MP Board 12th Hindi Aaroh 2 Kavya Bodh Question Bank :
काव्य बोध
- काव्य के भेद
- प्रबंध काव्य (इसके भेद और उदाहरण सहित)
- मुक्तक काव्य (इसके भेद और उदाहरण सहित)
- रस
- रस का परिचय, परिभाषा, अंग, प्रकार एवं उदाहरण।
- अलंकार
- अलंकार का परिचय एवं प्रकार।
- संदेह
- सांगरूपक
- भ्रांतिमान
- विरोधाभास
- व्यतिरेक
- छंद
- छंद का परिचय एवं प्रकार।
- सोरठा
- कवित्त
- सवैया
- रुबाइयाँ
- शब्द शक्ति
- शब्द शक्ति का परिचय एवं प्रकार।
- शब्द गुण
- शब्द गुण का परिचय एवं प्रकार।
- बिम्ब विधान
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions)
दसवों रस माना गया है –
(अ) करुण
(ब) श्रृंगार
(स) भयानक
(द) वात्सल्य
उतेजना के मूल कारण को कहते हैं –
(अ) विभाव
(ब) अनुभाव
(स) स्थाई भाव
(द) संचारी भाव
किस रस को रसरराज कहा गया है? –
(अ) करुण
(ब) श्रृंगार
(स) भक्ति
(द) वात्सल्य
कौन सा रस हमारे मन में उत्साह का संचार करता है? –
(अ) वीर
(ब) शांत
(स) हास्य
(द) रौद्र
कौन सा भाव सुप्तअवस्था में विद्यमान रहता है?
(अ) स्थाई
(ब) अस्थाई
(स) विभाव
(द) संचारी भाव
Answer: (अ) स्थाई
‘रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम’
उपर्युक्त पंक्ति में किस रस की अनुभूति होती है?
(अ) शांत रस
(ब) श्रृंगार रस
(स) भक्ति रस
(द) भयानक रस
Answer: (स) भक्ति रस
आतंकवादी नाम मात्र से उत्पन्न भय किसके अंतर्गत आएगा?
(अ) विभाव
(ब) अनुभाव
(स) संचारी भाव
(द) इनमें से कोई नहीं
Answer: (अ) विभाव
माता की मृत्यु के वर्णन में कौन सा रस रहता है?
(अ) हास्य
(ब) भयानक
(स) करुण
(द) वीर
Answer: (स) करुण
रामचरितमानस के ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम-संवाद’ में तुलसी ने किस रस का प्रयोग किया है?
(अ) शांत रस
(ब) श्रृंगार रस
(स) वीर रस
(द) भक्ति रस
Answer: (स) वीर रस
हरिश्चंद्र नाटक के ‘श्मशान-वर्णन’ में किस रस की अनुभूति होती है?
(अ) करुण रस
(ब) वीभत्स रस
(स) भयानक रस
(द) शांत रस
Answer: (ब) वीभत्स रस
महाकाव्य में जीवन का चित्रण होता है-
(अ) खंड चित्रण
(ब) समग्र चित्रण
(स) चित्रण नहीं होता
(द) इनमें से कोई नहीं
Answer: (ब) समग्र चित्रण
खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है-
(अ) कामायनी
(ब) प्रियप्रवास
(स) साकेत
(द) रामचरित मानस
Answer: (ब) प्रियप्रवास
पार्वती मंगल तथा पथिक है-
(अ) महाकाव्य
(ब) खंडकाव्य
(स) मुक्तक काव्य
(द) प्रबंध काव्य
Answer: (ब) खंडकाव्य
जिसमें जीवन की किसी एक घटना का वर्णन हो; कहलाता है –
(अ) महाकाव्य
(ब) खंडकाव्य
(स) पाठ्य मुक्तक
(द) गेय मुक्तक
Answer: (ब) खंडकाव्य
ऐसी पद बंध रचना जिसमें एक लघु (आख्यान) कथा वर्णित होती है तथा जिसके छंदों में गेयता होती है कहलाता है-
(अ) पाठ्य मुक्तक
(ब) मुक्तक काव्य
(स) महाकाव्य
(द) आख्यान क गीत
Answer: (अ) पाठ्य मुक्तक
कबीर, तुलसी एवं रहीम के नीति संबंधी दोहे उदाहरण हैं –
(अ) पाठ्य मुक्तक
(ब) गेयमुक्तक
(स) आख्यानक गीत
(द) इनमें से कोई नहीं।
Answer: (ब) गेयमुक्तक
‘वक्रोक्ति काव्यस जीवितम’ परिभाषा है।
(अ) आचार्य विश्वनाथ
(ब) कुंतक
(स) जगन्नाथ
(द) आनंद वर्धन
Answer: (ब) कुंतक
सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य है-
(अ) रामचरितमानस
(ब) कामायनी
(स) साकेत
(द) पद्मावत
Answer: (अ) रामचरितमानस
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्द कहलाते है-
(अ) अलंकार
(ब) आलोचना
(स) आलंबन
(द) पात्र
Answer: (अ) अलंकार
जहाँ शब्द चयन द्वारा कथन में सौंदर्य आता है वहाँ होता है-
(अ) शब्दालंकार
(ब) अर्थालंकार
(स) उभया अलंकार
(द) इनमें से कोई नहीं
Answer: (अ) शब्दालंकार
काव्य के अर्थ और भाव को चमत्कार पूर्ण बनाने वाले अलंकार कहलाते है-
(अ) अर्थालंकार
(ब) शब्दालंकार
(स) अनुप्रास अलंकार
(द) उपमा अलंकार
Answer: (अ) अर्थालंकार
“लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता का अवतार” में अलंकार है-
(अ) भ्रांतिमान अलंकार
(ब) संदेह अलंकार
(स) विरोधाभास
(द) इनमें से कोई नहीं
Answer: (ब) संदेह अलंकार
“चंद के भ्रम होत, मोद है कुमोदिनी को” । उदाहरण है –
(अ) उपमा अलंकार
(ब) संदेह अलंकार
(स) भ्रांतिमान अलंकार
(द) विरोधाभास अलंकार
Answer: (स) भ्रांतिमान अलंकार
“मोहब्बत एक मीठा जहर है” इस वाक्य में अलंकार है –
(अ) विभावना
(ब) विरोधाभास
(स) विशेषोक्ति
(द) व्यतिरेक
Answer: (ब) विरोधाभास
उपमेय के अंगों अथवा अवयवों का आरोप उपमान के अंगों अथवा अवयवों का आरोप कहलाता है।
(अ) सांग रूपक
(ब) उपमा
(स) उत्प्रेक्षा
(द) अनुप्रास
Answer: (अ) सांग रूपक
कविता के शाब्दिक अनुशासन को कहते हैं-
(अ) रस
(ब) छंद
(स) अलंकार
(द) वाक्य
Answer: (ब) छंद
छंद के प्रकार हैं-
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
Answer: (अ) 2
मात्रा की गणना के आधार पर जिस छंद की रचना होती है, उसे कहते हैं-
(अ) वर्णिक छंद
(ब) मात्रिक छंद
(स) घनाक्षरी छंद
(द) दोहा छंद
Answer: (ब) मात्रिक छंद
कविता के प्रत्येक चरण में वर्ण होते हैं –
(अ) 36
(ब) 33
(स) 31
(द) 28
Answer: (स) 31
हिंदी काव्य में मुक्त छंद के प्रवर्तक हैं-
(अ) सुमित्रानंदन पंत
(ब) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(स) महादेवी वर्मा
(द) जयशंकर प्रसाद।
Answer: (ब) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
दुर्मिल में वर्णों की संख्या होती है –
(अ) 26
(ब) 28
(स) 32
(द) 24
Answer: (द) 24
दोहा छंद का उल्टा होता है-
(अ) सोरठा
(ब) सवैया
(स) कवित्त
(द) छप्पय
Answer: (अ) सोरठा
‘यति’ का छंद में अर्थ है-
(अ) विराम
(ब) लय
(स) गति
(द) तुक
Answer: (अ) विराम
उर्दू और फारसी की छंद शैली कहलाती है-
(अ) गजल
(ब) रुबाई
(स) चौपाई
(द) इनमें से कोई नहीं
Answer: (द) इनमें से कोई नहीं
मात्रिक छंद का उदाहरण है-
(अ) कवित्त
(ब) सवैया
(स) सोरठा
(द) इनमें से कोई नहीं।
Answer: (स) सोरठा
माधुर्य काव्य गुण किन रसों में पाया जाता है?
(अ) वीर रस
(ब) श्रृंगार रस
(स) करुण रस
(द) हास्य रस
Answer: (ब) श्रृंगार रस
काव्य गुणों की संख्या कितनी मानी गई है?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
Answer: (ब) 3
जिस काव्य गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त व्याप्त हो जाता है, अर्थात सहृदय के चित्त में अर्थ पूरे का पूरा रम जाता है उसे कहते हैं-
(अ) माधुर्य गुण
(ब) ओज गुण
(स) प्रसाद गुण
(द) कोई गुण नहीं
Answer: (स) प्रसाद गुण
रिक्त स्थान मे सही विकल्प चुनकर लिखिए –
- आचार्य भरत ने (रस को / अलंकार को) काव्य की आत्मा माना है।
- आश्रय के चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थाई मनोविकारों को (संचारी भाव / स्थाई भाव) कहते हैं।
- भाव पक्ष में (रस / अलंकार) प्रधान होता है।
- संचारी भाव की संख्या (33 / 11) मानी गई है।
- स्थाई भाव की संख्या (10 / 12) मानी गई है।
- प्रत्येक रस का एक (स्थाई भाव / संचारी भाव) नियत होता है।
- रस के प्रमुख भेद (12 / 10) होते हैं।
- रस के प्रमुख अंग (4 / 5) होते हैं।
- वीभत्स रस का स्थाई भाव (जुगुप्सा / विस्मय) होता है।
- विभाव के (2 / 4) प्रकार होते हैं।
- अनुभाव के भेद (4 / 5) होते हैं।
- आश्रय के बाह्य शारीरिक चेष्टाएं (अनुभाव / विभाव) कहलाती हैं।
- स्थाई भाव को जागृत करने वाले कारण (आलंबन / उद्दीपन) कहलाते हैं।
- क्रोध स्थाई भाव जागृत होकर (रौद्र / हास्य) रस के रूप में परिणित होता है।
- व्यक्ति को पढ़कर, देख कर अथवा सुनकर (हास्य / अद्भुत) रस की निष्पत्ति होती है।
- काव्य के (2 / 3) भेद होते हैं।
- ‘रमणीय्यार्थ प्रतिपादकः शब्द: काव्य म’ (जगन्नाथ / विश्वनाथ) कहा है।
- खंडकाव्य सर्ग बद्ध होना (सही / नहीं) माना जाता है।
- कुरुक्षेत्र (महाकाव्य / खंडकाव्य) है।
- महाकाव्य में (8 / 4) सर्ग होते हैं।
- रामचरित मानस महाकाव्य (तुलसीदास / सूरदास) का है।
- मुक्तक काव्य (स्वतंत्र / अप्रतिबद्ध) होते हैं।
- मधुशाला (मुक्तक / प्रबंध) काव्य है।
- बिहारी सतसई रचना (बिहारी / घनानंद) की है।
- मुक्तक काव्य में प्रत्येक (छन्द / रस) का स्वतंत्र अर्थ होता है।
- सूरदास के पद (मुक्त / प्रबंध) कहलाते हैं।
- (प्रबंध काव्य / मुक्तक काव्य) के दो भेद महाकाव्य और खंडकाव्य हैं।
- रागात्मकता की प्रधानता वाले मुक्तक को (गेय मुक्तक / पाठ्य मुक्तक) कहते हैं।
- शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले अलंकरण को (अलंकार / छन्द) कहते हैं।
- (संदेह / भ्रांतिमान) अलंकार में अनिश्चय की स्तिथि बनी रहती है।
- जहाँ कथन में शब्द गत और अर्थ गत दोनों ही प्रकार का चमत्कार और सौंदर्य हो वहाँ (उभया अलंकार / शब्दालंकार) होता है।
- किसी विशेष समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाए वहाँ (भ्रांतिमान / संदेह) होता है।
- काव्य का शरीर (छंद / अलंकार) कहा जाता है।
- उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाता है। वह (व्यतिरेक अलंकार / विभावना) कहलाता है।
- छन्द शास्त्र में ‘पाद’ का अर्थ छंद का (चतुर्थ / तृतीय) भाग होता है।
- एक छन्द में (4 / 2) से अधिक चरण हो सकते हैं।
- (मातृक / मातगयंद) सवैया के प्रत्येक चरण में 7 सगन और दो गुरु होते हैं।
- वर्णों का एक गण होता है। (3 / 2)
- छन्द में हस्व को लघु दीर्घ को (गुरु/बड़ा / छोटा/लघु) कहते हैं।
- सोरठा में (24 / 26) मात्राएँ होती हैं।
- मातगयंद में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में (23 / 28) वर्ण होते हैं।
- जिनके चारों चरणों में समान मात्राएं हो (सम मात्रिक छंद / विषम मात्रिक छंद) कहलाता है।
- 22 से 26 मात्रा वाले छन्द को (कवित्त/सवैया / घनाक्षरी) कहा जाता है।
- शब्द के अर्थ का बोध कराने वाली शक्ति या व्यापार (शब्द शक्ति / शब्द गुण) को कहते हैं।
- शब्द शक्ति (3 / 4) प्रकार की होती है।
- शब्द और अर्थ का साक्षात् संबंध (अभिधा / व्यंजना) कहलाता है।
- जिस शब्द शक्ति से प्रचलित अर्थ का बोध न होकर इससे संबंधित अन्य अर्थ का बोध हो उसे (लक्षणा / व्यंजना) कहते हैं।
- शब्द की जिस शक्ति से प्रचलित अर्थ एवं लक्ष्यार्थ से भिन्न तीसरे अर्थ का बोध हो उसे (व्यंजना / अभिधा) कहते हैं।
- किसी शब्द का गूढ़ या सूक्ष्म अर्थ (व्यंजना / लक्षणा) शब्द शक्ति से प्रकट होता है।
- जो गुण काव्य में जोश और ओज उत्पन्न करता है, वह (ओज गुण / प्रसाद गुण) कहलाता है।
- श्रृंगार शांत, करुण रस में विशेष रूप से (माधुर्य गुण / प्रसाद गुण) पाया जाता है।
- ‘हे प्रभु आनंद दाता! ज्ञान हमको दीजिए’ में (प्रसाद गुण / ओज गुण) है।
- में ‘ट’ वर्ण का तथा संयुक्त वर्णों का अधिक प्रयोग किया गया है। (ओज गुण / प्रसाद गुण)
- रौद्र, वीर, और वीभत्स रसों में (ओज गुण / माधुर्य गुण) पाया जाता है।
- काव्य में बिम्ब को (बिम्ब चित्र / शब्द चित्र) माना जाता है।
- बिम्ब के भेद (2 / 3) होते हैं।
- विधान हिंदी साहित्य में कविता की (एक शैली / एक विधा) हैं।
- बिम्ब शब्द अंग्रेजी के (इमेज / पेज) का हिंदी रूपांतर है।
- काव्य में कार्य की मूर्ति करण के लिए सटीक (बिम्ब योजना / वाक्य योजना) होती है।
- पाश्चात्य काव्य शास्त्र में (बिम्ब को / गुण को) कविता का अनिवार्य अंग माना है।
- उमाश्šाकर जोशी ने अपनी कविता ‘बगुलो के पंख’ में (चाक्षुष बिम्ब / सरल बिम्ब) का सुंदर प्रयोग किया है।
(1) सही जोड़ी बनाएँ
अ (A) | ब (B) |
---|---|
i. महाकाव्य | ख) बिहारी सतसई |
ii. खंडकाव्य | क) झांसी की रानी |
iii. आशुकाव्य गीतियां | ३.) रामधारी सिंह दिनकर |
iv. मुक्तक काव्य | घ) कामायनी |
v. रससिद्धि | ग) पद्यवली |
(2) सही जोड़ी बनाएँ
अ (A) | ब (B) |
---|---|
i. आचार्य रामचंद्र शुक्ल | ख) आचार्य शुक्ल |
ii. आलोचना में उपमान का आरोप | क) सांग रूपक |
iii. उपमान को उपमान से श्रेष्ठ | ग) व्यतिक्रम अलंकार |
iv. इसमें भाव दूर करना संप्रेषण नहीं | ३.) प्रतीनामालंकार |
v. इसमें अभिव्यक्ति की स्थिति बनी रहती है | घ) अलंकार काव्य की आत्मा |
(3) सही जोड़ी बनाएँ
अ (A) | ब (B) |
---|---|
i. छन्द के प्रकार | क) वार्णिक छन्द |
ii. वर्णों की गणना वाला छन्द | ३.) मात्रिक छन्द |
iii. मात्राओं की गणना वाला छन्द | ख) लघु एवं दीर्घ |
iv. यति | ग) दो |
v. वर्ण के बोलने में लगा समय | घ) तालु एवं दीर्घी |
(4) सही जोड़ी बनाएँ
अ (A) | ब (B) |
---|---|
i. चारु चंद्र की चंचल किरणें | ३.) शृंगार रस |
ii. खेल रही है जल थल में | च) शान्त रस |
iii. बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी | घ) वीर रस |
iv. माधुर्य गुण | क) माधुर्य गुण |
v. प्रसाद गुण | ख) प्रसाद गुण |
vi. ओज गुण | ग) ओज गुण |
एक वाक्य में उत्तर लिखिए (Answer in one sentence)
- वात्सल्य रस को दसवे रस के रूप में स्थापित करने वाले कवि का क्या नाम है?
- वात्सल्य रस को दसवें रस के रूप में स्थापित करने वाले कवि का नाम आचार्य विश्वनाथ है।
- शांत रस का स्थाई भाव क्या है?
- शांत रस का स्थाई भाव निर्वेद है।
- एक ही स्थाई भाव के बीच में परिस्थितिवश अनेक भावों का संचार होता है इन भावों को क्या कहते हैं?
- एक ही स्थाई भाव के बीच में परिस्थितिवश अनेक भावों का संचार होने पर इन भावों को संचारी भाव कहते हैं।
- “अब मैं नाचौं बहुत गोपाल।” में कौन सा रस है।
- “अब मैं नाचौं बहुत गोपाल।” में शांत रस है।
- रस क्या है? लिखिए।
- काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से पाठक, श्रोता या दर्शक को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं।
- भयानक रस का स्थाई भाव बताइए।
- भयानक रस का स्थाई भाव भय है।
- अनुभाव के प्रकार बताइए।
- अनुभाव के प्रकार कायिक, वाचिक, आहार्य, और सात्विक हैं।
- संचारी भाव की संख्या कितनी मानी गई है?
- संचारी भाव की संख्या 33 मानी गई है।
- प्रमुख संचारी भाव के नाम लिखिए।
- प्रमुख संचारी भावों के नाम शंका, मद, आलस्य, उग्रता, मोह, मरण, ग्लानि, विषाद, दैन्य, जड़ता, उन्माद, अपस्मार, त्रास, श्रम, निद्रा, स्वप्न, स्मृति, मति, वितर्क, अवहित्था, चपलता, उत्सुकता, हर्ष, आवेग, गर्व, निर्वेद, धृति, विबोध, अमर्ष, असूया और चिंता हैं।
- रस के अंगों के नाम लिखिए।
- रस के अंग स्थाई भाव, विभाव, अनुभाव, और संचारी भाव हैं।
- आधुनिक काल के दो महाकाव्य के नाम लिखिए।
- आधुनिक काल के दो महाकाव्यों के नाम साकेत और कामायनी हैं।
- खंडकाव्य का एक उदाहरण लिखिए।
- खंडकाव्य का एक उदाहरण पंचवटी है।
- मुक्तक काव्य का एक उदाहरण लिखिए।
- मुक्तक काव्य का एक उदाहरण सूरसागर है।
- प्रबंध काव्य के प्रकार लिखिए।
- प्रबंध काव्य के प्रकार महाकाव्य और खंडकाव्य हैं।
- मुक्तक काव्य के प्रकार लिखिए।
- मुक्तक काव्य के प्रकार पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक हैं।
- विस्तृत कलेवर वाले काव्य को क्या कहते हैं?
- विस्तृत कलेवर वाले काव्य को महाकाव्य कहते हैं।
- आधुनिक युग के गेय मुक्तक (प्रगीत) कवियों के नाम लिखिए।
- आधुनिक युग के गेय मुक्तक (प्रगीत) कवियों के नाम प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी वर्मा और हरिवंशराय बच्चन हैं।
- मुक्तक काव्य से आप क्या समझते हैं?
- मुक्तक काव्य वह होता है जिसमें कोई एक कथा नहीं होती, बल्कि प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्ण होता है।
- प्रबंध काव्य किसे कहते हैं?
- प्रबंध काव्य वह है जिसमें कोई एक कथा होती है और वह क्रमानुसार होती है।
- जिस काव्य के छंदों में पूर्वापर संबंध न हो उसे क्या कहते हैं?
- जिस काव्य के छंदों में पूर्वापर संबंध न हो उसे मुक्तक काव्य कहते हैं।
- काव्य का सौंदर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं। किसकी परिभाषा है?
- काव्य का सौंदर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं, यह परिभाषा आचार्य दंडी की है।
- शब्द और अर्थ के आधार पर अलंकार के कितने प्रकार होते हैं?
- शब्द और अर्थ के आधार पर अलंकार के तीन प्रकार होते हैं: शब्दालंकार, अर्थालंकार और उभयालंकार।
- जहाँ काव्य की शोभा बुद्धि का आधार शब्द हो वहाँ कौन सा अलंकार होता है?
- जहाँ काव्य की शोभा बुद्धि का आधार शब्द हो वहाँ शब्दालंकार होता है।
- जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए वहाँ कौन सा अलंकार होता है?
- जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
- “सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है, सारी की ही नारी है कि नारी की ही सारी है” किस अलंकार का उदाहरण है?
- यह “सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है, सारी की ही नारी है कि नारी की ही सारी है” संदेह अलंकार का उदाहरण है।
- “जान श्याम घनश्याम को नाच उठे वन मोर।” किस अलंकार का उदाहरण है?
- “जान श्याम घनश्याम को नाच उठे वन मोर।” भ्रांतिमान अलंकार का उदाहरण है।
- कविता में रुकने और आगे बढ़ने के नियम को क्या कहते हैं?
- कविता में रुकने और आगे बढ़ने के नियम को यति और गति कहते हैं।
- छन्द के प्रकार लिखिए।
- छंद के प्रकार वर्णिक छंद, मात्रिक छंद और मुक्त छंद हैं।
- दुर्मिल सवैया का दूसरा नाम क्या है?
- दुर्मिल सवैया का दूसरा नाम चंद्रकला है।
- प्रत्येक पंक्ति में 31 वर्ण वाली रचना क्या कहलाती है?
- प्रत्येक पंक्ति में 31 वर्ण वाली रचना घनाक्षरी छंद कहलाती है।
- इसमें चार पंक्तियाँ होती है। पहली, दूसरी, और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है। यह उर्दू और फारसी की एक शैली है क्या कहलाती है?
- जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं और पहली, दूसरी, और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है, जबकि तीसरी पंक्ति स्वच्छंद होती है, वह उर्दू और फारसी की एक शैली रुबाई कहलाती है।
- “काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है।” किसकी परिभाषा है?
- “काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है”, यह परिभाषा नरेंद्र शर्मा की है।
- बिम्ब के भेद के नाम बताइए।
- बिम्ब के भेद इंद्रिय बिम्ब और प्रेरणानुभूति बिम्ब हैं।
- बिम्ब का शाब्दिक अर्थ बताइए।
- बिम्ब का शाब्दिक अर्थ मूर्त रूप, छाया या प्रतिछाया होता है।
- बिम्ब का प्रयोग साहित्य में कब से होता रहा है?
- बिम्ब का प्रयोग साहित्य में आधुनिक काल से होता रहा है।
- किस कवि की पहचान एक बिम्ब धर्मी कवि के रूप में है?
- अज्ञेय कवि की पहचान एक बिम्ब धर्मी कवि के रूप में है।
- इंद्रिय बिम्ब के प्रकार लिखिए।
- इंद्रिय बिम्ब के प्रकार चाक्षुष बिम्ब (दृश्य बिम्ब), श्रव्य बिम्ब (श्राव्य बिम्ब), स्पर्श बिम्ब, घ्राण बिम्ब और स्वाद बिम्ब हैं।
- प्रेरक अनुभूति के आधार पर बिम्ब के प्रकार बताइए।
- प्रेरक अनुभूति के आधार पर बिम्ब के प्रकार ललित बिम्ब और विकृत बिम्ब हैं।
- शमशेर बहादुर सिंह की अप्रतिम सफलता का प्रमुख साधन क्या है?
- शमशेर बहादुर सिंह की अप्रतिम सफलता का प्रमुख साधन बिम्ब योजना है।
सत्य / असत्य कथन लिखिए (Write True / False Statements)
- वात्सल्य रस माता पिता का पुत्र के प्रति प्रेम कहा जाता है।
- सत्य (True)
- शांत रस की उत्पत्ति वैराग्य उत्पन्न होने से होती है।
- सत्य (True)
- अखियां हरि दर्शन की प्यासी में वियोग श्रृंगार रस हैं।
- सत्य (True)
- प्रेमासक्ति का मूल आधार रति है।
- सत्य (True)
- श्रृंगार रस के तीन भेद हैं।
- असत्य (False)
- रस के 10 अंग होते हैं।
- असत्य (False)
- रस को काव्य का शरीर कहा जाता है।
- असत्य (False)
- जहाँ रस होता है वहाँ गुण अवश्य होता है।
- सत्य (True)
- श्रृंगार रस को ‘रसराज’ कहा गया है।
- सत्य (True)
- भयानक रस का रंग काला माना गया है।
- सत्य (True)
- वीभत्स रस का रंग नीला माना गया है।
- सत्य (True)
- सूरसागर महाकाव्य है।
- असत्य (False)
- अंधेर नगरी खंडकाव्य है।
- असत्य (False)
- महाकाव्य सर्गबद्ध रचना होती है।
- सत्य (True)
- खंडकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष या घटना का चित्रण नहीं होता है।
- असत्य (False)
- मुक्तक काव्य किसी भी एक छन्द में लिखा अपने आप में पूर्ण होता है।
- सत्य (True)
- गेय मुक्तक में संगीतात्मकता विद्यमान नहीं रहती है।
- असत्य (False)
- गेय मुक्तक को प्रगीत भी कहा जा सकता है।
- सत्य (True)
- सूर कबीर तुलसी मीरा के गाए पद गेयमुक्तक की श्रेणी में आते हैं।
- सत्य (True)
- श्याम नारायण पांडे द्वारा रचित ‘हल्दीघाटी’ का युद्ध महाकाव्य है।
- असत्य (False)
- चंपू काव्य के अंतर्गत नाटक एवं प्रहसन आते हैं।
- असत्य (False)
- अलंकार का अर्थ दर्पण होता है।
- असत्य (False)
- संदेह अलंकार के प्रयोग से अंत तक संशय बना रहता है।
- सत्य (True)
- जहाँ कारण के बिना कार्य का होना कहा जाता है वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
- असत्य (False)
- अलंकार से काव्य में सुंदरता उत्पन्न होती है।
- सत्य (True)
- रस्सी है या साँप, में संदेह अलंकार है।
- सत्य (True)
- जहाँ उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाए वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।
- सत्य (True)
- सांग रूपक अलंकार रूपक अलंकार का प्रकार नहीं है।
- असत्य (False)
- छन्द पढ़ते समय विराम को तुक कहते हैं।
- असत्य (False)
- दोहा चौपाई का उल्टा होता है।
- असत्य (False)
- दुर्मिल सवैया का दूसरा नाम चंद्रकला है।
- सत्य (True)
- सोरठा के पहले दूसरे चरण में 13- 11 मात्राएँ होती है।
- असत्य (False)
- वर्णिक छन्द के प्रत्येक चरण में एक सा क्रम रहता है।
- सत्य (True)
- रुबाई उर्दू फारसी की एक छन्द शैली है।
- सत्य (True)
- मात्रिक छन्दों में गण होते हैं।
- असत्य (False)
- कवित्त एक वर्णिक छन्द है।
- सत्य (True)
- छन्द के दो प्रकार मात्रिक और वर्णिक होते हैं।
- असत्य (False)
- वर्ण, मात्रा, यति, चरण, तुक एवं गण छन्द के अंग होते हैं।
- सत्य (True)
- ओज गुण शांत रस की कविताओं में पाया जाता है।
- असत्य (False)
- माधुर्य गुण में कोमल वर्णों की प्रधानता होती है।
- सत्य (True)
- प्रसाद गुण प्राय सभी रसों में पाया जाता है।
- सत्य (True)
- जिस तरह वीरता, उदारता, दया आदि मनुष्य की आत्मा के धर्म है और उसी तरह माधुर्य, ओज और प्रसाद रस के धर्म है।
- सत्य (True)
- शब्द गुण को काव्य गुण भी कहते हैं।
- सत्य (True)
- बिम्ब किसी पदार्थ का मानचित्र या मानसी चित्र होता है।
- सत्य (True)
- स्मृति बिम्ब और कल्पित बिम्ब के आधार पर बिम्ब के प्रकार है।
- सत्य (True)
- बिम्ब से मस्तिष्क में किसी सादृश्य का चित्र नहीं उभरता है।
- असत्य (False)
- बिम्ब विधान में भावनाओं को उत्तेजित करने की शक्ति होती है।
- सत्य (True)
- बिम्ब किसी पदार्थ की प्रतिकृति के लिए प्रयुक्त नहीं होता है।
- असत्य (False)
- बिम्ब सार्वभौमिक होते हैं।
- सत्य (True)
- बिम्ब में नवीनता और ताजगी होती है।
- सत्य (True)
- मुक्तिबोध ने अपनी रचनाओं में ध्वनि स्पर्श प्राकृतिक वैज्ञानिक आदि अनेक बिम्बों का सजीव चित्रण किया है।
- सत्य (True)
- फिराक गोरखपुरी की शायरी में आवश्यकतानुसार बिम्बों का प्रभावी प्रयोग किया है।
- सत्य (True)
- बिम्ब कल्पना द्वारा इंद्रिय अनुभव के आधार पर निर्मित नहीं होता है।
- असत्य (False)
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)
रस (Ras)
- रस की परिभाषा देते हुए उसके भेद लिखिए। काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से पाठक, श्रोता या दर्शक को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं। रस के कुल 11 भेद होते हैं: श्रृंगार रस, हास्य रस, करुण रस, रौद्र रस, वीर रस, भयानक रस, बीभत्स रस, अद्भुत रस, शांत रस, वात्सल्य रस, और भक्ति रस।
- रस के प्रमुख अंग कौन-कौन से हैं? रस के प्रमुख चार अंग होते हैं: स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, और संचारी भाव।
- रस निष्पत्ति में सहायक तत्व का नाम लिखिए। रस निष्पत्ति में सहायक तत्व विभाव, अनुभाव, और संचारी भाव हैं।
- स्थायी भाव किसे कहते हैं? जो भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं। ये रस का मूल आधार होते हैं।
- संचारी भाव किसे कहते हैं? किन्हीं दो संचारी भाव के नाम बताइए? स्थायी भाव के बीच-बीच में परिस्थितिवश उत्पन्न होकर लुप्त हो जाने वाले भावों को संचारी भाव कहते हैं। ये पानी के बुलबुलों की तरह होते हैं। दो संचारी भाव: हर्ष और विषाद।
- करुण रस की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए। जब किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति के बिछड़ जाने या नष्ट हो जाने से हृदय में उत्पन्न होने वाले शोक भाव की अभिव्यक्ति होती है, तो उसे करुण रस कहते हैं। उदाहरण: “हाय राम! कैसे झेले हम अपनी लज्जा अपना शोक।”
- वीर रस के लक्षण लिखिए। वीर रस के लक्षण उत्साह, जोश, बलिदान, और दानवीरता से संबंधित होते हैं।
- रस के आवश्यक तत्व कौन से हैं? रस के आवश्यक तत्व स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, और संचारी भाव हैं।
- विभाव किसे कहते हैं? जिस वस्तु या विषय के कारण किसी व्यक्ति के हृदय में भाव उत्पन्न होते हैं, उसे विभाव कहते हैं।
- अनुभाव के भेद लिखिए। अनुभाव के चार भेद होते हैं: कायिक (शारीरिक चेष्टाएं), वाचिक (वाणी), आहार्य (सजावट), और सात्विक (स्वतः उत्पन्न)।
- विभाव और अनुभाव में अंतर लिखिए। विभाव भावों को उत्पन्न करने का कारण होते हैं, जबकि अनुभाव उन्हीं भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं होती हैं।
- स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर लिखिए। स्थायी भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी होते हैं, जबकि संचारी भाव पानी के बुलबुलों की तरह आते-जाते रहते हैं।
- आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव में अंतर लिखिए। आलंबन विभाव वह व्यक्ति या वस्तु है, जिसके कारण रस उत्पन्न होता है, जैसे नायक-नायिका। उद्दीपन विभाव वह वातावरण या परिस्थिति है, जो भावों को और अधिक तीव्र करती है, जैसे चांदनी रात।
- रस किसे कहते हैं? काव्य को पढ़ने, सुनने या देखने से मिलने वाले आनंद को रस कहते हैं।
- काव्य किसे कहते हैं? छन्दबद्ध रचना को काव्य कहते हैं।
- काव्य के भेद बताइए? काव्य के दो प्रमुख भेद हैं: प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य।
- शैली की दृष्टि से काव्य के भेद लिखिए। शैली की दृष्टि से काव्य के तीन भेद हैं: प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य और चंपू काव्य।
काव्य (Kavya)
- प्रबंध काव्य का अर्थ बताते हुए उसके भेद लिखिए। वह काव्य जिसमें कथा क्रमानुसार और एक-दूसरे से जुड़ी होती है, उसे प्रबंध काव्य कहते हैं। इसके दो भेद हैं: महाकाव्य और खंडकाव्य।
- खंड काव्य किसे कहते हैं? वह काव्य जिसमें जीवन के किसी एक पक्ष या घटना का चित्रण होता है, उसे खंड काव्य कहते हैं।
- महाकाव्य की विशेषताएँ लिखिए। महाकाव्य में जीवन का समग्र चित्रण होता है, इसमें अनेक सर्ग होते हैं, और इसका उद्देश्य महान होता है।
- खंड काव्य की विशेषताएँ लिखिए। खंड काव्य में जीवन के किसी एक खंड का चित्रण होता है, इसमें सर्गों की संख्या कम होती है, और यह छोटा होता है।
- दो महाकाव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
- रामचरितमानस – गोस्वामी तुलसीदास
- कामायनी – जयशंकर प्रसाद
- दो खंड काव्य और उनके रचनाकारों के नाम लिखिए।
- पंचवटी – मैथिलीशरण गुप्त
- सुदामा चरित – नरोत्तम दास
- आख्यान गीत किसे कहते हैं? वह गेय मुक्तक जिसमें कोई कथा कही जाती है, उसे आख्यान गीत कहते हैं। उदाहरण: ‘झाँसी की रानी’ (सुभद्रा कुमारी चौहान)
- प्रबंध काव्य मुक्तक काव्य में अंतर लिखिए। प्रबंध काव्य में एक कथा होती है और वह क्रमानुसार होती है, जबकि मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्ण होता है।
- महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर लिखिए। महाकाव्य में जीवन का समग्र चित्रण होता है, जबकि खंडकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है।
- पाठ्य मुक्तक एवं गेय मुक्तक में अंतर लिखिए। पाठ्य मुक्तक को पढ़ा या सुना जा सकता है, जबकि गेय मुक्तक को गाया जाता है।
- मुक्तक काव्य के रूप लिखिए तथा उसके प्रमुख लक्षण भी लिखिए। मुक्तक काव्य के दो रूप हैं: पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक। इसका प्रमुख लक्षण यह है कि इसके प्रत्येक छंद स्वतंत्र होते हैं।
- महाकाव्य किसे कहते हैं? पाँच महाकाव्य के नाम और रचनाकारों के नाम लिखिए। महाकाव्य में किसी महान व्यक्ति के जीवन का समग्र चित्रण होता है।
- रामचरितमानस – तुलसीदास
- कामायनी – जयशंकर प्रसाद
- साकेत – मैथिलीशरण गुप्त
- पृथ्वीराज रासो – चंदबरदाई
- पद्मावत – मलिक मुहम्मद जायसी
अलंकार (Alankar)
- अलंकार की परिभाषा एवं भेद लिखिए। जो शब्द काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, उन्हें अलंकार कहते हैं। इसके तीन भेद हैं: शब्दालंकार, अर्थालंकार और उभयालंकार।
- अलंकारों के प्रकार पर प्रकाश डालिए।
- शब्दालंकार: जहाँ शब्द के कारण काव्य में सौंदर्य आता है। (अनुप्रास, यमक, श्लेष)
- अर्थालंकार: जहाँ अर्थ के कारण काव्य में सौंदर्य आता है। (उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा)
- उभयालंकार: जहाँ शब्द और अर्थ दोनों से सौंदर्य उत्पन्न होता है।
- सांगरूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए। जहाँ उपमेय पर उपमान का आरोप उसके अंगों सहित किया जाए, उसे सांगरूपक अलंकार कहते हैं।
- सांगरूपक अलंकार के प्रकार लिखिए। सांगरूपक अलंकार के कोई प्रकार नहीं होते।
- सांगरूपक अलंकार की परिभाषा लिखिए। (प्रश्न 32 के समान, उत्तर वही रहेगा)
- संदेह अलंकार की परिभाषा लिखिए। जहाँ उपमान और उपमेय में समानता के कारण यह निश्चय न हो पाए कि वह उपमेय है या उपमान, वहाँ संदेह अलंकार होता है।
- भ्रांतिमान अलंकार की परिभाषा लिखिए। जहाँ सादृश्य के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मानकर भ्रम हो जाए, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।
- विरोधाभास अलंकार की परिभाषा लिखिए। जहाँ वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।
- व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा लिखिए। जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
छंद (Chhand)
- छंद किसे कहते हैं? वर्ण, मात्रा, यति, गति आदि के नियमों से बंधी रचना को छंद कहते हैं।
- छंद कितने प्रकार के होते हैं? छंद तीन प्रकार के होते हैं: मात्रिक, वर्णिक, और मुक्त छंद।
- वर्णिक और मात्रिक छंद में अंतर लिखिए। वर्णिक छंद में वर्णों की संख्या और क्रम निश्चित होता है, जबकि मात्रिक छंद में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
- सोरठा के लक्षण लिखिए। सोरठा एक मात्रिक छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 11-11 मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। यह दोहे का उल्टा होता है।
- कवित्त छंद की परिभाषा लिखिए। कवित्त एक वर्णिक छंद है, जिसमें प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते हैं।
- सवैया छंद की परिभाषा एवं प्रकार लिखिए। सवैया एक वर्णिक छंद है, जिसके प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। इसके प्रमुख प्रकार मतगयंद और दुर्मिल सवैया हैं।
- रुबाई छंद की विशेषताएँ लिखिए। रुबाई एक फारसी और उर्दू की छंद शैली है जिसमें चार पंक्तियां होती हैं। पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक होता है, जबकि तीसरी पंक्ति स्वतंत्र होती है।
- कवित्त छंद का उदाहरण लिखिए। उदाहरण: “साधु भले हैं सब, ताही में सुसाधु भले, जिनके हिये में बसे, राम अवधूत हैं।”
- सवैया छंद का उदाहरण एवं प्रकार लिखिए। उदाहरण: “या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।” प्रकार: मतगयंद, दुर्मिल, किरीट, आदि।
- मतगयंद सवैया के लक्षण और उदाहरण लिखिए। मतगयंद सवैया में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 23 वर्ण होते हैं। उदाहरण: “या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।”
- दुर्मिल सवैया के लक्षण और उदाहरण लिखिए। दुर्मिल सवैया में प्रत्येक चरण में 24 वर्ण होते हैं। उदाहरण: “कमल मुख, कमल दृग, कमल पग, कमल सर, कमल कर, कमल ही कोमल है।”
- दोहा और सोरठा में अंतर लिखिए। दोहा के पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ और दूसरे और चौथे में 11-11 मात्राएँ होती हैं। सोरठा इसका उल्टा होता है।
शब्द शक्ति (Shabd Shakti)
- शब्द शक्ति किसे कहते हैं? उसके भेदों के नाम लिखिए। शब्द के अर्थ को प्रकट करने वाले व्यापार को शब्द शक्ति कहते हैं। इसके तीन भेद हैं: अभिधा, लक्षणा, और व्यंजना।
- शब्द शक्ति के भेद उदाहरण सहित लिखिए।
- अभिधा: मुख्य अर्थ का बोध कराती है। (उदाहरण: ‘गाय घास खाती है।’ – सीधा अर्थ।)
- लक्षणा: लक्ष्यार्थ का बोध कराती है। (उदाहरण: ‘मोहन तो गधा है।’ – मोहन मूर्ख है।)
- व्यंजना: व्यंग्यार्थ का बोध कराती है। (उदाहरण: ‘सूरज डूब गया।’ – समय हो गया है।)
- अभिधा शब्द शक्ति की परिभाषा लिखिए। शब्द की वह शक्ति जो किसी शब्द के मुख्य अर्थ को प्रकट करती है, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं।
- लक्षणा शब्द शक्ति उदाहरण सहित लिखिए। शब्द की वह शक्ति जो मुख्य अर्थ में बाधा पड़ने पर लक्ष्यार्थ को प्रकट करती है, उसे लक्षणा शब्द शक्ति कहते हैं। उदाहरण: “रामू तो सीधा गाय है।” (यहाँ गाय का सीधा अर्थ न होकर ‘सीधापन’ का बोध होता है)
- व्यंजना शब्द शक्ति किसे कहते हैं? उदाहरण लिखिए। शब्द की वह शक्ति जो अभिधा और लक्षणा से भिन्न किसी अन्य अर्थ को प्रकट करती है, उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं। उदाहरण: “मंदिर में घंटी बज रही है।” (पूजा का समय हो गया है।)
- अभिधा और लक्षणा शब्द शक्ति में अंतर लिखिए। अभिधा शब्द का सीधा अर्थ बताती है, जबकि लक्षणा उससे संबंधित अर्थ बताती है।
- लक्षणा और व्यंजना शब्द शक्ति में अंतर लिखिए। लक्षणा का अर्थ रूढ़ि या प्रयोजन पर आधारित होता है, जबकि व्यंजना का अर्थ श्रोता या पाठक की कल्पना पर निर्भर करता है।
काव्य गुण (Kavya Gun)
- शब्द गुण या काव्य गुण की परिभाषा और प्रकार लिखिए। काव्य में आंतरिक सौंदर्य और रस के प्रभाव को बढ़ाने वाले गुणों को शब्द गुण या काव्य गुण कहते हैं। इसके तीन प्रकार हैं: ओज गुण, माधुर्य गुण, और प्रसाद गुण।
- प्रसाद गुण संपन्न कविताओं की क्या विशेषता है? प्रसाद गुण से युक्त कविताएं सरल और सुबोध होती हैं, जिन्हें पढ़ते ही उनका अर्थ समझ में आ जाता है।
- ओज गुण का एक उदाहरण लिखिए। उदाहरण: “बुंदेले हरबोलों के मुँह, हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह, झाँसी वाली रानी थी।”
- माधुर्य गुण की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। माधुर्य गुण से युक्त कविताएं सुनने में मधुर और कर्णप्रिय लगती हैं। उदाहरण: “कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय गुनि।”
- माधुर्य और प्रसाद गुण में अंतर लिखिए। माधुर्य गुण में श्रृंगार और शांत रस का प्रयोग होता है, जबकि प्रसाद गुण का प्रयोग सभी रसों में होता है।
- ओज और माधुर्य गुण में अंतर लिखिए। ओज गुण से वीरता का भाव उत्पन्न होता है, जबकि माधुर्य गुण से प्रेम और शांति का भाव उत्पन्न होता है।
बिम्ब (Bimb)
- बिम्ब क्या है? उदाहरण के माध्यम से लिखिए। बिम्ब किसी पदार्थ का मानस चित्र है जो कल्पना द्वारा निर्मित होता है। उदाहरण: “तेज हवा का झोंका आया, और पेड़ की शाखाओं को हिला गया।” (यह वाक्य पाठक के मन में एक दृश्य बिम्ब बनाता है)
- बिम्ब के भेद लिखिए। बिम्ब के प्रमुख भेद हैं: इंद्रिय बिम्ब और प्रेरक अनुभूति बिम्ब।
- प्रेरक अनुभूति के आधार पर बिम्ब के प्रकार लिखिए। प्रेरक अनुभूति के आधार पर बिम्ब के दो प्रकार हैं: ललित बिम्ब और विकृत बिम्ब।
- बिम्ब कितने प्रकार के होते हैं? बिम्ब मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: इंद्रिय बिम्ब और प्रेरक अनुभूति बिम्ब।