Class 9 Hindi Ras ka Samanya Parichay evam prakar :रस का सामान्य परिचय एवं प्रकार

Class 9 Hindi Ras ka Samanya Parichay evam prakar :रस काव्य की आत्मा है, जो पाठक या श्रोता के मन में भावनात्मक आनंद और संवेदना उत्पन्न करता है। यह काव्य का वह तत्व है, जो भावों, विचारों और अनुभवों को रसात्मक रूप में प्रस्तुत करता है। हिंदी साहित्य में रस को काव्य का मूल आधार माना जाता है, क्योंकि यह कविता को जीवंत और प्रभावशाली बनाता है। यह लेख रस के सामान्य परिचय, इसकी परिभाषा, विशेषताओं और प्रकारों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है, जो कक्षा 9 के स्तर के लिए उपयुक्त और सरल भाषा में है।

रस का सामान्य परिचय

परिभाषा

रस वह भावनात्मक अनुभव है, जो काव्य या साहित्य के माध्यम से पाठक/श्रोता के मन में उत्पन्न होता है। यह काव्य में व्यक्त भावों (स्थायी भाव) और रसात्मक तत्वों (विभाव, अनुभाव, संचारी भाव) के संयोग से निर्मित होता है।

  • आचार्य भट्टनायक: “रसः नाट्ये रसति इति रसः” अर्थात् रस वह है, जो रसास्वादन (आनंद) प्रदान करता है।
  • आधुनिक दृष्टिकोण: रस काव्य में भावनाओं का वह रसपूर्ण रूप है, जो मन को आनंद और संवेदना से भर देता है।

रस के तत्व

रस का निर्माण निम्नलिखित तत्वों के संयोग से होता है:

  1. स्थायी भाव: मन में स्थायी रूप से विद्यमान भाव, जैसे रति (प्रेम), क्रोध, उत्साह आदि।
  2. विभाव: वे कारण जो भाव को जागृत करते हैं, जैसे आलंबन (नायक-नायिका) और उद्दीपन (प्रकृति, परिवेश)।
  3. अनुभाव: भावों की बाहरी अभिव्यक्ति, जैसे मुस्कान, आँसू आदि।
  4. संचारी भाव: सहायक भाव जो रस को गहरा करते हैं, जैसे हर्ष, चिंता आदि।

रस की विशेषताएँ

  • आनंदप्रद: रस काव्य को रसपूर्ण बनाकर मन को आनंद देता है।
  • भावनात्मकता: यह मानव भावनाओं को गहराई से व्यक्त करता है।
  • सार्वभौमिकता: रस सभी संस्कृतियों और कालों में प्रासंगिक होता है।
  • विविधता: रस विभिन्न भावनाओं को अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत करता है।

रस के प्रकार

हिंदी साहित्य में रस को उनके स्थायी भाव और प्रकृति के आधार पर सामान्यतः नौ प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। कुछ विद्वान भक्ति रस को दसवाँ रस मानते हैं। निम्नलिखित हैं रस के प्रकार, उनके स्थायी भाव और उदाहरण:

  1. शृंगार रस
    • स्थायी भाव: रति (प्रेम)।
    • वर्णन: प्रेम और सौंदर्य का चित्रण। यह दो प्रकार का होता है: संयोग (मिलन) और वियोग (विरह)।
    • उदाहरण: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की मेघ आए में मेघों और प्रकृति का सौंदर्यपूर्ण चित्रण।
    • प्रभाव: मन में प्रेम और आनंद की भावना।
  2. वीर रस
    • स्थायी भाव: उत्साह।
    • वर्णन: साहस, युद्ध, और वीरता का चित्रण।
    • उदाहरण: माखनलाल चतुर्वेदी की कैदी और कोकिला में स्वतंत्रता के लिए उत्साह।
    • प्रभाव: साहस और प्रेरणा की भावना।
  3. करुण रस
    • स्थायी भाव: शोक।
    • वर्णन: दुख, हानि, और वियोग का चित्रण।
    • उदाहरण: सूरदास के पदों में कृष्ण के विरह में गोपियों का दुख।
    • प्रभाव: करुणा और सहानुभूति की भावना।
  4. रौद्र रस
    • स्थायी भाव: क्रोध।
    • वर्णन: क्रोध और संघर्ष का चित्रण।
    • उदाहरण: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविताओं में अन्याय के खिलाफ क्रोध।
    • प्रभाव: आक्रोश और प्रतिकार की भावना।
  5. हास्य रस
    • स्थायी भाव: हास (हँसी)।
    • वर्णन: विनोद और हास्य का चित्रण।
    • उदाहरण: काका हाथरसी की हास्य कविताएँ।
    • प्रभाव: हँसी और मनोरंजन की भावना।
  6. भयानक रस
    • स्थायी भाव: भय।
    • वर्णन: भय और आतंक का चित्रण।
    • उदाहरण: प्राचीन काव्य में राक्षसों और युद्ध के दृश्य।
    • प्रभाव: भय और रोमांच की भावना।
  7. बीभत्स रस
    • स्थायी भाव: जुगुप्सा (घृणा)।
    • वर्णन: घृणास्पद और अरुचिकर दृश्यों का चित्रण।
    • उदाहरण: युद्ध में मृत शरीरों का वर्णन।
    • प्रभाव: घृणा और असहजता की भावना।
  8. अद्भुत रस
    • स्थायी भाव: विस्मय (आश्चर्य)।
    • वर्णन: आश्चर्यजनक और चमत्कारी घटनाओं का चित्रण।
    • उदाहरण: पौराणिक कथाओं में चमत्कारों का वर्णन।
    • प्रभाव: आश्चर्य और कौतूहल की भावना।
  9. शांत रस
    • स्थायी भाव: निर्वेद (वैराग्य)।
    • वर्णन: शांति, वैराग्य, और आत्म-चिंतन का चित्रण।
    • उदाहरण: ललद्यद की वाख में संसार की मिथ्या प्रकृति का चित्रण।
    • प्रभाव: शांति और आत्म-जागृति की भावना।
  10. भक्ति रस (कुछ विद्वानों द्वारा स्वीकृत)
    • स्थायी भाव: भक्ति (ईश्वर के प्रति प्रेम)।
    • वर्णन: ईश्वर भक्ति और समर्पण का चित्रण।
    • उदाहरण: तुलसीदास के सवैये में राम भक्ति।
    • प्रभाव: भक्ति और आध्यात्मिकता की भावना।

रस का महत्व

  • काव्य की आत्मा: रस काव्य को जीवंत और प्रभावशाली बनाता है।
  • आनंद प्रदान करना: यह पाठक/श्रोता को भावनात्मक आनंद देता है।
  • मानव भावनाओं की अभिव्यक्ति: रस विभिन्न मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त करता है।
  • सामाजिक और नैतिक प्रेरणा: रस के माध्यम से काव्य सामाजिक मूल्यों और नैतिकता को प्रेरित करता है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: रस भारतीय संस्कृति और भावनाओं को संरक्षित करता है।

निष्कर्ष

रस काव्य का मूल तत्व है, जो भावनाओं को रसपूर्ण रूप में प्रस्तुत कर मन को आनंद और प्रेरणा प्रदान करता है। इसके नौ (या दस) प्रकार विभिन्न भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करते हैं, जो काव्य को विविधता और गहराई देते हैं। कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 की कविताएँ, जैसे वाख (शांत रस), सवैये (भक्ति रस), कैदी और कोकिला (वीर रस), ग्राम श्री (शृंगार रस), और मेघ आए (शृंगार रस), रस की विविधता और सौंदर्य को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। रस के अध्ययन से छात्र काव्य की गहराई और भावनात्मक प्रभाव को समझ सकते हैं।

Leave a Comment