MP Board 12th Physics Semi Conductor Electronic Question Bank अध्याय -14 अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी

MP Board 12th Physics Semi Conductor Electronic Question Bank अध्याय 13 – नाभिक प्रश्न बैंक

अध्याय -14 अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी

स्मरणीय बिंदु

सन 1948 में ट्रांजिस्टर की खोज से पहले निम्न युक्तियां प्रयुक्त की जाती थी –
(i) निर्वात डायोड – दो इलेक्ट्रोड : एनोड( प्लेट ) एवं कैथोड
(ii) ट्रायोड – तीन इलेक्ट्रोड : प्लेट ,कैथोड एवं ग्रिड
(iii) पेंट्रोड – चार इलेक्ट्रोड : प्लेट , कैथोड, ग्रिड 1 एवं ग्रिड 2
(iv) पेंटोट – पांच इलेक्ट्रोड : प्लेट, कैथोड, ग्रिड 1, ग्रिड 2 एवं ग्रिड 3

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आधुनिक ठोस अवस्था अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी का प्रदुर्भाव सन 1930 में हुआ इसके बाद ही अर्धचालक युक्तियों का विकास हुआ।

  1. अर्धचालक युक्तियों की निम्न विशेषताएं हैं –
    (i) बाहरी तापन अथवा अधिक निर्वातित स्थान की आवश्यकता नही होती है ।
    (ii) यह आकार में छोटी होती हैं ।
    (iii) एक कम शक्ति का उपयोग करती हैं ।
    (iv) एक कम बोलता पर कार्य करती है।
    (v) इनका जीवन लंबा है ।
    (vi) इनकी विश्वसनीयता अधिक है।
  2. निर्वात नलिकाओं के सिद्वांत पर कार्य करने वाली कैथोड किरण ट्यूबों का उपयोग टेलीविजन सेटो तथा कंप्यूटर मॉनिटरो में किया जाता है ।
  3. अर्धचालक युक्तियों से भी बहुत पहले गैलेना )pbs) के एक क्रिस्टल के साथ धातु का एक संपर्क बिंदु संयोजित कर इसका उपयोग रेडियो तरंगों के संसूचक के रूप में किया जाता था ।
  4. ठोसों में ऊर्जा बैंड सिद्वांत के अनुसार
    (i) धात्विक चालकों में वर्जित ऊर्जा Eg=0eV
    (ii) अर्धचालकों में वर्जित ऊर्जा अंतराल Eg=1eV
    (iii) कुचालकों में वर्जित ऊर्जा अंतराल Eg का मान 3 eV से अधिक
  5. निज अर्धचालक परम शून्य ताप )T=0K) पर कुचालक के समान व्यवहार करते हैं।
  6. निज अर्धचालक में अपद्रव्य मिलाने से वाह्य अर्धचालक प्राप्त होते हैं –
    (i) निज अर्धचालक में पांच संयोजी तत्व की अशुद्वि मिलाने से N प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है ।
    (ii) निज अर्धचालक में तीन संयोजी तत्व की अशुद्वि मिलाने से P प्रकार का प्राप्त अर्धचालक प्राप्त होता है ।
  7. अर्धचालक डायोड मूल रूप में एक P – N संधि होती है जोकि P एवं N प्रकार के अर्धचालकों से मिलकर बनी होती है।
  8. अर्धचालक युक्ति P-N संधि डायोड ही दिष्टकारी का कार्य करता है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –

  1. अशुद्वियां रहित चालक को …………. अर्धचालक कहते है।
  2. निज अर्धचालक में ………….परमाणु का अपमिश्रण करके N प्रकार के अर्धचालक प्रप्त किये जाते है।
  3. NAND गेट में AND गेट के साथ …………. गेट होता है।
  4. सभी गेट —— संख्याओं पर आधारित है।

सही विकल्प का चयन कीजिये

  1. p-प्रकार के अर्धचालक में बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक क्रमशः होते है-
    अ. प्रोटॉन व इलेक्ट्रान
    ब. इलेक्ट्रान व प्रोटॉन
    स. इलेक्ट्रान व होल
    द . होल और इलेक्ट्रान
  2. अर्धचालक की ताप बढाने पर इनकी चालकता –
    अ . बढती है
    ब . घटती है
    स. शुन्य हो जाता है
    द. कोई परिवर्तन नही होता।
  3. p-n संधि डायोड में अवक्षय पर्त की मोटाई लगभग होती है-
    अ. 10^{-3}m
    .ब 10^{-4}m
    स. 10^{-5}m
    द. 10^{-6}m
  4. जब pn संधि पर अग्रदिशिक बायस अनुप्रयुक्त किया जाता है , तब यह –
    अ .विभव रोधक बढाता है ।
    ब .विभव रोधक कम कर देता है ।
    स .बहुसंख्यक वाहक धारा को शुन्य कर देता है ।
    द .उपरोक्त में से कोई नही

एक वाक्य में उत्तर दीजिये-

  1. 0K ताप पर निज अर्धचालक किस प्रकार से व्यवहार करता है?
  2. n-प्रकार के अर्धचालक में बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक आवेश वाहक बताइये|
  3. p-प्रकार के अर्धचालक में बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक आवेश वाहक बताइये|
  4. NAND गेट के लिए बुलियन व्यंजक लिखिए।
  5. दिष्टकारी का कार्य कौन सी अर्ध चालक युक्ति करती है?
  6. किस प्रकार के गेट में केवल एक ही इनपुट होता है?
  7. किस प्रकार की अभिनति में अर्धचालक डायोड का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है।
  8. किस गेट को इनवर्टर गेट कहते हैं ?
  9. P प्रकार के अर्धचालक कैसे बनते हैं ?
  10. अर्धचालक का वर्जित ऊर्जा अंतराल कितना होता है ?
  11. सार्वत्रिक गेट कौन कौन से हैं ?नाम लिखिए ।

लघु उत्तरीय प्रश्न(4 अंक )-

  1. ऊर्जा बैंड के आधार पर चालक , विद्युतरोधी और अर्धचालक की व्याख्या कीजिये।
  2. n और p प्रकार के अर्धचालकों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  3. P-N संधि डायोड में अग्र एवं पश्च अभिनति को समझाकर धारा प्रवाह हेतु अभिलाक्षणिक वक्र खींचिए ।
  4. अर्द्धतरंग दिष्टकारी के रूप में P-N संधि डायोड का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत कीजिए।
    1) परिपथ का नामांकित चित्र
    2) कार्यविधि
    3) निवेशी व निर्गत विभव का समय के साथ परिवर्तन आरेख
  5. P – N संधि डायोड में अवक्षय पर्त केसे बनती है? समझाइए।
  6. पूर्ण दिष्टकारी के रूप में P-N संधि डायोड का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत कीजिए।
    1) परिपथ का नामांकित चित्र
    2) कार्यविधि
    3) निवेशी व निर्गत विभव का समय के साथ परिवर्तन आरेख
  7. आप NOR गेट की सहायता से OR तथा AND गेट कैसे प्राप्त करेगे? चित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए ।
  8. NAND गेट की सहायता से OR तथा AND गेट कैसे प्राप्त करेगे?चित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए ।
  9. NOT, OR, AND, NOR, NAND गेट के प्रतीक तथा सत्यमान सारणी लिखिए ।

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