जो हिंदी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान है।
साहित्य विकास में योगदान:
- छायावादी काव्य का विकास: उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से छायावादी काव्य को एक नई दिशा और गहराई प्रदान की, विशेषकर वेदना और रहस्यवाद के क्षेत्र में।
- संस्मरण और रेखाचित्र का उत्कर्ष: उन्होंने हिंदी में संस्मरण और रेखाचित्र विधा को अत्यंत विकसित और समृद्ध किया। उन्होंने इन विधाओं में मानवीय संवेदनाओं और सूक्ष्म चरित्र-चित्रण को एक नई ऊँचाई दी।
- गद्य-काव्य का समन्वय: उनके गद्य में काव्य जैसी तरलता, भावुकता और चित्रात्मकता मिलती है, जिससे गद्य-काव्य के समन्वय की एक नई परंपरा विकसित हुई।
- नारी-चेतना और मानवीय मूल्यों का प्रसार: उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से नारी-जीवन की समस्याओं, पशु-पक्षियों के प्रति करुणा और व्यापक मानवीय मूल्यों को साहित्य में प्रतिष्ठित किया।
प्रमुख हिंदी साहित्यकारों पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
यहाँ प्रत्येक लेखक पर 10 बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें उनके व्यक्तिगत जीवन, रचनाओं, साहित्यिक विशिष्टताओं, भाव और भाषा शैली को शामिल किया गया है। कुल 60 प्रश्न हैं जो परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
- प्रेमचंद (Premchand)
प्रेमचंद का मूल नाम क्या था?
(अ) धनपत राय श्रीवास्तव
(ब) केदारनाथ पांडेय
(स) बनारसीदास चतुर्वेदी
(द) हरिशंकर परसाई
उत्तर: (अ) धनपत राय श्रीवास्तव
प्रेमचंद का जन्म उत्तर प्रदेश के किस जिले में हुआ था?
(अ) आजमगढ़
(ब) दमोह
(स) वाराणसी
(द) फर्रुखाबाद
उत्तर: (स) वाराणसी
प्रेमचंद को हिंदी साहित्य में किस उपाधि से जाना जाता है?
(अ) महापंडित
(ब) व्यंग्य सम्राट
(स) उपन्यास सम्राट
(द) आधुनिक मीरा
उत्तर: (स) उपन्यास सम्राट
निम्नलिखित में से कौन-सा उपन्यास प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है?
(अ) राग दरबारी
(ब) गोदान
(स) यामा
(द) मेरी तिब्बत यात्रा
उत्तर: (ब) गोदान
प्रेमचंद की कहानियों का मुख्य विषय क्या था?
(अ) केवल ऐतिहासिक घटनाएँ
(ब) ग्रामीण जीवन, किसान-मजदूरों की समस्याएँ और सामाजिक कुरीतियाँ
(स) वैज्ञानिक आविष्कार
(द) अंतरिक्ष यात्राएँ
उत्तर: (ब) ग्रामीण जीवन, किसान-मजदूरों की समस्याएँ और सामाजिक कुरीतियाँ
‘पूस की रात’ और ‘ईदगाह’ किस कहानीकार की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं?
(अ) महादेवी वर्मा
(ब) जाबिर हुसैन
(स) प्रेमचंद
(द) राहुल सांकृत्यायन
उत्तर: (स) प्रेमचंद
प्रेमचंद की भाषा शैली की प्रमुख विशेषता क्या थी?
(अ) अत्यधिक संस्कृतनिष्ठ
(ब) सरल, सहज और मुहावरेदार हिंदुस्तानी
(स) केवल अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग
(द) बहुत जटिल और दुर्बोध
उत्तर: (ब) सरल, सहज और मुहावरेदार हिंदुस्तानी
प्रेमचंद के लेखन में किस प्रकार के यथार्थवाद का पुट मिलता है?
(अ) केवल कल्पनावादी
(ब) आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद
(स) केवल रोमानी
(द) अतिवादी यथार्थवाद
उत्तर: (ब) आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद
‘मंगलसूत्र’ प्रेमचंद का कौन-सा उपन्यास है, जो अपूर्ण रह गया?
(अ) पहला
(ब) दूसरा
(स) अंतिम
(द) लघु
उत्तर: (स) अंतिम
प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को मुख्य रूप से किस दिशा में मोड़ा?
(अ) रहस्यवाद की ओर
(ब) यथार्थवाद की ओर
(स) केवल काव्य की ओर
(द) पश्चिमीकरण की ओर
उत्तर: (ब) यथार्थवाद की ओर
- राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan)
राहुल सांकृत्यायन का मूल नाम क्या था?
(अ) धनपत राय श्रीवास्तव
(ब) केदारनाथ पांडेय
(स) हरिशंकर परसाई
(द) श्यामाचरण दुबे
उत्तर: (ब) केदारनाथ पांडेय
राहुल सांकृत्यायन का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(अ) मध्य प्रदेश
(ब) बिहार
(स) उत्तर प्रदेश
(द) राजस्थान
उत्तर: (स) उत्तर प्रदेश
राहुल सांकृत्यायन को किस उपाधि से नवाजा गया था, जो उनके बहुमुखी ज्ञान को दर्शाती है?
(अ) कवि सम्राट
(ब) महापंडित
(स) नाटक सम्राट
(द) व्यंग्य शिरोमणि
उत्तर: (ब) महापंडित
राहुल सांकृत्यायन हिंदी साहित्य में किस विधा के जनक माने जाते हैं?
(अ) कहानी
(ब) उपन्यास
(स) यात्रा वृत्तांत
(द) नाटक
उत्तर: (स) यात्रा वृत्तांत
‘मेरी तिब्बत यात्रा’ और ‘किन्नर देश में’ किस लेखक की प्रमुख रचनाएँ हैं?
(अ) प्रेमचंद
(ब) महादेवी वर्मा
(स) राहुल सांकृत्यायन
(द) हरिशंकर परसाई
उत्तर: (स) राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन ने ‘घुमक्कड़ी’ को किस रूप में स्थापित किया?
(अ) केवल मनोरंजन के रूप में
(ब) ज्ञानार्जन का साधन
(स) एक जीवन-दर्शन के रूप में
(द) केवल एक शौक के रूप में
उत्तर: (स) एक जीवन-दर्शन के रूप में
राहुल सांकृत्यायन की रचनाओं में प्रमुख ‘भाव’ क्या होता था?
(अ) केवल कल्पनाशीलता
(ब) ऐतिहासिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक अन्वेषण का भाव
(स) निराशा का भाव
(द) केवल व्यक्तिगत भावनाएँ
उत्तर: (ब) ऐतिहासिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक अन्वेषण का भाव
राहुल सांकृत्यायन की भाषा शैली की मुख्य विशेषता क्या थी?
(अ) अत्यधिक भावनात्मक
(ब) सरल, स्पष्ट और तथ्यात्मक
(स) बहुत अलंकृत
(द) केवल व्यंग्यात्मक
उत्तर: (ब) सरल, स्पष्ट और तथ्यात्मक
उनकी आत्मकथा का नाम क्या है जो छह खंडों में प्रकाशित हुई?
(अ) मेरी जीवन यात्रा
(ब) मेरी आत्मकथा
(स) यात्रा संस्मरण
(द) जीवन के पथ पर
उत्तर: (अ) मेरी जीवन यात्रा
राहुल सांकृत्यायन ने अपने लेखन से पाठकों में किस प्रकार के दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया?
(अ) रूढ़िवादी
(ब) अंधविश्वासी
(स) तार्किक और वैज्ञानिक
(द) केवल धार्मिक
उत्तर: (स) तार्किक और वैज्ञानिक
- श्यामाचरण दुबे (Shyamacharan Dubey)
श्यामाचरण दुबे का जन्म मध्य प्रदेश के किस जिले में हुआ था?
(अ) होशंगाबाद
(ब) दमोह
(स) जबलपुर
(द) भोपाल
उत्तर: (ब) दमोह
श्यामाचरण दुबे मुख्य रूप से किस विषय के विद्वान थे?
(अ) भौतिक विज्ञान
(ब) गणित
(स) समाजशास्त्र और सांस्कृतिक मानवविज्ञान
(द) इतिहास
उत्तर: (स) समाजशास्त्र और सांस्कृतिक मानवविज्ञान
श्यामाचरण दुबे ने हिंदी साहित्य में किस प्रकार के लेखन को प्रमुखता दी?
(अ) केवल कविता
(ब) नाटक
(स) निबंध और विचारपरक लेखन
(द) कहानियाँ
उत्तर: (स) निबंध और विचारपरक लेखन
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना श्यामाचरण दुबे की है?
(अ) गोदान
(ब) विकलांग श्रद्धा का दौर
(स) मानव और संस्कृति
(द) यामा
उत्तर: (स) मानव और संस्कृति
उनके निबंधों में किस प्रकार के मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाता था?
(अ) केवल राजनीतिक
(ब) केवल धार्मिक
(स) आधुनिक जीवन की समस्याओं, उपभोक्तावाद और भारतीय समाज की बदलती प्रवृत्तियों पर
(द) केवल प्रेम कहानियों पर
उत्तर: (स) आधुनिक जीवन की समस्याओं, उपभोक्तावाद और भारतीय समाज की बदलती प्रवृत्तियों पर
श्यामाचरण दुबे की भाषा शैली की मुख्य विशेषता क्या थी?
(अ) अत्यधिक भावनात्मक और काव्यात्मक
(ब) सरल, स्पष्ट, सटीक और अकादमिक
(स) व्यंग्यात्मक और कटाक्षपूर्ण
(द) बहुत अलंकृत और जटिल
उत्तर: (ब) सरल, स्पष्ट, सटीक और अकादमिक
श्यामाचरण दुबे ने अपने लेखन से किस प्रकार की परंपरा को मजबूत किया?
(अ) रहस्यवादी लेखन की
(ब) गंभीर, विचारपरक और विश्लेषणात्मक लेखन की
(स) हास्य लेखन की
(द) साहसिक यात्रा वृत्तांत लेखन की
उत्तर: (ब) गंभीर, विचारपरक और विश्लेषणात्मक लेखन की
‘परंपरा और इतिहास बोध’ किस लेखक का निबंध संग्रह है?
(अ) प्रेमचंद
(ब) हरिशंकर परसाई
(स) श्यामाचरण दुबे
(द) जाबिर हुसैन
उत्तर: (स) श्यामाचरण दुबे
उनके लेखन में किस विषय का गहरा प्रभाव दिखाई देता था?
(अ) भूगोल और खगोल विज्ञान
(ब) अर्थशास्त्र और वाणिज्य
(स) समाजशास्त्र, संस्कृति और मानव विज्ञान
(द) जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान
उत्तर: (स) समाजशास्त्र, संस्कृति और मानव विज्ञान
श्यामाचरण दुबे ने हिंदी साहित्य को क्या प्रदान किया?
(अ) केवल उपन्यास कला
(ब) केवल कविता की नई विधाएँ
(स) सामाजिक चिंतन और सांस्कृतिक विश्लेषण को नई ऊँचाई
(द) ऐतिहासिक नाटक
उत्तर: (स) सामाजिक चिंतन और सांस्कृतिक विश्लेषण को नई ऊँचाई
- जाबिर हुसैन (Zabir Hussain)
जाबिर हुसैन का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(अ) उत्तर प्रदेश
(ब) मध्य प्रदेश
(स) बिहार
(द) राजस्थान
उत्तर: (स) बिहार
जाबिर हुसैन किस विधा के लेखन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं?
(अ) व्यंग्य
(ब) नाटक
(स) डायरी और संस्मरण
(द) कहानी
उत्तर: (स) डायरी और संस्मरण
‘साँवले सपनों की याद’ नामक संस्मरण किस प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी पर केंद्रित है?
(अ) डॉ. अब्दुल कलाम
(ब) सालिम अली
(स) हरिशंकर परसाई
(द) प्रेमचंद
उत्तर: (ब) सालिम अली
जाबिर हुसैन की रचनाओं में कौन-से विषय प्रमुख होते हैं?
(अ) केवल विज्ञान-फिक्शन
(ब) सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाएँ
(स) पौराणिक कथाएँ
(द) रहस्य और रोमांच
उत्तर: (ब) सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाएँ
जाबिर हुसैन हिंदी के साथ-साथ और किन भाषाओं में समान अधिकार से लिखते हैं?
(अ) संस्कृत और मराठी
(ब) तमिल और तेलुगु
(स) उर्दू और अंग्रेजी
(द) पंजाबी और गुजराती
उत्तर: (स) उर्दू और अंग्रेजी
जाबिर हुसैन की भाषा शैली की मुख्य विशेषता क्या है?
(अ) बहुत रूखी और तथ्यात्मक
(ब) भावनात्मकता और मार्मिकता का गहरा पुट
(स) केवल हास्य-विनोद
(द) जटिल और व्याकरणिक त्रुटियाँ
उत्तर: (ब) भावनात्मकता और मार्मिकता का गहरा पुट
‘डोला बीवी का मज़ार’ और ‘अतीत का चेहरा’ किस लेखक की संस्मरण/डायरी रचनाएँ हैं?
(अ) श्यामाचरण दुबे
(ब) राहुल सांकृत्यायन
(स) जाबिर हुसैन
(द) हरिशंकर परसाई
उत्तर: (स) जाबिर हुसैन
जाबिर हुसैन ने अपने लेखन के माध्यम से किन मुद्दों को उठाया?
(अ) केवल राजनीतिक विरोध
(ब) मानवीय मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे
(स) केवल व्यक्तिगत दुःख
(द) आर्थिक नीतियाँ
उत्तर: (ब) मानवीय मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे
उनकी शैली में एक खास तरह की क्या होती है, जो वर्णित विषय को जीवंत कर देती है?
(अ) शुष्कता
(ब) काव्यात्मकता और चित्रात्मकता
(स) उपदेशात्मकता
(द) नीरसता
उत्तर: (ब) काव्यात्मकता और चित्रात्मकता
जाबिर हुसैन ने संस्मरण विधा में क्या नया योगदान दिया?
(अ) उसे केवल जीवनीपरक तथ्यों तक सीमित रखा।
(ब) उसमें भावनात्मकता, काव्यात्मकता और गहन संवेदनशीलता का समावेश किया।
(स) उसे केवल हास्य का माध्यम बनाया।
(द) उसे केवल राजनीतिक टिप्पणियों के लिए इस्तेमाल किया।
उत्तर: (ब) उसमें भावनात्मकता, काव्यात्मकता और गहन संवेदनशीलता का समावेश किया।
- हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai)
हरिशंकर परसाई का जन्म मध्य प्रदेश के किस जिले में हुआ था?
(अ) दमोह
(ब) होशंगाबाद
(स) जबलपुर
(द) सागर
उत्तर: (ब) होशंगाबाद
हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य में किस विधा के अग्रणी लेखक माने जाते हैं?
(अ) कविता
(ब) नाटक
(स) व्यंग्य
(द) जीवनी
उत्तर: (स) व्यंग्य
हरिशंकर परसाई को किस उपाधि से जाना जाता है?
(अ) उपन्यास सम्राट
(ब) महापंडित
(स) व्यंग्य सम्राट
(द) आधुनिक मीरा
उत्तर: (स) व्यंग्य सम्राट
‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ और ‘सदाचार का तावीज़’ किस प्रसिद्ध व्यंग्यकार की रचनाएँ हैं?
(अ) शरद जोशी
(ब) श्रीलाल शुक्ल
(स) हरिशंकर परसाई
(द) ज्ञान चतुर्वेदी
उत्तर: (स) हरिशंकर परसाई
परसाई जी के व्यंग्यों का मुख्य विषय क्या होता था?
(अ) केवल प्रकृति सौंदर्य
(ब) समाज, राजनीति, प्रशासन और व्यक्तियों में व्याप्त पाखंड, भ्रष्टाचार और विसंगतियाँ
(स) धार्मिक अनुष्ठान
(द) विज्ञान के चमत्कार
उत्तर: (ब) समाज, राजनीति, प्रशासन और व्यक्तियों में व्याप्त पाखंड, भ्रष्टाचार और विसंगतियाँ
परसाई जी की भाषा शैली की प्रमुख विशेषता क्या थी?
(अ) अत्यधिक संस्कृतनिष्ठ और गंभीर
(ब) सरल, बोलचाल की, लेकिन धारदार और चुटीली
(स) केवल विदेशी शब्दों से युक्त
(द) काव्यात्मक और रहस्यात्मक
उत्तर: (ब) सरल, बोलचाल की, लेकिन धारदार और चुटीली
हरिशंकर परसाई ने हिंदी साहित्य में व्यंग्य को किस रूप में स्थापित किया?
(अ) एक उप-विधा के रूप में
(ब) एक स्वतंत्र विधा के रूप में
(स) केवल मनोरंजन के साधन के रूप में
(द) एक शिक्षाप्रद कहानी के रूप में
उत्तर: (ब) एक स्वतंत्र विधा के रूप में
‘प्रेमचंद के फटे जूते’ किस लेखक की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है?
(अ) प्रेमचंद
(ब) हरिशंकर परसाई
(स) राहुल सांकृत्यायन
(द) शरद जोशी
उत्तर: (ब) हरिशंकर परसाई
परसाई जी का लेखन किस प्रकार का दृष्टिकोण रखता था?
(अ) केवल निराशावादी
(ब) तटस्थ और भावनाहीन
(स) तीखा, आलोचनात्मक और सुधारवादी
(द) केवल स्वप्नदर्शी
उत्तर: (स) तीखा, आलोचनात्मक और सुधारवादी
हरिशंकर परसाई के व्यंग्य हास्य और कटाक्ष के माध्यम से क्या करते थे?
(अ) केवल लोगों को हँसाते थे
(ब) समाज की बुराइयों पर तीखा प्रहार करते थे
(स) केवल मनोरंजन करते थे
(द) नई कहानियाँ गढ़ते थे
उत्तर: (ब) समाज की बुराइयों पर तीखा प्रहार करते थे
- महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma)
महादेवी वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के किस जिले में हुआ था?
(अ) वाराणसी
(ब) आजमगढ़
(स) फर्रुखाबाद
(द) इलाहाबाद
उत्तर: (स) फर्रुखाबाद
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के किस युग की प्रमुख कवयित्री थीं?
(अ) भक्ति काल
(ब) रीतिकाल
(स) छायावाद
(द) प्रगतिवाद
उत्तर: (स) छायावाद
महादेवी वर्मा को किस नाम से भी जाना जाता है?
(अ) ज्ञान की देवी
(ब) आधुनिक मीरा
(स) गद्य की महारानी
(द) प्रकृति की बेटी
उत्तर: (ब) आधुनिक मीरा
निम्नलिखित में से कौन-सा काव्य संग्रह महादेवी वर्मा द्वारा लिखा गया है?
(अ) गोदान
(ब) कामायनी
(स) यामा
(द) कुरुक्षेत्र
उत्तर: (स) यामा
महादेवी वर्मा की कविताओं में प्रमुख ‘भाव’ क्या होता था?
(अ) केवल वीरता
(ब) हास्य और व्यंग्य
(स) वेदना, रहस्यवाद और प्रकृति प्रेम
(द) सामाजिक क्रांति
उत्तर: (स) वेदना, रहस्यवाद और प्रकृति प्रेम
‘स्मृति की रेखाएँ’ और ‘मेरा परिवार’ किस लेखिका की प्रसिद्ध गद्य रचनाएँ (संस्मरण/रेखाचित्र) हैं?
(अ) प्रेमचंद
(ब) महादेवी वर्मा
(स) मन्नू भंडारी
(द) मृदुला गर्ग
उत्तर: (ब) महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा के गद्य लेखन (संस्मरण/रेखाचित्र) में मुख्य विषय क्या होता था?
(अ) केवल ऐतिहासिक युद्ध
(ब) मानवीय संवेदनाएँ, पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम और उपेक्षित वर्गों का जीवन
(स) राजनीतिक बहसें
(द) आर्थिक नीतियाँ
उत्तर: (ब) मानवीय संवेदनाएँ, पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम और उपेक्षित वर्गों का जीवन
महादेवी वर्मा की गद्य शैली की प्रमुख विशेषता क्या थी?
(अ) रूखी और तथ्यात्मक
(ब) अत्यधिक सरल और बोलचाल की
(स) चित्रात्मक, मार्मिक और भावप्रवण
(द) उपदेशात्मक और नीरस
उत्तर: (स) चित्रात्मक, मार्मिक और भावप्रवण
महादेवी वर्मा को ‘यामा’ काव्य संग्रह के लिए कौन-सा सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार मिला था?
(अ) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ब) व्यास सम्मान
(स) ज्ञानपीठ पुरस्कार
(द) सरस्वती सम्मान
उत्तर: (स) ज्ञानपीठ पुरस्कार
महादेवी वर्मा ने हिंदी में संस्मरण और रेखाचित्र विधा को क्या प्रदान किया?
(अ) केवल मनोरंजन
(ब) नवीनता और सरलता
(स) अत्यंत विकसित और समृद्ध किया, मानवीय संवेदनाओं की नई ऊँचाई दी
(द) केवल एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड
उत्तर: (स) अत्यंत विकसित और समृद्ध किया, मानवीय संवेदनाओं की नई ऊँचाई दी