MP Board 12th Apathi Bodh Gadyansh Kavyansh Question Bank 12वी अपठित बोध गद्यांश काव्यांश आधारित प्रश्न

MP Board 12th Apathi Bodh Gadyansh Kavyansh Question Bank अपठित बोध – गद्यांश

(1) देवी अहिल्या प्रातः स्मरणीय जैसे अलंकर अहिल्याबाई को छोड़कर इतिहास के अन्य शासक के नाम के साथ नहीं लगाए गए। मालवा की होलकर रियासत में मालवाधिपति देवी श्री अहिल्याबाई होलकर जैसी एकमात्र सामंत हुई जो सामान्य परिवार में हुई मगर देश की महत्वपूर्ण रियासत की स्वामिनी बनने का जिन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। बावजूद इसके वे आखिर तक सामान्य ही बनी रहीं। होलकर राजवंश के आरंभिक वर्षों में होलकर की गद्दी पर बैठकर होलकर राज्य के शासन सूत्र को अत्यंत कुशलता क्षमता निस्पृहता और हर्ष भाव से चलाने वाली देवी अहिल्याबाई होलकर का स्थान भारत के शासकों में अद्वितीय रहा है । उन्होंने जिस उदार भूमिका से शासन सूत्र संभाला और धीरता वीरता साहस और पटुता के साथ उस समय के राजनीतिक सामाजिक और युद्ध क्षेत्रों पर अद्वितीय तरीके से शासन किया वह भारत के इतिहास में पवित्र धरोहर के रूप में स्थापित है। आज भी पुण्य श्लोका लोकमाता देवी श्री अहिल्याबाई होलकर के धर्ममय और लोक सेवा परायण जीवन तथा कार्यों की पुण्य स्मृति हमें अभिभूत और प्रेरित करती रहती है।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
  2. देवी अहिल्याबाई का शासन इतिहास की धरोहर क्यों कहा गया है?
  3. ‘निस्पृहता’ का समानार्थी लिखिए।
  4. ‘धैर्य’ का विशेषण रूप लिखिए।

(2) समय का पर्याय काल तीन भागों में बांटा गया है भूत, वर्तमान एवं भविष्य काल। आज अर्थात वर्तमान जो है वह आने वाले समय के लिए भूत की संज्ञा प्राप्त करता है और जो भविष्य के नाम से जाना जा रहा है और वह अपने आने वाले कल के लिए वर्तमान का रूप ले लेगा। समय को वक्त को पकड़ा या रोका नहीं जा सकता है। मानव को निर्धारित समय पर अपना काम कर लेना चाहिए वरना वक्त बीत जाने के बाद सिर्फ पछतावा करने के अलावा हाथ में कुछ नहीं रहता। यह विद्यार्थियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है प्रत्येक सत्र में एक निश्चित कक्षा की परीक्षाएं निर्धारित होती है उस परीक्षा में प्रवेश करने की तैयारी पहले से आरंभ कर लेनी चाहिए और उस परीक्षा को निर्धारित समय पर देना चाहिए। यदि विद्यार्थी परीक्षा देने से वंचित हो जाए तो वह अगली कक्षा में प्रवेश नहीं कर पाएगा और अब पछताएगा होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत की कहावत चरितार्थ हो जाएगी। जीवन में अच्छे अवसर बार-बार नहीं आते हैं। अवसर को हाथ से जाने नहीं देना ही बुद्धिमानी है और यह समय की पाबंदी से ही संभव है। मानव मात्र को वक्त से पहले ही अपने लक्ष्य या कर्म को योजना बनाकर संपन्न कर लेना चाहिए।

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प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
  2. गद्यांश में प्रयुक्त कहावत लिखिए।
  3. गद्यांश के अनुसार बुद्धिमानी क्या है?
  4. गद्यांश में प्रयुक्त एक शब्द युग्म लिखिए।

(3) वर्तमान दौर में किसी भी आयु वर्ग को असफलता सहज स्वीकार्य नहीं होती, किंतु यह स्थिति किशोरावस्था और युवावस्था में बेहद संवेदनशील होती है जब किसी युवा को लगता है कि वह अपने अभिभावकों के स्वप्न को साकार नहीं कर पाएगा तो वह नकारात्मक सोच में डूब जाता है। इस तरह की परिस्थिति उसे कहीं न कहीं कोई नकारात्मक कदम उठाने के लिए विवश करती है। ये सच है कि युवावस्था उम्र का संक्रमण काल है। इस समय उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है खासतौर से करियर, जॉब, रिश्ते, व्यक्तिगत समस्याएँ आदि। हर युवा को चाहिए कि यदि उसकी जिंदगी में किसी प्रकार की परेशानी है जो बेचैन करती है तो उसे अपने दोस्तों, परिवार वालों के साथ शेयर करें। यदि समस्या है तो समाधान भी है। कभी कोई घातक कदम उठाने की कोशिश न करें। याद रखिए कि हमारी जिंदगी सिर्फ हमारी नहीं है उसके साथ कई लोगों की उम्मीदें और भावनाएं जुड़ी हुई हैं। कठिनाई का सामना करके उसे हल किया जाता है। पलायन किसी समस्या का समाधान नहीं है।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
  2. युवाओं पर सामान्य तौर से क्या दबाव होता है।
  3. ‘रक्षक’ शब्द का विलोम गद्यांश से लिखिए।
  4. पलायन का समानार्थी लिखिए।

(4) भारत की भौगोलिक संरचना के कारण यहां की जलवायु में विविधता देखने को मिलती है। भारत जो तीन ओर पूर्व पश्चिम व दक्षिण में क्रमशः बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर से घिरा है वहीं उत्तर में हिमालय की बर्फीली पर्वत चोटियां मस्तक उठाए हैं फलस्वरूप कहीं अधिक ग्रीष्म तो कहीं अधिक शीत तो कहीं अधिक वर्षा ऋतु होती है। जलवायु की विविधता के कारण यहां के लोगों की जीवनशैली, भाषा भी प्रभावित होती है। प्रत्येक राज्य की अपनी अलग भाषा मराठी, गुजराती, तमिल, कन्नड़ आदि है। उनकी संस्कृति मिश्र है । प्रारंभ में विदेशी आक्रमणों के कारण यहां अनेक धर्म सनातन धर्म के अतिरिक्त इस्लाम, यहूदी, जैन पारसी, बौद्ध आदि हैं। इन विविधताओं के बावजूद भारत में राष्ट्रीय एकता प्रत्येक राज्य में दृष्टिगोचर होती है । भारत भूमि को माता की संज्ञा दी गई है । कहा भी गया है कि जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है । भारत के प्रत्येक राज्य विभिन्न विविधताओं के कारण उत्पन्न समस्याओं में मदद के लिए परस्पर तैयार रहते हैं। सभी धर्म भाषा व जाति के लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं और राष्ट्र की रक्षा- सुरक्षा के लिए एकजुट होकर आगे आते हैं।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
  2. जलवायु विविधता का क्या परिणाम होता है?
  3. सनातन का समानार्थी लिखिए।

(5) भारतीय संस्कृति में पर्व का अत्यधिक महत्व है। पर्व किसी संस्कृति के वह अंग है जिनके बिना वह संस्कृति अधूरी रह जाती है । पर्व हमें ऐसा अवकाश प्रदान करते हैं कि हम अपने जीवन के विषय में अच्छा सोच सकते हैं । जिंदगी की भाग दौड़ के बीच ये हमें ऐसे पल प्रदान करते हैं जब हम अपने विषय में कुछ अच्छा सोच सकते हैं। जीवन प्रवाह को सही दिशा देने वाले पर्व ही होते हैं । जीवन व्यवहार की समस्त कटुताएं भी पर्व के द्वारा ही समाप्त हो जाती हैं। ये जीवन में ऊर्जा प्रदीप्त करते हैं रिश्तों में मधुर रस घोलते हैं प्रेम सद्भावना जीवन में नियोजित करते हैं तथा ज्ञान, आचरण, विश्वास को परिमार्जित करने का प्रयास करते हैं अतः सभी धार्मिक राष्ट्रीय पर्वों को उल्लास के साथ मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए। यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि हमारे आनंद के कारण किसी और को किसी भी तरह की तकलीफ न पहुंचे। अपने आनंद में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना अपने आनंद को बांटना ही किसी भी पर्व का असली उद्देश्य होना चाहिए।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
  2. पर्व का असली उद्देश्य क्या है? लिखिए।
  3. ‘परिमार्जित’ का समानार्थी लिखिए।

(6) स्वच्छता हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग है स्वच्छ शरीर में स्वच्छ आत्मा का निवास होता है। स्वच्छता का संबंध स्वस्थ रहने से भी है। हमारा नारा है – स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत। स्वच्छता घर की ही नहीं वरन आसपास के परिवेश की भी आवश्यक होती है। अक्सर हम अपना घर तो साफ रखते हैं पर बाहरी परिवेश की गंदगी के लिए सारा दोष सरकार पर लगाते हैं। जबकि वह गंदगी भी हमारे द्वारा फैलाई गई होती है ।अतः स्वच्छता अभियान के जरिए साफ सुथरा माहौल बनाना ही इस अभियान का मूल मकसद है । स्वच्छता अभियान भारत सरकार द्वारा वृहद पैमाने पर चलाया जा रहा है। दूरदर्शन आकाशवाणी के द्वारा इसका प्रचार किया जा रहा है। अभियान का क्रियान्वयन एक चुनौती है परंतु यदि हमारा जनमानस और छात्र भी एकजुट होकर इस अभियान में जुट जाए तो इस अभियान को कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
  2. स्वच्छता अभियान की कामयाबी के लिए क्या आवश्यक है?
  3. ‘लघु’ का विलोम गद्यांश में से लिखिए।

(7) अभी कुछ समय पहले ही संयुक्त परिवार हमारी संस्कृति की विशेषता हुआ करता था। संयुक्त परिवार को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैं कि जिसमें एक ही घर में एक साथ कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं। जिस परिवार में तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य साथ-साथ निवास करते हैं जिनकी रसोई, पूजा एवं संपत्ति सामूहिक होती है। संयुक्त परिवार को यदि आज की आवश्यकता कहा जाए तो गलत न होगा। ऐसे परिवार में मिलजुल कर रहने की भावना की प्रधानता होती है इसमें सभी लोग एक दूसरे का सहारा बनते हैं। लेकिन आधुनिक समय में ऐसे परिवार का चलन कम हो गया है जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। इस पूरे संदर्भ में एक बात बहुत अच्छी है कि युवा पीढ़ी का ध्यान इसके समाधान की ओर गया है। उसे लगता है कि संयुक्त परिवारों का टूटना अगले संस्कारों पर ग्रहण लगने के समान है। अतः इस परंपरा को पुनर्जीवित करना जरूरी है ताकि समस्याओं का समाधान हो सके उन्हें अकेलेपन से मुक्ति मिल सके तथा बच्चों को स्वस्थ और आनंदमयी वातावरण मिल सके।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
  2. आधुनिक युवा पीढ़ी की अब संयुक्त परिवार के बारे में क्या सोच है?
  3. संयुक्त परिवार को कैसे परिभाषित किया जा सकता है?

(8) एक संस्कृत व्यक्ति किसी नयी वस्तु की खोज करता है किंतु उसकी संतान को वह अपने पूर्वज से अनायास ही प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत है। वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है और उसकी संतान जिसे वह वस्तु अनायास ही प्राप्त हो गई वह पूर्वज की भांति सभ्य भले ही बन जाए संस्कृत नहीं कहला सकता। एक आधुनिक उदाहरण लें। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था आज के युग का आज के युग का भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण से तो परिचित है ही; लेकिन उसके साथ उसे और भी अधिक बातों का ज्ञान प्राप्त है जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा। ऐसा होने पर भी हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सकें; पर न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते ।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
  2. संस्कृत व्यक्ति किसे कहा गया है?
  3. ‘ज्ञान’ शब्द का विशेषण लिखिए।

(9) जीवन और जगत को सुखी और शांत बनाने के लिए माधुर्य से अधिक लाभदायक वस्तु और क्या हो सकती है। श्रोता और वक्ता दोनों को अभेद विभोर कर देने वाला यह मधुर भाषण समाज की पारस्परिक मान- मर्यादा, प्रेम- प्रतिष्ठा और श्रद्धा- विश्वास का आधार स्तंभ है। इनके अभाव में समाज कलह, ईर्ष्या- द्वेष और वैमनस्य का घर बन जाता है। मधुर बोलने वाले मनुष्य का समाज में आदर होता है। मधुरभाषी के मुख से निकला हुआ एक-एक शब्द सुनने वाले का जी लुभाता है। ऐसा लगता है मानो उसके मुंह से फूल झड़ रहे हों। मीठे वचन सुनने वाले को ही आनंद नहीं आता बल्कि वक्ता भी आत्मा का आनंद अनुभव करता है । वक्ता को एक विशेष लाभ यह है कि उसके मन की अहंकारी , दंभपूर्ण और गौरवपूर्ण भावनाएं अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं। अहंकारी व्यक्ति मधुर भाषी हो सकता है। मधुर वाणी से मनुष्य में नम्रता, शिष्टता , सहृदयता आदि गुणों का उदय होता है। जिनसे जीवन प्रकाशपूर्ण और शांत बन जाता है । क्रोध उसके पास नहीं आता । मधुर वाणी एक अनमोल वरदान है।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
  2. मधुर बोलने से क्या लाभ है?
  3. गद्यांश में प्रयुक्त कौन सा शब्द कठोरता का विलोम है ?

(10) स्वामी विवेकानंद जी का चिंतन भारतीय जीवन-तत्वों के सारभूत तत्वों को प्रस्तुत करने वाला है। उनकी प्रासंगिकता इस समय इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि वह हमारी आज की जिज्ञासाओं का समीचीन समाधान प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने शिकागो के सुप्रसिद्ध विश्व धर्म सम्मेलन में जो व्याख्यान दिए थे वह आज हमारे लिए एक ग्रंथ का काम करता है। वे सांप्रदायिकता हठधर्मिता और वीभत्स धर्मांधता का विरोध करते हैं। उन्होंने एक ऐसे सुखद भविष्य के प्रति अपनी आशावादिता को प्रकट किया है जिसमें मनुष्य की पारस्परिक कटुताओं से मुक्त होकर यह संसार एक समुन्नत मानवीय चेतना से परिपूर्ण होगा। उनके विचारों की स्पष्टता और उनकी वाणी के ओज ने उन्हें संपूर्ण विश्व के युवाओं का चहेता बना दिया। हर युवा उन्हें पढ़ना उन्हें जानना चाहता है। उनका मानना था आलस्य की हमारे जीवन में कोई जगह ही नहीं होनी चाहिए। अहंकार और ईर्ष्या को सदा के लिए नष्ट कर दो। काम, काम और सिर्फ काम ही एकमात्र मूलमंत्र होना चाहिए।

प्रश्न –

  1. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
  2. विवेकानंद जी का विरोध किसके प्रति था ?
  3. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘स

अपठित काव्यांश –

1- “जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम,
दोनों हाथ उलीचिये, यही सयानों काम।

प्रश्न –
i नाव में पानी बढ़ने पर क्या करना चाहिए?
ii घर में संपत्ति बढ़ने पर क्या करना बुद्धिमानी है?
iii उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

2- कल जो हमारी सभ्यता पर हँसे थे अज्ञान से,
आज लज्जित हो रहे हैं अधिक अनुसंधान से।
जो आज प्रेमी है हमारे भक्त कल होंगे वहीं,
जो आज व्यर्थ विरक्त है अनुरक्त कल होंगे वहीं।

प्रश्न –
i हमारी सभ्यता पर लोग क्यों हँस रहे थे?
ii अनुरक्त का विलोम लिखिए।
iii आज कौन लज्जित हो रहे है?

3- “हम अनिकेतन हम अनिकेतन
हमते रमते राम हमारा, क्या घर, क्या दर कैसा वेतन,
अब तक इतनी यों ही काटी, अब क्या सीखे नव परिपाटी,
कौन बनाए आज घरौंदा, हाथों चुन..चुन कंकड़ माटी,
ठाट फकीराना है अपनाए वापांवर सोहे अपने तन”

प्रश्न –
i उक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
ii कवि अपने आपको अनिकेतन क्यों कहता है?
iii उक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

4- कई दिनों तक चुल्हा रोया, चक्की रही उदास,
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उसके पास।
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त,
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही सिकस्त।

प्रश्न –
i कई दिनों से चक्की उदास क्यों थी।
ii उक्त पंक्तियाँ कौन सी प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा करती हैं?
iii उक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

5 – “माँ तुम्हारा ऋण बहुत है मैं अकिंचन,
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन,
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण,
ज्ञान अर्पित प्राण अर्पित,
रक्त का कण..कण समर्पित,
चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ ।।”

प्रश्न –
i उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक क्या होगा?
ii कवि भारत माँ को क्या अर्पित करना चाहता है?
iii देश की धरती का हम पर क्या ऋण है?

6- “गगन..गगन तेरा यश फहरा
पवन..पवन तेरा बल गहरा
क्षिति..जल..नभ पर डाल हिंडोला
चरण..चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के वेश
प्यारे भारत देश।”

प्रश्न –
i उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
ii आप अपने देश को प्यार क्यों करते है?
iii उक्त काव्यांश का भावार्थ लिखिए।

7- “जी पहले कुछ दिन शर्म लगी मुझको,
पर पीछे..पीछे अक्ल जगी मुझको,
जी लोगों ने तो बेंच दिये ईमान,
जी आप न हो सुनकर ज्यादा हैरान,
मैं सोच..समझकर आखिर,
अपने गीत बेचता हूँ,
जी हाँ हुजूर में गीत बेचता हूँ”

प्रश्न –
i उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।
ii कवि को गीत बेचने में शर्म क्यों नहीं आती?
iii उपर्युक्त काव्यांश का सारांश लिखिए।

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