12th Physics Dipole in a uniform external field :एकसमान बाह्य क्षेत्र में द्विध्रुव: एक विस्तृत दृष्टिकोण

एकसमान बाह्य क्षेत्र में द्विध्रुव 12th Physics Dipole in a uniform external field

12th Physics Dipole in a uniform external field : कल्पना कीजिए कि आपके पास एक वैद्युत द्विध्रुव है, जो एक स्थायी वस्तु है। इसका मतलब है कि यह एकसमान विद्युत क्षेत्र E में रखने पर भी अपना द्विध्रुव आघूर्ण p नहीं बदलता है। इस स्थिति में, क्षेत्र E द्विध्रुव के प्रत्येक आवेश (+q और −q) पर बल लगाता है।

12th Physics Dipole in a uniform external field
12th Physics Dipole in a uniform external field
  • धनात्मक आवेश (+q) पर लगने वाला बल qE है और यह क्षेत्र E की दिशा में होता है।
  • ऋणात्मक आवेश (−q) पर लगने वाला बल −qE है और यह क्षेत्र E के विपरीत दिशा में होता है।

नेट बल और बल आघूर्ण

क्योंकि हम एक एकसमान विद्युत क्षेत्र के बारे में बात कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि क्षेत्र का मान और दिशा हर जगह समान है, दोनों आवेशों पर लगने वाले बल बराबर और विपरीत होते हैं।

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  • नेट बल: दोनों बलों का योग शून्य होता है (qE+(−qE)=0)। इसका मतलब है कि द्विध्रुव पर कोई कुल बल नहीं लगता है।
  • बल आघूर्ण: हालाँकि, ये बल एक ही बिंदु पर नहीं लगते। वे एक-दूसरे से दूरी पर होते हैं, जिससे एक बलयुग्म (couple) बनता है। यह बलयुग्म द्विध्रुव पर एक बल आघूर्ण (τ) उत्पन्न करता है।

बल आघूर्ण की गणना

बल आघूर्ण का परिमाण किसी भी बल के परिमाण और दो प्रतिसमांतर बलों के बीच की लंबवत दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। बल आघूर्ण का परिमाण =(किसी भी बल का परिमाण)×(दोनों बलों के बीच की लंबवत दूरी) = (qE) \times (2a \sin\theta)= 2qaE \sin\theta

चूंकि वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण p=q×2a होता है, हम इस सूत्र को इस प्रकार लिख सकते हैं:

τ=pEsinθ

सदिश रूप में, इसे क्रॉस प्रोडक्ट के रूप में व्यक्त किया जाता है:

τ=p×E

इसकी दिशा कागज़ के तल के अभिलंबवत बाहर की ओर होती है।

द्विध्रुव का व्यवहार

यह बल आघूर्ण द्विध्रुव को घुमाने की कोशिश करता है ताकि इसका द्विध्रुव आघूर्ण p विद्युत क्षेत्र E के साथ संरेखित हो जाए। जब p और E एक ही दिशा में होते हैं, तो sinθ=0 हो जाता है, जिससे बल आघूर्ण शून्य हो जाता है।

असमान क्षेत्र में द्विध्रुव

जब विद्युत क्षेत्र एकसमान नहीं होता (अर्थात, इसका मान या दिशा बदलती रहती है), तब क्या होता है?

  • इस स्थिति में, द्विध्रुव के दोनों आवेशों पर लगने वाले बल अलग-अलग होते हैं, इसलिए नेट बल शून्य नहीं होता
  • एक नेट बल के साथ-साथ, एक बल आघूर्ण भी कार्य करता है।
  • नेट बल की दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि क्षेत्र कहाँ मजबूत हो रहा है।

उदाहरण के लिए, जब आप एक प्लास्टिक की कंघी को बालों में रगड़ने के बाद कागज़ के टुकड़ों के पास लाते हैं, तो वे चिपक जाते हैं।

  • कंघी आवेशित हो जाती है।
  • यह आवेशित कंघी कागज़ के टुकड़ों के अंदर के आवेशों को पुनर्व्यवस्थित करके उन्हें ध्रुवित कर देती है।
  • कंघी के कारण उत्पन्न हुआ विद्युत क्षेत्र असमान होता है।
  • इस असमान क्षेत्र के कारण कागज़ के टुकड़ों पर एक नेट बल लगता है, जो उन्हें कंघी की ओर खींचता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): एकसमान बाह्य क्षेत्र में द्विध्रुव

1. एक वैद्युत द्विध्रुव को एकसमान विद्युत क्षेत्र में रखने पर उस पर लगने वाला नेट बल क्या होता है?

जब एक वैद्युत द्विध्रुव को एकसमान बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होता है। इसका कारण यह है कि द्विध्रुव के दोनों आवेशों (+q और -q) पर समान परिमाण और विपरीत दिशा के बल कार्य करते हैं, जो एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं।

2. एकसमान विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर कौन सी राशि कार्य करती है और क्यों?

एकसमान विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर बल आघूर्ण (Torque) कार्य करता है। यद्यपि नेट बल शून्य होता है, दोनों बल अलग-अलग बिंदुओं पर लगते हैं, जिससे एक बलयुग्म (couple) बनता है। यह बलयुग्म द्विध्रुव को घुमाने का प्रयास करता है, जिससे वह क्षेत्र की दिशा में संरेखित हो जाए।

3. बल आघूर्ण का सूत्र क्या है और इसकी दिशा क्या होती है?

एकसमान क्षेत्र में द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण का सूत्र है τ=pEsinθ, जहाँ p द्विध्रुव आघूर्ण, E विद्युत क्षेत्र का परिमाण और θ द्विध्रुव आघूर्ण और विद्युत क्षेत्र के बीच का कोण है। सदिश रूप में, इसे τ=p​×E लिखा जाता है। इसकी दिशा सदिश p​ और E दोनों के लंबवत होती है।

4. द्विध्रुव कब स्थिर संतुलन (stable equilibrium) में होता है और कब अस्थिर संतुलन (unstable equilibrium) में होता है?

  • स्थिर संतुलन: द्विध्रुव तब स्थिर संतुलन में होता है जब द्विध्रुव आघूर्ण p​ विद्युत क्षेत्र E के समांतर होता है (θ=0∘)। इस स्थिति में बल आघूर्ण शून्य होता है और द्विध्रुव न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा पर होता है।
  • अस्थिर संतुलन: द्विध्रुव तब अस्थिर संतुलन में होता है जब द्विध्रुव आघूर्ण p​ विद्युत क्षेत्र E के प्रतिसमांतर होता है (θ=180∘)। इस स्थिति में भी बल आघूर्ण शून्य होता है, लेकिन यह अधिकतम स्थितिज ऊर्जा पर होता है और थोड़ा सा भी विचलित होने पर अपनी संतुलन स्थिति को खो देता है।

5. क्या एक असमान विद्युत क्षेत्र में रखे गए द्विध्रुव पर नेट बल लगता है?

हाँ, एक असमान विद्युत क्षेत्र में रखे गए द्विध्रुव पर नेट बल लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि द्विध्रुव के दोनों आवेशों पर लगने वाले बल समान नहीं होते हैं। इस स्थिति में, द्विध्रुव पर एक बल और एक बल आघूर्ण दोनों कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, एक आवेशित कंघी कागज़ के छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है क्योंकि यह उन पर एक असमान क्षेत्र के कारण नेट बल लगाती है।

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