Electrical Potential and Capesitence : स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता
Electrical Potential and Capesitence : आपने कक्षा 11 में गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा के बारे में पढ़ा होगा। जब आप किसी वस्तु को गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध ऊपर उठाते हैं, तो आपके द्वारा किया गया कार्य उस वस्तु में स्थितिज ऊर्जा के रूप में जमा हो जाता है। इसी तरह, जब हम एक आवेशित कण को किसी विद्युत क्षेत्र में ले जाते हैं, तो विद्युत बल के विरुद्ध किया गया कार्य उस कण में **विद्युत स्थितिज ऊर्जा** के रूप में जमा हो जाता है।
विद्युत स्थितिज ऊर्जा और कार्य
मान लीजिए आपके पास एक आवेश है जो एक विद्युत क्षेत्र बनाता है। अब, हम एक छोटे परीक्षण आवेश
को एक बिंदु
से दूसरे बिंदु
तक, बहुत धीरे-धीरे, बिना गति बढ़ाए (बिना त्वरण के) ले जाते हैं। ऐसा करने के लिए हमें विद्युत बल के विपरीत एक बाहरी बल लगाना पड़ता है।
बाहरी बल द्वारा किया गया कार्य है:
चूंकि बाहरी बल विद्युत बल
के बिल्कुल विपरीत और बराबर है (
), तो:
यह किया गया कार्य विद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में जमा हो जाता है।
इसका मतलब है कि दो बिंदुओं के बीच का **विद्युत स्थितिज ऊर्जा अंतर** किसी बाहरी बल द्वारा एक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने के लिए किए गए न्यूनतम कार्य के बराबर होता है।
अनंत पर शून्य स्थितिज ऊर्जा
किसी भी बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा का असली मान भौतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं होता, केवल **स्थितिज ऊर्जा का अंतर** ही मायने रखता है। इसका मतलब है कि हम अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य मान सकते हैं। सबसे सुविधाजनक तरीका यह है कि **हम अनंत दूरी पर विद्युत स्थितिज ऊर्जा को शून्य मान लें**।
यदि हम बिंदु को अनंत पर लें, तो
। तब, समीकरण (2.2) से हमें मिलता है:
यह समीकरण हमें बताता है कि किसी बिंदु पर आवेश की **स्थितिज ऊर्जा**, आवेश
को अनंत से उस बिंदु तक लाने में बाहरी बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर होती है।
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
- किसी विद्युत क्षेत्र द्वारा आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किया गया कार्य केवल शुरुआती और अंतिम बिंदुओं पर निर्भर करता है, उस रास्ते पर नहीं जिससे होकर आवेश गुजरता है। यह **संरक्षी बल** का मूल लक्षण है।
- हम परीक्षण आवेश
को इतना छोटा मानते हैं कि वह मूल आवेश
के विन्यास को प्रभावित न करे।
- आवेश को बहुत धीरे-धीरे ले जाया जाता है ताकि उस पर कोई नेट बल या त्वरण न लगे।
कॉन्टे एलेस्संदो वोल्टा (Conté Alessandro Volta) (1745 – 1827) एलेस्संदो वोल्टा एक प्रभावशाली इतालवी भौतिक विज्ञानी और रसायनज्ञ थे, जो बिजली के क्षेत्र में अपने अग्रणी कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 1745 में इटली के कोमो शहर में हुआ था। वोल्टा के शुरुआती अध्ययन मौसम विज्ञान और गैसों के गुणों पर केंद्रित थे, लेकिन उनकी सच्ची रुचि बिजली के उभरते हुए क्षेत्र में थी। उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक 1800 में इलेक्ट्रिक बैटरी का आविष्कार था, जिसे “वोल्टीय पुंज” (voltaic pile) के नाम से जाना जाता है। इस अभूतपूर्व उपकरण ने विद्युत धारा का पहला निरंतर स्रोत प्रदान किया, जिसने प्रयोगात्मक बिजली में क्रांति ला दी और अनगिनत तकनीकी प्रगतियों का मार्ग प्रशस्त किया। |
