MP Board 12th Nibandh Lekhan Question Bank 12वी आधारित निबंध लेखन प्रश्न

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इकाई 9निबंध लेखन (रूपरेखा सहित)04

निम्नलिखित विषयों पर सारगर्भित निबंध लिखिए-

  1. कोरोना से बचाव एवं सावधानियाँ
  2. प्रदूषण- कितना घातक।
  3. मनोरंजन के साधन
  4. भ्रष्टाचार की समस्या
  5. स्वावलंबन
  6. युवा एवं स्वरोजगार
  7. पर्वों का आनंद
  8. स्वास्थ्य का महत्व
  9. नारी शिक्षा का महत्व
  10. साहित्य और समाज
  11. मेरी यादगार रेल यात्रा
  12. सह-शिक्षा
  13. जीवन में संगीत का महत्व
  14. पुस्तकालय का महत्व
  15. मोहल्ले का बगीचा
  16. संक्रामक रोगों से बचाव
  17. बुजुर्गों की देखभाल
  18. जल का अपव्यय
  19. विवाह समारोह में बढ़ता दिखावा और फिजूलखर्ची
  20. जीवन में बचत का महत्व।

हिंदी में एक उत्कृष्ट निबंध कैसे लिखें: एक विस्तृत मार्गदर्शिका

परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने और अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल है। एक अच्छा निबंध केवल शब्दों का संग्रह नहीं होता, बल्कि यह लेखक के ज्ञान, विचार प्रक्रिया और भाषा पर उसकी पकड़ को दर्शाता है। आइए, एक प्रभावी निबंध लिखने की प्रक्रिया को चरण-दर-चरण समझते हैं।

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निबंध का प्रारूप और संरचना (The Format and Structure)

किसी भी अच्छे निबंध की एक निश्चित संरचना होती है, जिसे तीन मुख्य भागों में बांटा जाता है:

  1. प्रस्तावना (Introduction):
    • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य विषय का परिचय देना, पाठक का ध्यान आकर्षित करना और निबंध की दिशा तय करना है। यह आपके निबंध का प्रवेश द्वार है, इसलिए इसे आकर्षक और सारगर्भित होना चाहिए।
    • कैसे लिखें:
      • किसी प्रसिद्ध उक्ति या श्लोक से शुरुआत करें: विषय से संबंधित कोई प्रसिद्ध कहावत, कविता की पंक्ति या संस्कृत का श्लोक लिखने से एक शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है। जैसे, “स्वास्थ्य का महत्व” पर निबंध की शुरुआत “पहला सुख निरोगी काया” से की जा सकती है।
      • विषय को परिभाषित करें: विषय का अर्थ स्पष्ट करें। स्वास्थ्य क्या है? इसका दायरा कितना बड़ा है?
      • भूमिका बांधें: विषय के महत्व पर प्रकाश डालें और बताएं कि आप आगे के निबंध में किन-किन पहलुओं पर चर्चा करेंगे। यह एक रोडमैप की तरह काम करता है। प्रस्तावना बहुत लंबी नहीं, बल्कि संक्षिप्त और सटीक होनी चाहिए।
  2. विषय-विस्तार / मध्य भाग (Body Paragraphs):
    • उद्देश्य: यह निबंध का हृदय होता है, जहाँ आप विषय के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से विश्लेषण करते हैं। यहीं पर आप अपने तर्कों, तथ्यों, उदाहरणों और विचारों को प्रस्तुत करते हैं।
    • कैसे लिखें:
      • रूपरेखा का प्रयोग करें: लिखने से पहले एक रूपरेखा (outline) बना लेना अत्यंत सहायक होता है। इसमें आप तय कर सकते हैं कि मध्य भाग में किन-किन बिंदुओं को शामिल करना है। उदाहरण के लिए, “स्वास्थ्य का महत्व” के लिए रूपरेखा हो सकती है:
        • स्वास्थ्य का व्यापक अर्थ (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक)।
        • शारीरिक स्वास्थ्य का महत्व (संतुलित आहार, व्यायाम, निद्रा)।
        • मानसिक स्वास्थ्य का महत्व (तनाव प्रबंधन, सकारात्मक सोच)।
        • खराब स्वास्थ्य के दुष्परिणाम (व्यक्ति, समाज और राष्ट्र पर)।
        • स्वस्थ जीवनशैली में बाधाएँ (आधुनिक जीवनशैली, प्रदूषण)।
        • स्वास्थ्य सुधार के उपाय (व्यक्तिगत और सरकारी प्रयास)।
      • अनुच्छेदों में लिखें: पूरे मध्य भाग को अलग-अलग अनुच्छेदों (paragraphs) में विभाजित करें। प्रत्येक अनुच्छेद में एक मुख्य विचार या बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें।
      • तार्किक प्रवाह बनाए रखें: एक अनुच्छेद से दूसरे अनुच्छेद में जाते समय विचारों का एक सहज और तार्किक प्रवाह होना चाहिए। इसके लिए “इसलिए,” “इसके अतिरिक्त,” “अतः,” “दूसरी ओर,” जैसे संयोजक शब्दों का प्रयोग करें।
      • तथ्य और उदाहरण दें: अपने तर्कों को मजबूत बनाने के लिए प्रासंगिक तथ्य, आँकड़े, ऐतिहासिक संदर्भ और उदाहरण दें।
      • विश्लेषण करें: केवल जानकारी देने के बजाय, उसका विश्लेषण करें। बताएं कि किसी चीज का क्या कारण है, उसका क्या प्रभाव है, और उसके क्या समाधान हो सकते हैं।
  3. उपसंहार (Conclusion):
    • उद्देश्य: यह निबंध का अंतिम भाग है, जिसका उद्देश्य आपके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी विचारों को सारांशित करना और एक अंतिम, प्रभावशाली विचार के साथ निबंध को समाप्त करना है।
    • कैसे लिखें:
      • सारांश प्रस्तुत करें: मध्य भाग में चर्चा किए गए मुख्य बिंदुओं का संक्षिप्त सारांश दें। कोई भी नया विचार या तर्क यहाँ प्रस्तुत न करें।
      • निष्कर्ष निकालें: अपने विश्लेषण के आधार पर एक निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
      • भविष्य की दिशा या संदेश दें: आप एक सकारात्मक संदेश, एक चेतावनी, या भविष्य के लिए एक आशावादी दृष्टिकोण के साथ निबंध समाप्त कर सकते हैं।
      • पुनः किसी उक्ति का प्रयोग करें: जिस तरह शुरुआत एक उक्ति से की थी, उसी तरह अंत भी एक प्रासंगिक और शक्तिशाली उक्ति से किया जा सकता है।

एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए अतिरिक्त सुझाव:

  • भाषा-शैली: आपकी भाषा सरल, स्पष्ट और व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होनी चाहिए। बहुत अधिक कठिन और अप्रचलित शब्दों के प्रयोग से बचें। वाक्यों में विविधता लाएं—कुछ छोटे, कुछ बड़े।
  • मुहावरे और लोकोक्तियाँ: अपनी भाषा को सजीव और प्रभावशाली बनाने के लिए यथास्थान मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करें।
  • शब्द-सीमा का ध्यान रखें: यदि परीक्षा में शब्द-सीमा दी गई है, तो उसका पालन करने का प्रयास करें। रूपरेखा बनाने से इसमें मदद मिलती है।
  • पुनरावलोकन और संपादन: निबंध लिखने के बाद उसे एक बार ध्यान से पढ़ें। वर्तनी (spelling), व्याकरण और विराम चिह्नों की गलतियों को सुधारें।

इन सभी चरणों और सुझावों का पालन करके आप निश्चित रूप से एक उच्च-कोटि का निबंध लिख सकते हैं।

आदर्श निबंध: स्वास्थ्य का महत्व

(लगभग 1500 शब्द)

रूपरेखा:

  1. प्रस्तावना: “पहला सुख निरोगी काया” उक्ति से शुरुआत, स्वास्थ्य की परिभाषा और महत्व का परिचय।
  2. स्वास्थ्य का व्यापक अर्थ: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण।
  3. शारीरिक स्वास्थ्य का स्तंभ:
    • संतुलित आहार: पोषक तत्वों की भूमिका, जंक फूड के दुष्प्रभाव।
    • नियमित व्यायाम: योग, खेलकूद के लाभ, निष्क्रिय जीवनशैली के खतरे।
    • पर्याप्त निद्रा और विश्राम: शरीर और मस्तिष्क के लिए आवश्यकता।
  4. मानसिक स्वास्थ्य: अनदेखा पहलू:
    • आधुनिक जीवन में तनाव, चिंता और अवसाद।
    • मानसिक शांति के उपाय: ध्यान, शौक, सामाजिक जुड़ाव।
    • मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
  5. सामाजिक स्वास्थ्य और उसका महत्व:
    • स्वस्थ सामाजिक संबंध और संचार की भूमिका।
    • एक स्वस्थ व्यक्ति का समाज में योगदान।
  6. खराब स्वास्थ्य के दुष्परिणाम:
    • व्यक्तिगत स्तर पर: कार्यक्षमता में कमी, आर्थिक बोझ।
    • राष्ट्रीय स्तर पर: देश की उत्पादकता और विकास में बाधा।
  7. स्वस्थ जीवनशैली के समक्ष आधुनिक चुनौतियाँ:
    • प्रदूषण: वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव।
    • डिजिटल नशा: स्क्रीन टाइम का स्वास्थ्य पर असर।
    • मिलावटी खाद्य पदार्थ।
  8. स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और समाधान:
    • व्यक्तिगत जिम्मेदारी: जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव।
    • सरकारी नीतियां और पहल: स्वच्छ भारत मिशन, आयुष्मान भारत योजना।
    • स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता।
  9. उपसंहार: स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, इसका सारांश। एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण का आह्वान और स्वामी विवेकानंद के कथन से समापन।

निबंध

प्रस्तावना

भारतीय संस्कृति में सदियों से एक कहावत प्रचलित है – “पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया।” यह सरल सी पंक्ति जीवन के सबसे गहरे सत्य को उजागर करती है। संसार के समस्त सुख, धन-दौलत, पद-प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य तभी तक अर्थपूर्ण हैं, जब तक हमारा शरीर और मन स्वस्थ है। स्वास्थ्य वह अमूल्य निधि है जिसके बिना जीवन एक बोझ बन जाता है। वास्तव में, स्वास्थ्य केवल बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः कुशल और ऊर्जावान महसूस करता है। यह जीवन की आधारशिला है, जिस पर सफलता, समृद्धि और आनंद का महल खड़ा होता है। इस निबंध में हम स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों, उसके महत्व, वर्तमान चुनौतियों और एक स्वस्थ जीवन प्राप्त करने के उपायों पर विस्तार से विचार करेंगे।

स्वास्थ्य का व्यापक अर्थ

साधारणतः लोग स्वास्थ्य का अर्थ केवल शारीरिक रूप से हृष्ट-पुष्ट होने से लगाते हैं, परन्तु यह एक संकीर्ण दृष्टिकोण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, “स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है, न कि केवल रोग या दुर्बलता का अभाव।” यह परिभाषा स्वास्थ्य को एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। इसका तात्पर्य है कि एक स्वस्थ व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से सक्षम होता है, बल्कि वह मानसिक रूप से भी शांत, संतुलित और सकारात्मक होता है तथा समाज में अपने संबंधों को प्रभावी ढंग से निभाने में सक्षम होता है। ये तीनों आयाम एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और किसी एक के भी प्रभावित होने पर अन्य दो पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

शारीरिक स्वास्थ्य का स्तंभ

शारीरिक स्वास्थ्य, समग्र स्वास्थ्य का सबसे प्रत्यक्ष और बुनियादी पहलू है। हमारा शरीर एक मशीन की तरह है, जिसे सुचारू रूप से चलाने के लिए सही ईंधन और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसके तीन मुख्य स्तंभ हैं:

  1. संतुलित आहार: “जैसा अन्न, वैसा मन” – यह कहावत आहार के महत्व को दर्शाती है। संतुलित आहार वह है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, और खनिज जैसे सभी आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में मौजूद हों। फल, सब्जियाँ, अनाज, दालें और डेयरी उत्पाद हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं, शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं और हमें बीमारियों से लड़ने की शक्ति देते हैं। इसके विपरीत, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रचलित जंक फूड, जैसे पिज्जा, बर्गर और मीठे पेय पदार्थ, शरीर को केवल कैलोरी देते हैं, पोषण नहीं। इनके अत्यधिक सेवन से मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियाँ जन्म लेती हैं।
  2. नियमित व्यायाम: हमारा शरीर चलने-फिरने और श्रम करने के लिए बना है। नियमित व्यायाम रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है, हड्डियों को घनत्व प्रदान करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है। प्रतिदिन कम से कम 30-40 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना, दौड़ना, योग, तैराकी या कोई भी खेल, हमें न केवल शारीरिक रूप से फिट रखती है बल्कि ‘एंडोर्फिन’ नामक हार्मोन भी जारी करती है, जो हमें खुश और तनावमुक्त महसूस कराता है। आधुनिक तकनीक ने हमारे जीवन को आरामदायक तो बनाया है, लेकिन इसने हमें एक निष्क्रिय जीवनशैली की ओर भी धकेल दिया है, जो स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है।
  3. पर्याप्त निद्रा और विश्राम: दिन भर की थकान और टूट-फूट के बाद शरीर और मस्तिष्क को पुनर्जीवित होने के लिए पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है। एक वयस्क व्यक्ति के लिए 7-8 घंटे की गहरी नींद अनिवार्य है। नींद के दौरान हमारा शरीर कोशिकाओं की मरम्मत करता है और मस्तिष्क दिन भर की सूचनाओं को व्यवस्थित करता है। नींद की कमी से एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन और निर्णय लेने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य: एक अनदेखा पहलू

अक्सर समाज में शारीरिक स्वास्थ्य पर तो बहुत ध्यान दिया जाता है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जबकि सत्य यह है कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है और एक स्वस्थ मन के बिना शरीर भी स्वस्थ नहीं रह सकता। आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में काम का दबाव, रिश्तों में तनाव और भविष्य की चिंता ने लोगों को अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी) और तनाव का शिकार बना दिया है।

मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए ध्यान (मेडिटेशन) और प्राणायाम अत्यंत प्रभावी उपाय हैं। ये हमें अपने विचारों को नियंत्रित करने और मन को शांत रखने में मदद करते हैं। अपनी रुचि के कार्यों, जैसे संगीत सुनना, चित्रकारी करना, बागवानी करना या कोई वाद्य यंत्र बजाना, के लिए समय निकालना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक टॉनिक का काम करता है। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, अपनी भावनाओं को साझा करना और एक मजबूत सामाजिक समर्थन प्रणाली का होना हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।

सामाजिक स्वास्थ्य और उसका महत्व

सामाजिक स्वास्थ्य का अर्थ है दूसरों के साथ स्वस्थ और संतोषजनक संबंध बनाने और बनाए रखने की क्षमता। एक सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति प्रभावी ढंग से संवाद करता है, दूसरों के प्रति सहानुभूति रखता है और समाज का एक उत्पादक सदस्य होता है। मजबूत सामाजिक संबंध हमें अकेलापन और अलगाव की भावना से बचाते हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति ही एक स्वस्थ परिवार, एक स्वस्थ समाज और अंततः एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।

खराब स्वास्थ्य के दुष्परिणाम

खराब स्वास्थ्य का प्रभाव केवल व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, यह पूरे राष्ट्र को प्रभावित करता है। व्यक्तिगत स्तर पर, एक बीमार व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता, जिससे उसकी उत्पादकता घट जाती है। इलाज पर होने वाला खर्च उस पर और उसके परिवार पर एक बड़ा आर्थिक बोझ डालता है। राष्ट्रीय स्तर पर, यदि देश के नागरिक अस्वस्थ होंगे, तो देश का मानव संसाधन कमजोर हो जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ेगा और देश की आर्थिक प्रगति धीमी हो जाएगी। एक अस्वस्थ पीढ़ी राष्ट्र के भविष्य के लिए सबसे बड़ा संकट है।

स्वस्थ जीवनशैली के समक्ष आधुनिक चुनौतियाँ

आज मानव स्वास्थ्य के समक्ष कई नई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। बढ़ता शहरीकरण और औद्योगिकीकरण वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण का कारण बना है, जो अस्थमा, कैंसर और अन्य श्वसन रोगों को जन्म दे रहा है। कृषि में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग और खाद्य पदार्थों में मिलावट ने हमारी थाली में जहर परोस दिया है। इसके अतिरिक्त, स्मार्टफोन और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग ने “डिजिटल नशा” को जन्म दिया है, जिससे नींद की कमी, आँखों पर दबाव और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और समाधान

इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सबसे पहले, व्यक्तिगत स्तर पर हमें अपनी जीवनशैली के प्रति जागरूक और जिम्मेदार बनना होगा। हमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाना होगा।

सरकारी स्तर पर भी कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। “स्वच्छ भारत मिशन” ने स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, तो वहीं “आयुष्मान भारत योजना” गरीबों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रही है। स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि बच्चे छोटी उम्र से ही स्वास्थ्य के महत्व को समझ सकें।

उपसंहार

अंततः, यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी और सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है। यह वह आधार है जिस पर जीवन का हर दूसरा सुख निर्भर करता है। हम धन-दौलत, ज्ञान और सफलता फिर से अर्जित कर सकते हैं, लेकिन एक बार खोया हुआ स्वास्थ्य वापस पाना अत्यंत कठिन है। इसलिए, हमें अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे एक अनमोल खजाने की तरह सहेजना चाहिए।

एक-एक व्यक्ति के स्वस्थ होने से ही एक स्वस्थ समाज और एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण होता है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” आइए, हम सब मिलकर एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने

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