MP Board 11th Biology The Cell The Unit of Life : “MP Board 11th Biology The Cell The Unit of Life” विषय एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय The Cell The Unit of Life जीव विज्ञान की नींव है, जिसमें आप कोशिका की संरचना, कार्य और प्रकारों के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस पोस्ट में हम कोशिका सिद्धांत, प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बीच अंतर और विभिन्न कोशिका अंगकों जैसे कि माइटोकॉन्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट, केंद्रक और गॉल्जी उपकरण की भूमिका को समझेंगे। यह सामग्री आपको न केवल परीक्षा में बेहतर अंक लाने में मदद करेगी, बल्कि जीव विज्ञान की गहरी समझ भी प्रदान करेगी।
कोशिका: जीवन की इकाई (The Cell: The Unit of Life)
जब हम अपने चारों ओर देखते हैं, तो हम जीव (living) और निर्जीव (non-living) दोनों को पाते हैं। इस अंतर का मूल कारण कोशिका (Cell) की उपस्थिति या अनुपस्थिति है। कोशिका ही जीवन की आधारभूत संरचनात्मक (structural) और क्रियात्मक (functional) इकाई है। सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं। कुछ जीव एक कोशिका से बने होते हैं जिन्हें एककोशिक जीव (Unicellular organisms) कहते हैं, जबकि अन्य, जैसे मनुष्य, अनेक कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं जिन्हें बहुकोशिक जीव (Multicellular organisms) कहते हैं।
8.1 कोशिका क्या है? (What is a Cell?)
कोशिकीय जीवधारी स्वतंत्र रूप से अस्तित्व बनाए रखने और जीवन के सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम होते हैं। कोशिका के बिना किसी का भी स्वतंत्र जीव अस्तित्व नहीं हो सकता।
- कोशिका की खोज:
- सबसे पहले एंटोनी वैन ल्युवेनहॉक (Antonie van Leeuwenhoek) ने कोशिका को देखा और इसका वर्णन किया।
- बाद में, रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने केंद्रक (Nucleus) की खोज की।
- सूक्ष्मदर्शी (Microscope) की खोज और बाद में फेज-कंट्रास्ट (Phase-contrast) व इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (Electron microscope) जैसे सुधारों के बाद कोशिका की विस्तृत संरचना का अध्ययन संभव हो सका।
8.2 कोशिका सिद्धांत (Cell Theory)
कोशिका सिद्धांत जीव विज्ञान का एक मौलिक सिद्धांत है:
- मैथियास श्लाइडन (Matthias Schleiden) (1838): इस जर्मन वनस्पति वैज्ञानिक ने अनेक पौधों का अध्ययन करने के बाद पाया कि वे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं, जो पौधों में ऊतकों (Tissues) का निर्माण करते हैं।
- थियोडोर श्वान (Theodor Schwann) (1839): एक ब्रिटिश प्राणी वैज्ञानिक ने विभिन्न जंतु कोशिकाओं का अध्ययन करने के बाद पाया कि कोशिकाओं के बाहर एक पतली परत मिलती है जिसे आजकल जीवद्रव्य झिल्ली (Plasma membrane) कहते हैं। उन्होंने पादप ऊतकों के अध्ययन के बाद पाया कि पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति (Cell wall) मिलती है, जो इसकी विशेषता है। इस आधार पर श्वान ने अपनी परिकल्पना रखते हुए बताया कि प्राणियों और वनस्पतियों का शरीर कोशिकाओं और उनके उत्पादों से मिलकर बना है।
- श्लाइडन और श्वान ने संयुक्त रूप से कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया। हालाँकि, उनका सिद्धांत यह बताने में असफल रहा कि नई कोशिकाओं का निर्माण कैसे होता है।
- रुडोल्फ विर्चो (Rudolf Virchow) (1855): इन्होंने पहली बार स्पष्ट किया कि कोशिका विभाजित होती है और नई कोशिकाओं का निर्माण पूर्व-स्थित कोशिकाओं के विभाजन से होता है। उन्होंने प्रसिद्ध लैटिन वाक्यांश “ओम्निस सेलुला ई सेलुला” (Omnis cellula e cellula) दिया, जिसका अर्थ है ‘सभी कोशिकाएँ पूर्व-विद्यमान कोशिकाओं से बनती हैं’।
वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में कोशिका सिद्धांत निम्नलिखित है:
- सभी जीव कोशिका व कोशिका उत्पादों से बने होते हैं।
- सभी कोशिकाएँ पूर्व-स्थित कोशिकाओं से निर्मित होती हैं।
8.3 कोशिका का समग्र अवलोकन (Overall View of the Cell)
आप प्याज के छिलके (पादप कोशिका) और मनुष्य की गाल की कोशिकाओं (जंतु कोशिका) को सूक्ष्मदर्शी से देख चुके होंगे।
- पादप कोशिका: इसकी बाहरी सतह पर एक स्पष्ट कोशिका भित्ति और इसके ठीक नीचे कोशिका झिल्ली होती है।
- जंतु कोशिका: इसके बाहर की तरफ केवल एक झिल्ली संरचना (कोशिका झिल्ली) दिखाई पड़ती है।
प्रत्येक कोशिका के भीतर एक सघन झिल्लीयुक्त संरचना मिलती है, जिसे केंद्रक (Nucleus) कहते हैं। इस केंद्रक में गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं, जिसमें आनुवंशिक पदार्थ डीएनए (DNA) होता है।
- यूकैरियोट (Eukaryote): वे कोशिकाएँ जिनमें झिल्लीयुक्त केंद्रक होता है।
- प्रोकैरियोट (Prokaryote): वे कोशिकाएँ जिनमें झिल्लीयुक्त केंद्रक नहीं मिलता।
दोनों यूकैरियोटिक व प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में, इनके आयतन को घेरे हुए एक अर्धतरल आव्यूह (Matrix) मिलता है जिसे कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। दोनों पादप व जंतु कोशिकाओं में, कोशिकीय क्रियाओं हेतु कोशिका द्रव्य एक प्रमुख स्थल होता है। कोशिका की ‘जीव अवस्था’ संबंधी विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाएँ यहीं संपन्न होती हैं।
यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक के अतिरिक्त अन्य झिल्लीयुक्त विभिन्न संरचनाएँ मिलती हैं, जो कोशिकांग (Organelles) कहलाती हैं, जैसे – अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum), सूत्रकणिकाएँ (Mitochondria), सूक्ष्मकाय (Microbodies), गॉल्जीकाय (Golgi apparatus), लयनकाय (Lysosome) व रसधानी (Vacuole)। प्रोकैरियोटिक कोशिका में झिल्लीयुक्त कोशिकांगों का अभाव होता है।
यूकैरियोटिक व प्रोकैरियोटिक दोनों कोशिकाओं में झिल्लीरहित अंगक राइबोसोम (Ribosome) मिलते हैं। कोशिका के भीतर राइबोसोम केवल कोशिका द्रव्य में ही नहीं, बल्कि दो अंगकों—हरित लवक (पादपों में) व सूत्रकणिका में, और खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough ER) में भी मिलते हैं।
जंतु कोशिकाओं में झिल्लीरहित तारककाय (Centrosome) जैसे अन्य अंगक मिलते हैं, जो कोशिका विभाजन में सहायता करते हैं।
कोशिकाएँ माप, आकार व कार्य की दृष्टि से काफी भिन्न होती हैं। उदाहरणार्थ, सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा (Mycoplasma) 0.3 μm (माइक्रोमीटर) लंबी होती है, जबकि जीवाणु (Bacteria) 3 से 5 μm के होते हैं। सबसे बड़ी पृथक की गई कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे के समान है। बहुकोशिकीय जीवधारियों में, मनुष्य की लाल रक्त कोशिका (RBC) का व्यास लगभग 7.0 μm होता है। तंत्रिका कोशिकाएँ सबसे लंबी कोशिकाओं में होती हैं। ये बिंबाकार (Disc-like), बहुभुजी (Polygonal), स्तंभी (Columnar), घनाभ (Cuboidal), धागे की तरह या असमाकृति प्रकार की हो सकती हैं। कोशिकाओं का रूप उनके कार्य के अनुसार भिन्न हो सकता है।
8.4 प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ (Prokaryotic Cells)
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में जीवाणु, नील-हरित शैवाल (Blue-green algae), माइकोप्लाज्मा और प्ल्यूरो निमोनिया सम जीव (PPLO – Pleuropneumonia Like Organisms) मिलते हैं। सामान्यतया ये यूकैरियोटिक कोशिकाओं से बहुत छोटी होती हैं और काफी तेजी से विभाजित होती हैं। माप का आकार काफी भिन्न होता है। जीवाणु के चार मूल आकार होते हैं— दंडाकार (Bacillus), गोलाकार (Coccus), कोशाकार (Vibrio) व सर्पिल (Spirillum)।
प्रोकैरियोटिक कोशिका का मूलभूत संगठन, आकार व कार्य में विभिन्नता के बावजूद, एक सा होता है। सभी प्रोकैरियोटिक में कोशिका भित्ति होती है जो कोशिका झिल्ली से घिरी होती है, केवल माइकोप्लाज्मा को छोड़कर। कोशिका में साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) एक तरल मैट्रिक्स के रूप में भरा रहता है। इसमें कोई स्पष्ट विभेदित केंद्रक नहीं पाया जाता है। आनुवंशिक पदार्थ मुख्य रूप से नग्न व केंद्रक झिल्ली द्वारा परिबद्ध (bound) नहीं होता है। जीनोमिक डीएनए (Genomic DNA) के अतिरिक्त (एकल गुणसूत्र / गोलाकार डीएनए), जीवाणु में सूक्ष्म डीएनए वृत्त (Circular DNA) जीनोमिक डीएनए के बाहर पाए जाते हैं। इन डीएनए वृत्तों को प्लाज्मिड (Plasmid) कहते हैं। ये प्लास्मिड डीएनए जीवाणुओं में विशिष्ट समलक्षणों (Phenotypic characters) को बताते हैं। उनमें से एक प्रतिजीवी (Antibiotic) के प्रतिरोधी होते हैं।
उच्च कक्षाओं में आप पढ़ेंगे कि प्लास्मिड डीएनए वृत्त जीवाणु का बाहरी डीएनए के साथ रूपांतरण के प्रबोधन (facilitation) हेतु उपयोगी है। केंद्रक झिल्ली यूकैरियोटों में पाई जाती है। राइबोसोम के अलावा प्रोकैरियोटिकों में यूकैरियोटिक अंगक नहीं पाए जाते हैं। प्रोकैरियोटिकों में कुछ विशेष प्रकार के अंतर्विष्ट (Inclusion) मिलते हैं। प्रोकैरियोटिक की यह विशेषता कि उनमें कोशिका झिल्ली एक विशिष्ट विभेदित आकार में मिलती है जिसे मीसोसोम (Mesosome) कहते हैं। ये तत्व कोशिका झिल्ली अंतर्वलन (Invaginations) होते हैं।
8.4.1 कोशिका आवरण और इसके रूपांतर (Cell Envelope and Its Modifications)
अधिकांश प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं, विशेषकर जीवाणु कोशिकाओं में, एक जटिल रासायनिक कोशिका आवरण मिलता है। इनमें कोशिका आवरण दृढ़तापूर्वक बंधकर तीन स्तरीय संरचना बनाते हैं, जैसे बाह्य परत ग्लाइकोकैलिक्स (Glycocalyx), जिसके पश्चात् क्रमशः कोशिका भित्ति एवं जीवद्रव्य झिल्ली होती है। यद्यपि आवरण के प्रत्येक परत का कार्य भिन्न है, पर यह तीनों मिलकर एक सुरक्षा इकाई बनाते हैं।
जीवाणुओं को उनकी कोशिका आवरण में विभिन्नता व ग्राम द्वारा विकसित अभिरंजन विधि (Gram staining method) के प्रति विभिन्न व्यवहार के कारण दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे – जो ग्राम अभिरंजित होते हैं, उसे ग्राम धनात्मक (Gram positive) एवं अन्य जो अभिरंजित नहीं हो पाते, उन्हें ग्राम ऋणात्मक (Gram negative) कहते हैं।
ग्लाइकोकैलिक्स विभिन्न जीवाणुओं में रचना एवं मोटाई में भिन्न होती है। कुछ में यह ढीली आच्छद (loose sheath) होती है जिसे अवपंक परत (Slime layer) कहते हैं, व दूसरों में यह मोटी व कठोर आवरण के रूप में हो सकती है जो संपुटिका (Capsule) कहलाती है। कोशिका भित्ति कोशिका के आकार को निर्धारित करती है। वह सशक्त संरचनात्मक भूमिका प्रदान करती है, जो जीवाणु को फटने तथा निपातित (collapsing) होने से बचाती है।
जीवद्रव्य झिल्ली प्रकृति में वर्णात्मक (Selective) होती है और इसके द्वारा कोशिका बाह्य वातावरण से संपर्क बनाए रखने में सक्षम होती है। संरचनानुसार यह झिल्ली यूकैरियोटिक झिल्ली जैसी होती है। एक विशेष झिल्लीमय संरचना, जो जीवद्रव्य झिल्ली के कोशिका में फैलाव से बनती है, को मीसोसोम (Mesosome) कहते हैं। यह फैलाव पुटिका (Vesicle), नलिका (Tubule) एवं पटलिका (Lamellae) के रूप में होता है। यह कोशिका भित्ति निर्माण, डीएनए प्रतिकृति व इसके संतति कोशिका में वितरण को सहायता देता है या श्वसन (Respiration), स्रावी प्रक्रिया (Secretory process), जीवद्रव्य झिल्ली के पृष्ठ क्षेत्र, एंजाइम मात्रा को बढ़ाने में भी सहायता करता है। कुछ प्रोकैरियोटिक जैसे नील-हरित जीवाणु के कोशिका द्रव्य में झिल्लीमय विस्तार होता है जिसे वर्णकी लवक (Chromatophores) कहते हैं। इसमें वर्णक (Pigments) पाए जाते हैं।
जीवाणु कोशिकाएँ चलायमान (Motile) अथवा अचलायमान (Non-motile) होती हैं। यदि वह चलायमान हैं तो उनमें कोशिका भित्ति जैसी पतली संरचना मिलती है जिसे कशाभिका (Flagella) कहते हैं। जीवाणुओं में कशाभिका की संख्या व विन्यास का क्रम भिन्न होता है। जीवाणु कशाभिका (Flagellum) तीन भागों में बँटा होता है—तंतु (Filament), अंकुश (Hook) व आधारीय शरीर (Basal body)। तंतु, कशाभिका का सबसे बड़ा भाग होता है और यह कोशिका सतह से बाहर की ओर फैला होता है।
जीवाणुओं के सतह पर पाई जाने वाली संरचना रोम (Pili) व झालर (Fimbriae) इनकी गति में सहायक नहीं होती हैं। रोम लंबी नलिकाकार संरचना होती है, जो विशेष प्रोटीन की बनी होती है। झालर लघुशूक (Bristle-like) जैसे तंतु हैं जो कोशिका के बाहर प्रवर्तित (project) होते हैं। कुछ जीवाणुओं में, यह उनको पानी की धारा में पाई जाने वाली चट्टानों व पोषक ऊतकों से चिपकने में सहायता प्रदान करती है।
8.4.2 राइबोसोम व अंतर्विष्ट पिंड (Ribosomes and Inclusion Bodies)
प्रोकैरियोटिक में राइबोसोम कोशिका की जीवद्रव्य झिल्ली से जुड़े होते हैं। ये 15 से 20 नैनोमीटर (nm) आकार के होते हैं और दो उप-इकाइयों में 50S व 30S के बने होते हैं, जो आपस में मिलकर 70S प्रोकैरियोटिक राइबोसोम बनाते हैं। राइबोसोम के ऊपर प्रोटीन संश्लेषित (Synthesized) होती है। बहुत से राइबोसोम एक संदेशवाहक आरएनए (mRNA) से संबद्ध होकर एक श्रृंखला बनाते हैं, जिसे बहुर राइबोसोम (Polyribosomes) अथवा बहूसूत्र (Polysomes) कहते हैं। बहूसूत्र का राइबोसोम संदेशवाहक आरएनए से संबद्ध होकर प्रोटीन निर्माण में भाग लेता है।
अंतर्विष्ट पिंड (Inclusion Bodies): प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में बचे हुए पदार्थ कोशिका द्रव्य में अंतर्विष्ट पिंड के रूप में संचित होते हैं। ये झिल्ली द्वारा घिरे नहीं होते हैं एवं कोशिका द्रव्य में स्वतंत्र रूप से पड़े रहते हैं, उदाहरणार्थ – फॉस्फेट कणिकाएँ, साइनोफाइसी कणिकाएँ और ग्लाइकोजन कणिकाएँ। गैस रसधानी (Gas vacuoles) नील-हरित, बैंगनी और हरी प्रकाश-संश्लेषी जीवाणुओं में मिलती हैं।
8.5 यूकैरियोटिक कोशिकाएँ (Eukaryotic Cells)
सभी प्रोटिस्ट (Protists), पादप (Plants), प्राणी (Animals) व कवक (Fungi) में यूकैरियोटिक कोशिकाएँ होती हैं। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीदार अंगकों की उपस्थिति के कारण कोशिका द्रव्य विस्तृत कक्षयुक्त प्रतीत होता है। यूकैरियोटिक कोशिकाओं में झिल्लीमय केंद्रक आवरण युक्त व्यवस्थित केंद्रक मिलता है। इसके अतिरिक्त यूकैरियोटिक कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार के जटिल गतिकीय (Dynamic) एवं कोशिकीय कंकाल (Cytoskeleton) जैसी संरचना मिलती है। इनमें आनुवंशिक पदार्थ गुणसूत्रों के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।
सभी यूकैरियोटिक कोशिकाएँ एक जैसी नहीं होती हैं। पादप व जंतु कोशिकाएँ भिन्न होती हैं। पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति, लवक (Plastids) एवं एक बड़ी केंद्रीय रसधानी (Central vacuole) मिलती है, जबकि प्राणी कोशिकाओं में ये अनुपस्थित होती हैं। दूसरी तरफ प्राणी कोशिकाओं में तारककाय (Centrosome) मिलता है जो लगभग सभी पादप कोशिकाओं में अनुपस्थित होता है।
आइए! अब प्रत्येक कोशिकीय अंगक की संरचना व कार्यविधि का अध्ययन करें।
[Image showing a plant cell and an animal cell with their distinct features]
8.5.1 कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
वर्ष 1950 के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद कोशिका झिल्ली की विस्तृत संरचना का ज्ञान संभव हो सका है। इस बीच मनुष्य की लाल रक्त कणिकाओं (RBCs) की कोशिका झिल्ली के रासायनिक अध्ययन के बाद जीवद्रव्य झिल्ली की संभावित संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकी।
अध्ययनों के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि कोशिका झिल्ली मुख्यत: लिपिड (Lipids) व प्रोटीन (Proteins) की बनी होती है। इसमें प्रमुख लिपिड, फॉस्फोलिपिड (Phospholipids) होते हैं, जो दो सतहों में व्यवस्थित होती है। लिपिड झिल्ली के अंदर व्यवस्थित होते हैं, जिनका ध्रुवीय सिरा बाहर की ओर व जल भीरु (hydrophobic) पुच्छ सिरा अंदर की ओर होता है। इससे सुनिश्चित होता है कि संतृप्त हाइड्रोकार्बन की बनी हुई अध्रुवीय पुच्छ जलीय वातावरण से सुरक्षित रहती हैं। इसके अतिरिक्त फॉस्फोलिपिड झिल्ली में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) भी होता है।
बाद में, जैव रासायनिक अनुसंधानों से यह स्पष्ट हो गया है कि कोशिका झिल्ली में प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) पाया जाता है। विभिन्न कोशिकाओं में प्रोटीन व लिपिड का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। मनुष्य की रुधिराणु (Erythrocyte) की झिल्ली में लगभग 52 प्रतिशत प्रोटीन व 40 प्रतिशत लिपिड मिलता है। झिल्ली में पाए जाने वाले प्रोटीन को अलग करने की सुविधा के आधार पर दो अंगभूत (Integral) व परिधीय (Peripheral) प्रोटीन भागों में विभक्त कर सकते हैं। परिधीय प्रोटीन झिल्ली की सतह पर होता है, जबकि अंगभूत प्रोटीन आंशिक या पूर्ण रूप से झिल्ली में धंसे होते हैं।
कोशिका झिल्ली का उन्नत नमूना 1972 में सिंगर (Singer) व निकोलसन (Nicolson) द्वारा प्रतिपादित किया गया, जिसे तरल किर्मीर नमूना (Fluid Mosaic Model) के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया। इसके अनुसार लिपिड के अर्धतरलीय प्रकृति के कारण फॉस्फोलिपिड द्विस्तर के भीतर प्रोटीन पार्श्विक गति करता है। झिल्ली के भीतर गति करने की क्षमता उसकी तरलता (Fluidity) पर निर्भर करती है।
झिल्ली की तरलीय प्रकृति इसके कार्य जैसे – कोशिका वृद्धि (Cell growth), अंतरकोशिकीय संयोजन (Intercellular junction) का निर्माण, स्रावण (Secretion), अंतर्कोशिकन (Endocytosis), कोशिका विभाजन (Cell division) इत्यादि की दृष्टि में महत्वपूर्ण है।
जीवद्रव्य झिल्ली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि इससे अणुओं का परिवहन होता है। यह झिल्ली इसके दोनों तरफ मिलने वाले अणुओं के लिए चयनीत पारगम्य (Selectively permeable) है। कुछ अणु बिना ऊर्जा की आवश्यकता के इस झिल्ली से होकर आते हैं जिसे निष्क्रिय परिवहन (Passive transport) कहते हैं। उदासीन विलेय सांद्रता प्रवणता (Concentration gradient) के अनुसार जैसे – उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर साधारण विसरण (Simple diffusion) द्वारा इस झिल्ली से होकर जाते हैं। जल भी इस झिल्ली से उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर गति करता है। विसरण द्वारा जल के प्रवाह को परासरण (Osmosis) कहते हैं। क्योंकि ध्रुवीय अणु जो अध्रुवीय लिपिड द्विस्तर से होकर नहीं जा सकते, उन्हें झिल्ली से होकर परिवहन के लिए झिल्ली की वाहक प्रोटीन (Carrier protein) की आवश्यकता होती है।
कुछ आयन या अणुओं का झिल्ली से होकर परिवहन उनकी सांद्रता प्रवणता के विपरीत जैसे निम्न से उच्च सांद्रता की ओर होता है। इस प्रकार के परिवहन हेतु ऊर्जा आधारित प्रक्रिया होती है, जिसमें ATP का उपयोग होता है जिसे सक्रिय परिवहन (Active transport) कहते हैं। यह एक पंप (Pump) के रूप में कार्य करता है जैसे – सोडियम आयन/पोटेशियम आयन पंप (Sodium-Potassium pump)।
8.5.2 कोशिका भित्ति (Cell Wall)
आपको याद ही होगा कि कवक (Fungi) व पौधों की जीवद्रव्य झिल्ली के बाहर पाए जाने वाली दृढ़ निर्जीव आवरण को कोशिका भित्ति कहते हैं। कोशिका भित्ति कोशिका को केवल यांत्रिक हानियों (Mechanical damages) और संक्रमण (Infection) से ही रक्षा नहीं करता है, बल्कि यह कोशिकाओं के बीच आपसी संपर्क बनाए रखने तथा अवांछनीय वृहद अणुओं के लिए अवरोध प्रदान करता है। शैवाल की कोशिका भित्ति सेलुलोज (Cellulose), गैलेक्टेन्स (Galactans), मैनन्स (Mannans) व खनिज जैसे कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium carbonate) की बनी होती है, जबकि दूसरे पौधों में यह सेलुलोज, हेमीसेलुलोज (Hemicellulose), पेक्टिन (Pectins) व प्रोटीन (Proteins) की बनी होती है। नव पादप कोशिका की कोशिका भित्ति में स्थित प्राथमिक भित्ति (Primary wall) में वृद्धि की क्षमता होती है, जो कोशिका की परिपक्वता के साथ घटती जाती है व इसके साथ कोशिका के भीतर की तरफ द्वितीयक भित्ति (Secondary wall) का निर्माण होने लगता है।
मध्यपटलिका (Middle lamella) मुख्यत: कैल्शियम पेक्टेट (Calcium pectate) की बनी सतह होती है जो आस-पास की विभिन्न कोशिकाओं को आपस में चिपकाए व पकड़े रहती है। कोशिका भित्ति एवं मध्य पटलिका में जीवद्रव्य तंतु (Plasmodesmata) आड़े-तिरछे रूप में स्थित रहते हैं, जो आस-पास की कोशिका द्रव्य को जोड़ते हैं।
8.5.3 अंतः झिल्ली तंत्र (Endomembrane System)
झिल्लीदार अंगक कार्य व संरचना के आधार पर एक दूसरे से काफी अलग होते हैं, इनमें बहुत से ऐसे होते हैं जिनके कार्य एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, उन्हें अंतः झिल्ली तंत्र के अंतर्गत रखते हैं। इस तंत्र के अंतर्गत अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum), गॉल्जीकाय (Golgi apparatus), लाइसोसोम (Lysosome) व रसधानी (Vacuole) अंग आते हैं। सूत्रकणिका (Mitochondria), हरितलवक (Chloroplast) व परऑक्सीसोम (Peroxisome) के कार्य उपरोक्त अंगों से संबंधित नहीं होते, इसलिए इन्हें अंतः झिल्ली तंत्र के अंतर्गत नहीं रखते हैं।
8.5.3.1 अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum – ER)
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन के पश्चात् यह पता चला कि यूकैरियोटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में चपटे, आपस में जुड़े, थैली युक्त छोटी नलिकावत जालिकायुक्त तंत्र बिखरा रहता है जिसे अंतर्द्रव्यी जालिका कहते हैं।
प्राय: राइबोसोम अंतर्द्रव्यी जालिका के बाहरी सतह पर चिपके रहते हैं। जिस अंतर्द्रव्यी जालिका के सतह पर ये राइबोसोम मिलते हैं, उसे खुरदुरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum – RER) कहते हैं। राइबोसोम की अनुपस्थिति पर अंतर्द्रव्यी जालिका चिकनी लगती है, अतः इसे चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum – SER) कहते हैं। जो कोशिकाएँ प्रोटीन संश्लेषण एवं स्रावण में सक्रिय भाग लेती हैं उनमें खुरदुरी अंतर्द्रव्यी जालिका बहुतायत से मिलती है। ये काफी फैली हुई तथा केंद्रक के बाह्य झिल्ली तक फैली होती हैं। चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका प्राणियों में लिपिड संश्लेषण के मुख्य स्थल होते हैं। लिपिड की भाँति स्टेरॉयडल हार्मोन चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका में होते हैं।
8.5.3.2 गॉल्जी उपकरण (Golgi Apparatus)
कैमिलो गॉल्जी (Camillo Golgi) (1898) ने पहली बार केंद्रक के पास घनी रंजित जालीकावत संरचना तंत्रिका कोशिका में देखी। जिन्हें बाद में उनके नाम पर गॉल्जीकाय कहा गया। यह बहुत सारी चपटी डिस्क आकार की थैली या कुंड (Cisternae) से मिलकर बनी होती है, जिनका व्यास 0.5 माइक्रोमीटर से 1.0 माइक्रोमीटर होता है। ये एक दूसरे के समानांतर ढेर के रूप में मिलते हैं जिसे कुंडिकाएँ कहते हैं। गॉल्जीकाय में कुंडों की संख्या अलग-अलग होती है। गॉल्जीकुंड केंद्रक के पास संकेंद्रित (concentrically) व्यवस्थित होते हैं, जिनमें निर्माणकारी सतह (उन्मुख सिस (Cis-face)) व परिपक्व सतह (उत्तलावत ट्रांस (Trans-face)) होती है। अंगक सिस व ट्रांस सतह पूर्णतः अलग होते हैं लेकिन आपस में जुड़े रहते हैं।
गॉल्जीकाय का मुख्य कार्य द्रव्य को संवेष्टित (Package) कर अंतर-कोशिकीय लक्ष्य तक पहुँचाना या कोशिका के बाहर स्रावण (Secretion) करना है। संवेष्टित द्रव्य अंतर्द्रव्यी जालिका से पुटिका के रूप में गॉल्जीकाय के सिस सिरे से संगठित होकर परिपक्व सतह की ओर गति करते हैं। इससे स्पष्ट है कि गॉल्जीकाय का अंतर्द्रव्यी जालिका से निकटतम संबंध है। अंतर्द्रव्यी जालिका पर उपस्थित राइबोसोम द्वारा प्रोटीन का संश्लेषण होता है जो गॉल्जीकाय के ट्रांस सिरे से निकलने के पूर्व इसके कुंड में रूपांतरित हो जाते हैं। गॉल्जीकाय ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins) व ग्लाइकोलिपिड (Glycolipids) निर्माण का प्रमुख स्थल है।
8.5.3.3 लयनकाय (Lysosome)
यह झिल्ली पुटिका (Vesicular) संरचना होती है जो संवेष्टन विधि द्वारा गॉल्जीकाय से बनती है। पृथक्कृत लयनकाय पुटिकाओं में सभी प्रकार की जल-अपघटनीय एंजाइम (Hydrolytic enzymes) (जैसे – हाइड्रोलिसेस (Hydrolases), लाइपेसेस (Lipases), प्रोटीसेस (Proteases) व कार्बोहाइड्रजेस (Carbohydrases)) मिलते हैं जो अम्लीय परिस्थितियों में सर्वाधिक सक्रिय होते हैं। ये एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, न्यूक्लिक अम्ल आदि के पाचन में सक्षम हैं। इन्हें ‘आत्मघाती थैली’ (Suicidal Bag) भी कहते हैं।
8.5.3.4 रसधानी (Vacuole)
कोशिका द्रव्य में झिल्ली द्वारा घिरी जगह को रसधानी कहते हैं। इनमें पानी, रस, उत्सर्जक पदार्थ व अन्य उत्पाद जो कोशिका के लिए उपयोगी नहीं हैं, भी इसमें मिलते हैं। रसधानी एकल झिल्ली से आवृत्त होती है जिसे टोनोप्लास्ट (Tonoplast) कहते हैं। पादप कोशिकाओं में यह कोशिका का 90 प्रतिशत स्थान घेरता है।
पौधों में बहुत से आयन व दूसरे पदार्थ सांद्रता प्रवणता के विपरीत टोनोप्लास्ट से होकर रसधानी में अभिगमित (transported) होते हैं, इस कारण से इनकी सांद्रता रसधानी में कोशिका द्रव्य की अपेक्षा काफी अधिक होती है। अमीबा (Amoeba) में संकुचनशील रसधानी (Contractile vacuole) उत्सर्जन (Excretion) के लिए महत्वपूर्ण है। बहुत सारी कोशिकाओं जैसे प्रोटोजोआ (Protozoa) में खाद्य रसधानी (Food vacuole) का निर्माण खाद्य पदार्थों को निगलने के लिए होता है।
8.5.4 सूत्रकणिका (Mitochondria)
सूत्रकणिका को जब तक विशेष रूप से अभिरंजित नहीं किया जाता तब तक सूक्ष्मदर्शी द्वारा इसे आसानी से नहीं देखा जा सकता है। प्रत्येक कोशिका में सूत्रकणिका की संख्या भिन्न होती है। यह उसकी कार्यिकी सक्रियता (Physiological activity) पर निर्भर करती है। ये आकृति व आकार में भिन्न होती हैं। यह तश्तरीनुमा बेलनाकार आकृति की होती है जो 1.0-4.1 माइक्रोमीटर लंबी व 0.2-1 माइक्रोमीटर (औसत 0.5 माइक्रोमीटर) व्यास की होती है।
सूत्रकणिका एक दोहरी झिल्ली युक्त संरचना होती है, जिसकी बाहरी झिल्ली व भीतरी झिल्ली इसकी अवकाशिाका (Lumen) को दो स्पष्ट जलीय कक्षों – बाह्य कक्ष (Outer compartment) व भीतरी कक्ष (Inner compartment) में विभाजित करती है। भीतरी कक्ष जो घने व समांगी पदार्थ से भरा होता है, मैट्रिक्स (Matrix) कहते हैं। बाह्यकला सूत्रकणिका की बाह्य सतत सीमा बनाती है। इसकी अंतर्झिल्ली कई मैट्रिक्स की तरफ अंतर्वलन बनाती है जिसे क्रिस्टी (Cristae) (एक वचन – क्रिस्टा) कहते हैं। क्रिस्टी इसका क्षेत्रफल बढ़ाते हैं। इसकी दोनों झिल्लियों में इनसे संबंधित विशेष एंजाइम मिलते हैं, जो सूत्रकणिका के कार्य से संबंधित हैं। सूत्रकणिका का वायवीय श्वसन (Aerobic respiration) से संबंध होता है। इनमें कोशिकीय ऊर्जा ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में उत्पादित होती है। इस कारण से सूत्रकणिका को कोशिका का ‘शक्ति गृह’ (Powerhouse of the cell) कहते हैं। सूत्रकणिका के मैट्रिक्स में एकल वृत्ताकार डीएनए अणु व कुछ आरएनए, राइबोसोम्स (70S) तथा प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक मिलते हैं। सूत्रकणिका विखंडन द्वारा विभाजित होती है।
8.5.5 लवक (Plastids)
लवक सभी पादप कोशिकाओं एवं कुछ प्रोटोजोआ जैसे यूग्लीना में मिलते हैं। ये आकार में बड़े होने के कारण सूक्ष्मदर्शी से आसानी से दिखाई पड़ते हैं। इसमें विशिष्ट प्रकार के वर्णक (Pigments) मिलने के कारण पौधे भिन्न-भिन्न रंग के दिखाई पड़ते हैं। विभिन्न प्रकार के वर्णकों के आधार पर लवक कई तरह के होते हैं जैसे – हरित लवक (Chloroplast), वर्णी लवक (Chromoplast) व अवर्णी लवक (Leucoplast)।
- हरित लवकों में पर्णहरित (Chlorophyll) वर्णक व कैरोटीनॉइड (Carotenoid) वर्णक मिलते हैं जो प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) के लिए आवश्यक प्रकाशीय ऊर्जा को संचित रखने का कार्य करते हैं।
- वर्णी लवकों में वसा विलेय (Fat-soluble) कैरोटीनॉइड वर्णक जैसे – कैरोटीन (Carotene), जैंथोफिल (Xanthophyll) व अन्य दूसरे मिलते हैं। इनके कारण पादपों में पीले, नारंगी व लाल रंग दिखाई पड़ते हैं।
- अवर्णी लवक विभिन्न आकृति एवं आकार के रंगहीन लवक होते हैं जिनमें खाद्य पदार्थ संचित रहते हैं: मंड लवक (Amyloplast) में मंड के रूप में कार्बोहाइड्रेट संचित होता है जैसे – आलू। तेल लवक (Elaioplast) में तेल व वसा तथा प्रोटीन लवक (Aleuroplast) में प्रोटीन का भंडारण होता है।
हरे पौधों के अधिकतर हरित लवक पत्ती की पर्णमध्योतक (Mesophyll) कोशिकाओं में पाए जाते हैं। हरित लवक लेंस के आकार के, अंडाकार, गोलाकार, चपटे या फीते के आकार के अंगक होते हैं जो विभिन्न लंबाई (5-10 माइक्रोमीटर) व चौड़ाई (2-4 माइक्रोमीटर) के होते हैं। इनकी संख्या भिन्न हो सकती है जैसे प्रत्येक कोशिका में एक (क्लैमाइडोमोनास – हरित शैवाल) से 20 से 40 प्रति कोशिका पर्णमध्योतक कोशिका हो सकती है।
सूत्रकणिका की तरह हरित लवक द्विझिल्लीकायुक्त (Double-membraned) होते हैं। उपरोक्त दो में से इसकी भीतरी लवक झिल्ली अपेक्षाकृत कम पारगम्य होती है। हरित लवक के अंतःझिल्ली से घिरे हुए भीतर के स्थान को पीठिका (Stroma) कहते हैं। पीठिका में चपटे, झिल्लीयुक्त थैली जैसी संरचना संगठित होती है जिसे थाइलाकोइड (Thylakoid) कहते हैं। थाइलाकोइड सिक्कों के चट्टों की भाँति ढेर के रूप में मिलते हैं जिसे ग्रेना (Grana) (एकवचन – ग्रेनम) या अंतर्ग्रेना थाइलाकोइड कहते हैं। इसके अलावा कई चपटी झिल्लीनुमा नलिकाएँ जो ग्रेना के विभिन्न थाइलाकोइड को जोड़ती हैं उसे पीठिका पट्टिकाएँ (Stromal lamellae) कहते हैं। थाइलाकोइड की झिल्ली एक रिक्त स्थान को घेरे होती है। इसे अवकाशिका (Lumen) कहते हैं। हरित लवक की पीठिका में बहुत एंजाइम मिलते हैं जो कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं। इनमें छोटा, द्विलड़ी (double-stranded), वृत्ताकार डीएनए अणु व राइबोसोम मिलते हैं। हरित लवक थाइलाकोइड में उपस्थित होते हैं। हरित लवक में पाया जाने वाला राइबोसोम (70S) कोशिकाद्रव्यी राइबोसोम (80S) से छोटा होता है।
8.5.6 राइबोसोम (Ribosomes)
जॉर्ज पैलाडे (George Palade) (1953) ने इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा सघन कणिकामय संरचना राइबोसोम को सर्वप्रथम देखा था। ये राइबोन्यूक्लिक अम्ल (rRNA) व प्रोटीन के बने और किसी भी झिल्ली से घिरे नहीं रहते।
यूकैरियोटिक राइबोसोम 80S व प्रोकैरियोटिक राइबोसोम 70S प्रकार के होते हैं। प्रत्येक राइबोसोम में उप-इकाइयाँ बड़ी व छोटी उप-इकाई होती है। यहाँ पर ‘S’ (स्वेडबर्ग इकाई – Svedberg unit) अवसादन गुणांक (Sedimentation coefficient) को प्रदर्शित करता है। यह परोक्ष रूप में आकार व घनत्व को व्यक्त करता है। दोनों 70S व 80S राइबोसोम दो उप-इकाइयों से बना होता है।
8.5.7 साइटोपंजर (Cytoskeleton)
प्रोटीनयुक्त विस्तृत जालीकावत तंतु जो कोशिका द्रव्य में मिलता है, उसे साइटोपंजर कहते हैं। कोशिका में मिलने वाले साइटोपंजर के विभिन्न कार्य जैसे – यांत्रिक सहायता (Mechanical support), गति (Motility) व कोशिका के आकार को बनाए रखने में उपयोगी है।
8.5.8 पक्ष्माभ व कशाभिका (Cilia and Flagella)
पक्ष्माभिकाएँ (एकवचन – पक्ष्माभ) व कशाभिकाएँ (एकवचन – कशाभिका) रोम सदृश कोशिका झिल्ली पर मिलने वाली अभिवृद्धि (Outgrowth) हैं। पक्ष्माभ एक छोटी संरचना चप्पू की तरह कार्य करती है, जो कोशिका को या उसके चारों तरफ मिलने वाले द्रव्य की गति में सहायक है। कशाभिका अपेक्षाकृत लंबे व कोशिका की गति में सहायक है। प्रोकैरियोटिक जीवाणु में पाई जाने वाली कशाभिका संरचनात्मक रूप में यूकैरियोटिक कशाभिका से भिन्न होती है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी अध्ययन से पता चलता है कि पक्ष्माभ व कशाभिका जीवद्रव्य झिल्ली से ढके होते हैं। इनके कोर (Core) को अक्षसूत्र (Axoneme) कहते हैं, जो कई सूक्ष्म नलिकाओं (Microtubules) का बना होता है, जो लंबे अक्ष के समानांतर स्थित होते हैं। अक्षसूत्र के केंद्र में एक जोड़ा सूक्ष्म नलिका मिलती है और नौ द्विक अरीय परिधि की ओर व्यवस्थित सूक्ष्मनलिकाएँ होती हैं। अक्षसूत्र की सूक्ष्मनलिकाओं की इस व्यवस्था को 9+2 प्रणाली (9+2 Array) कहते हैं। केंद्रीय नलिका सेतु (Bridge) द्वारा जुड़े हुए एवं केंद्रीय आवरण द्वारा ढके होते हैं, जो परिधीय द्विक के प्रत्येक नलिका को अरीय दंड (Radial spoke) द्वारा जोड़ते हैं। इस प्रकार नौ अरीय तान (Rods) बनती हैं। परिधीय द्विक सेतु द्वारा आपस में जुड़े होते हैं। दोनों पक्ष्माभ व कशाभिका तारक केंद्र सदृश संरचना से बाहर निकलते हैं जिसे आधारीकाय (Basal body) कहते हैं।
8.5.9 तारककाय व तारककेंद्र (Centrosome and Centrioles)
तारककाय वह अंगक है जो दो बेलनाकार संरचना से मिलकर बना होता है, जिसे तारककेंद्र (Centrioles) कहते हैं। यह अक्रिस्टलीय परिद्रव्य (Amorphous pericentriolar material) से घिरा होता है। दोनों तारककेंद्र तारककाय में एक दूसरे के लंबवत (Perpendicular) स्थित होते हैं, जिसमें प्रत्येक की संरचना बैलगाड़ी के पहिए जैसी होती है। तारककेंद्र संख्या में नौ समान दूरी पर स्थित परिधीय ट्यूब्युलिन सूत्रकों से बने होते हैं। प्रत्येक परिधीय सूत्रक एक त्रिक (Triplet) होते हैं। पास के त्रिक आपस में जुड़े होते हैं। तारककेंद्र का अग्र भीतरी भाग प्रोटीन का बना होता है जिसे धुरी (Hub) कहते हैं, यह परिधीय त्रिक के नलिका से प्रोटीन से बने अरीय दंड से जुड़े होते हैं। तारककेंद्र पक्ष्माभ व कशाभिका का आधारीकाय बनाता है और तर्कु तंतु (Spindle fibres) जंतु कोशिका विभाजन के उपरांत तर्कु उपकरण (Spindle apparatus) बनाता है।
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8.5.10 केंद्रक (Nucleus)
कोशिकीय अंगक केंद्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 से पूर्व की थी। बाद में फ्लेमिंग ने केंद्रक में मिलने वाले पदार्थ जो क्षारीय रंग से रंजित हो जाता है उसे क्रोमेटिन (Chromatin) का नाम दिया।
अंतराकाल अवस्था (Interphase) केंद्रक (कोशिका केंद्रक जिसका विभाजन नहीं हो रहा हो) अत्यधिक फैली हुई व विस्तृत केंद्रीय प्रोटीन तंतु की बनी होती है जिसे क्रोमेटिन कहते हैं। केंद्रीय आव्यूह में एक या अधिक गोलाकार संरचनाएँ मिलती हैं जिसे केंद्रिका (Nucleolus) कहते हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रक आवरण (Nuclear envelope) दो समानांतर झिल्लियों से बना होता है, जिनके बीच 10 से 50 नैनोमीटर का रिक्त स्थान पाया जाता है जिसे परिकेंद्रकीय अवकाश (Perinuclear space) कहते हैं। यह आवरण केंद्रक में मिलने वाले द्रव्य व कोशिका द्रव्य के बीच अवरोध का काम करता है। बाह्य झिल्ली सामान्यत: अंतर्द्रव्यी जालिका से सतत रूप से जुड़ी रहती है व इस पर राइबोसोम भी जुड़े रहते हैं। निश्चित स्थानों पर केंद्रक आवरण छिद्र (Nuclear pore) बनने के कारण विच्छिन्न हो जाता है। यह छिद्र केंद्रक आवरण की दोनों झिल्लियों के संलयन से बनता है। इन छिद्रों से होकर आरएनए व प्रोटीन अणु केंद्रक से कोशिका द्रव्य व कोशिका द्रव्य से केंद्रक की ओर आते-जाते रहते हैं। साधारणतया एक कोशिका में एक ही केंद्रक मिलता है लेकिन ऐसा देखा गया है कि इनकी संख्या कभी-कभी परिवर्तित होती रहती है। क्या आप कुछ जीवों का नाम बता सकते हैं जिनकी कोशिका में एक से अधिक केंद्रक मिलते हों? कुछ परिपक्व कोशिकाएँ केंद्रक रहित होती हैं जैसे – स्तनधारी जीवों की रक्तकणिकाएँ व संवहनी पौधों में चालनी नलिका कोशिका। क्या तुम मानते हो कि ये कोशिकाएँ जीवित हैं?
केंद्रीय आव्यूह या केंद्रक द्रव्य (Nucleoplasm) में केंद्रिका व क्रोमेटिन मिलता है। गोलाकार केंद्रिका केंद्रक द्रव्य में पाया जाता है। केंद्रिका झिल्ली रहित वह संरचना है जिसका द्रव्य केंद्रक से सतत संपर्क में रहता है। यह सक्रिय राइबोसोमल आरएनए संश्लेषण हेतु स्थल होते हैं। जो कोशिकाएँ अधिक सक्रिय रूप से प्रोटीन संश्लेषण करती हैं, उनमें बड़े व अनेक केंद्रक मिलते हैं।
आप याद करें कि अंतरावस्था केंद्रक में ढीली-ढाली अस्पष्ट न्यूक्लियोप्रोटीन तंतुओं की जालिका मिलती है जिसे क्रोमेटिन कहते हैं। अवस्थाओं व विभाजन के समय केंद्रक के स्थान पर गुणसूत्र संरचना दिखाई पड़ती है। क्रोमेटिन में डीएनए तथा कुछ क्षारीय प्रोटीन मिलता है जिसे हिस्टोन (Histone) कहते हैं, इसके अतिरिक्त उनमें इतर हिस्टोन (Non-histone) व आरएनए (RNA) भी मिलता है। मनुष्य की एक कोशिका में लगभग दो मीटर लंबा डीएनए सूत्र 46 गुणसूत्रों (23 जोड़ों) में बिखरा होता है। आप गुणसूत्र में डीएनए का संवेष्टन (Packaging) कक्षा 12वीं में विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे।
गुणसूत्र सिर्फ विभाजक कोशिकाओं में दिखाई देते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र में एक प्राथमिक संकीर्णन (Primary constriction) मिलता है जिसे गुणसूत्रबिंदु (Centromere) भी कहते हैं। इस पर बिंब आकार की संरचना मिलती है जिसे काइनेटोकोर (Kinetochore) कहते हैं। तारककाय, गुणसूत्र के दोनों अर्द्धगुणसूत्रों (Sister chromatids) के एक बिंदु पर पकड़ कर रखना है। गुणसूत्रबिंदु की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रों को चार प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
- मध्याकेंद्री (Metacentric): गुणसूत्रबिंदु गुणसूत्रों के बीचों-बीच स्थित होता है, जिससे गुणसूत्र की दोनों भुजाएँ बराबर लंबाई की होती हैं।
- उपमध्याकेंद्री (Sub-metacentric): गुणसूत्रबिंदु गुणसूत्र के मध्य से हटकर होता है, जिसके परिणामस्वरूप एक भुजा छोटी व एक भुजा बड़ी होती है।
- अग्रबिंदुक (Acrocentric): गुणसूत्रबिंदु इसके बिल्कुल किनारे पर मिलता है, जिससे एक भुजा अत्यंत छोटी व एक भुजा बहुत बड़ी होती है।
- अंत्याकेंद्री (Telocentric): गुणसूत्रबिंदु गुणसूत्र के शीर्ष पर स्थित होता है।
[Image showing different types of chromosomes based on centromere position]
8.5.11 सूक्ष्मकाय (Microbodies)
बहुत सारी झिल्ली आवरित (Membrane-bound) सूक्ष्म थैलियाँ जिनमें विभिन्न प्रकार के एंजाइम मिलते हैं, ये पौधों व जंतु कोशिकाओं में पाई जाती हैं।
Summary
सभी जीव कोशिकाओं या उनके समूहों से बने होते हैं। कोशिकाएं, उनके आकार, आकृति और कार्यों में भिन्न होती हैं। झिल्ली-युक्त केंद्रक और अन्य कोशिकांगों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर जीवों को प्रोकैरियोटिक या यूकैरियोटिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
एक विशिष्ट यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक और कोशिका द्रव्य होता है। पादप कोशिकाओं में, कोशिका झिल्ली के बाहर एक कोशिका भित्ति पाई जाती है। जीवद्रव्य झिल्ली (Plasma membrane) चयनात्मक रूप से पारगम्य होती है और अणुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अंतः झिल्ली तंत्र (Endomembrane system) में अंतर्द्रव्यी जालिका, गॉल्जीकाय, लाइसोसोम और रसधानी शामिल हैं। सभी कोशिकांगों के विशिष्ट कार्य होते हैं। पादप कोशिकाओं में हरित लवक (Chloroplasts) प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रकाश ऊर्जा को संग्रहीत करते हैं। तारककाय (Centrosome) और तारककेंद्र (Centrioles) पक्ष्माभ (Cilia) और कशाभिका (Flagella) का आधार बनाते हैं, जो गति में सहायक होते हैं। जंतु कोशिकाओं में, तारककेंद्र कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु उपकरण (Spindle apparatus) बनाते हैं।
केंद्रक (Nucleus) में केंद्रिका और क्रोमेटिन का जाल होता है। यह न केवल कोशिकांगों के कार्यों को नियंत्रित करता है, बल्कि आनुवंशिकी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum), जो नलिकाओं और कुंडों से बनी होती है, दो प्रकार की होती है: खुरदरी और चिकनी। यह पदार्थों के परिवहन, प्रोटीन, लाइपोप्रोटीन और ग्लाइकोजन के संश्लेषण में सहायता करती है। गॉल्जीकाय एक झिल्ली-युक्त कोशिकांग है जो चपटी थैलीनुमा संरचनाओं से बना होता है और स्राव में शामिल होता है। लाइसोसोम में सभी प्रकार के वृहद अणुओं को पचाने वाले एंजाइम होते हैं। राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं।
सूत्रकणिका (Mitochondria) ऑक्सीकारी फास्फोरिलीकरण और ATP के निर्माण में सहायक होती है, और इसकी भीतरी झिल्ली क्रिस्टी में अंतर्वलित (folded) होती है। लवक (Plastids) केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं और इनमें वर्णक होते हैं। लवक के ग्रेना में प्रकाशीय अभिक्रिया और पीठिका में अप्रकाशीय अभिक्रिया होती है।
पक्ष्माभ और कशाभिका कोशिका की गति में सहायक होते हैं, कशाभिका पक्ष्माभ से लंबी होती है। केंद्रक एक दोहरी झिल्ली से घिरा होता है जिसमें केंद्रक छिद्र होते हैं। प्राणी कोशिकाओं में तारककेंद्र एक दूसरे के लंबवत स्थित होते हैं।
FAQs on
प्रश्न 1: इनमें कौन सा सही नहीं है? (Which of these is not correct?)
- (अ) कोशिका की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। (The cell was discovered by Robert Brown.)
- (ब) श्लाइडेन व श्वान ने कोशिका सिद्धांत प्रतिपादित किया था। (Schleiden and Schwann proposed the cell theory.)
- (स) विर्चो के अनुसार कोशिका पूर्वस्थित कोशिका से बनती है। (According to Virchow, cells arise from pre-existing cells.)
- (द) एक कोशिकीय जीव अपने जीवन के कार्य एक कोशिका के भीतर करते हैं। (A unicellular organism performs all its life functions within a single cell.)
सही उत्तर: (अ). कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 में की थी, जबकि रॉबर्ट ब्राउन ने केंद्रक (nucleus) की खोज की थी।
प्रश्न 2: नई कोशिका का निर्माण होता है। (New cells are formed from.)
- (अ) जीवाणु किण्वन से। (From bacterial fermentation.)
- (ब) पुरानी कोशिकाओं के पुनरुत्पादन से। (From the reproduction of old cells.)
- (स) पूर्व स्थित कोशिकाओं से। (From pre-existing cells.)
- (द) अजैविक पदार्थों से। (From non-living substances.)
सही उत्तर: (स). यह रुडोल्फ विर्चो द्वारा दिए गए कोशिका सिद्धांत के कथन “ओम्निस सेलुला ई सेलुला” (Omnis cellula e cellula) पर आधारित है।
प्रश्न 3: निम्न के जोड़ा बनाइए: (Match the following:)
- अ) क्रिस्टी (Cristae)
- ब) कुंडिका (Cisternae)
- स) थाइलेकॉइड (Thylakoids)
- (i) पीठिका में चपटे कलामय थैली (Flat membranous sacs in the stroma)
- (ii) सूत्रकणिका में अंतर्वलन (Infoldings in the mitochondria)
- (iii) गॉल्जी उपकरण में बिंब आकार की थैली (Disc-shaped sacs in the Golgi apparatus)
सही उत्तर:
- अ) क्रिस्टी का मिलान (ii) से होगा (सूत्रकणिका में अंतर्वलन)।
- ब) कुंडिका का मिलान (iii) से होगा (गॉल्जी उपकरण में बिंब आकार की थैली)।
- स) थाइलेकॉइड का मिलान (i) से होगा (पीठिका में चपटे कलामय थैली)।
प्रश्न 4: इनमें कौन सा सही है? (Which of these is correct?)
- (अ) सभी जीव कोशिकाओं में केंद्रक मिलता है। (All living cells contain a nucleus.)
- (ब) दोनों जंतु व पादप कोशिकाओं में स्पष्ट कोशिका भित्ति होती है। (Both animal and plant cells have a distinct cell wall.)
- (स) प्रोकैरियोटिक की झिल्ली में आवरित अंगक नहीं मिलते हैं। (Prokaryotic cells do not have membrane-bound organelles.)
- (द) कोशिका का निर्माण अजैविक पदार्थों से नए सिरे से होता है। (Cells are formed anew from non-living substances.)
सही उत्तर: (स). प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक और अन्य झिल्ली-युक्त कोशिकांगों का अभाव होता है, जैसे कि माइटोकॉन्ड्रिया और गॉल्जी उपकरण।
प्रश्न 5: प्रोकैरियोटिक कोशिका में क्या मीसोसोम होता है? इसके कार्य का वर्णन करें। (Do prokaryotic cells have mesosomes? Describe their functions.)
हाँ, प्रोकैरियोटिक कोशिका में एक विशेष झिल्लीमय संरचना होती है जिसे मीसोसोम (mesosome) कहते हैं। यह जीवद्रव्य झिल्ली के अंदर की ओर मुड़ने से बनती है।
मीसोसोम के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
- यह कोशिका भित्ति के निर्माण में सहायता करता है।
- यह DNA की प्रतिकृति और संतति कोशिकाओं में उसके वितरण में सहायता करता है।
- यह श्वसन, स्रावी प्रक्रिया (secretory processes), जीवद्रव्य झिल्ली की सतह का क्षेत्रफल बढ़ाने और उसमें एंजाइम की मात्रा बढ़ाने में भी मदद करता है।
प्रश्न 6: कैसे उदासीन विलेय जीवद्रव्यझिल्ली से होकर गति करते हैं? क्या ध्रुवीय अणु उसी प्रकार से इससे होकर गति करते हैं? यदि नहीं तो इनका जीवद्रव्यझिल्ली से होकर परिवहन कैसे होता है? (How do neutral solutes move across the plasma membrane? Do polar molecules move in the same way? If not, how are they transported across the plasma membrane?)
उदासीन विलेय (Neutral solutes), जैसे कि साधारण विसरण (simple diffusion) द्वारा, सांद्रता प्रवणता (concentration gradient) के अनुसार—उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर—जीवद्रव्य झिल्ली से होकर गति करते हैं। इस प्रक्रिया को निष्क्रिय परिवहन (passive transport) कहते हैं, जिसमें ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती।
ध्रुवीय अणु (Polar molecules) इस तरह से गति नहीं कर पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीवद्रव्य झिल्ली का भीतरी हिस्सा अध्रुवीय (non-polar) होता है, और ध्रुवीय अणुओं के लिए यह पारगम्य नहीं होता। इन अणुओं के परिवहन के लिए झिल्ली में मौजूद वाहक प्रोटीन (carrier proteins) की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7: दो कोशिकीय अंगकों का नाम बताइए जो द्विकला से घिरे होते हैं। इन दो अंगकों की क्या विशेषताएँ हैं? इनका कार्य व रेखांकित चित्र बनाएँ? (Name two cellular organelles that are enclosed by a double membrane. What are the characteristics of these two organelles? Draw a labelled diagram of them and describe their functions?)
दो कोशिकांग जो दोहरी झिल्ली से घिरे होते हैं, वे हैं: सूत्रकणिका (mitochondria) और हरित लवक (chloroplasts)।
1. सूत्रकणिका (Mitochondria)
- विशेषताएँ:
- यह एक दोहरी झिल्ली वाली संरचना है।
- इसकी बाहरी झिल्ली सतत होती है, जबकि भीतरी झिल्ली मैट्रिक्स (matrix) की ओर अंतर्वलित (infolded) होकर क्रिस्टी (cristae) बनाती है।
- इसके मैट्रिक्स में एक एकल वृत्ताकार DNA अणु, कुछ RNA, 70S राइबोसोम और प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक होते हैं।
- कार्य:
- यह वायवीय श्वसन (aerobic respiration) का स्थल है।
- यह ATP के रूप में कोशिकीय ऊर्जा उत्पन्न करती है, इसलिए इसे कोशिका का “शक्ति गृह (powerhouse of the cell)” कहते हैं।
2. हरित लवक (Chloroplasts)
- विशेषताएँ:
- यह भी दोहरी झिल्ली से घिरा होता है।
- भीतरी झिल्ली से घिरे स्थान को पीठिका (stroma) कहते हैं।
- पीठिका में चपटे, झिल्लीयुक्त थैली जैसी संरचनाएँ होती हैं जिन्हें थाइलाकोइड (thylakoids) कहते हैं। थाइलाकोइड के ढेर को ग्रेना (grana) कहते हैं।
- इनमें भी अपना एकल वृत्ताकार DNA अणु और 70S राइबोसोम होते हैं।
- कार्य:
- हरित लवक पौधों में प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) का स्थल हैं।
- ग्रेना में प्रकाशीय अभिक्रिया और पीठिका में अप्रकाशीय अभिक्रियाएँ होती हैं।
प्रश्न 8: प्रोकैरियोटिक कोशिका की क्या विशेषताएँ हैं? (What are the characteristics of a prokaryotic cell?)
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं आम तौर पर यूकैरियोटिक कोशिकाओं से छोटी होती हैं और तेजी से विभाजित होती हैं।
- इनमें कोई सुव्यवस्थित, झिल्ली-युक्त केंद्रक नहीं होता।
- आनुवंशिक पदार्थ (DNA) नग्न होता है और केंद्रक झिल्ली से घिरा नहीं होता।
- जीनोमिक DNA के अलावा, इनमें प्लाज्मिड (plasmids) नामक छोटे वृत्ताकार DNA भी पाए जाते हैं।
- इनमें झिल्ली-युक्त कोशिकांगों (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जी उपकरण) का अभाव होता है, लेकिन 70S राइबोसोम मौजूद होते हैं।
- कोशिका झिल्ली के अंतर्वलन से मीसोसोम नामक विशेष संरचनाएँ बनती हैं।
- इनमें गति के लिए कशाभिका (flagella), और सतह पर चिपकने के लिए रोम (pili) और झालर (fimbriae) जैसी संरचनाएँ हो सकती हैं।
प्रश्न 9: बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन की व्याख्या कीजिए। (Explain the division of labor in multicellular organisms.)
बहुकोशिकीय जीवों में, विभिन्न कोशिकाएँ विभिन्न कार्यों को करने के लिए विशिष्ट होती हैं। इस विभाजन को श्रम विभाजन (division of labor) कहते हैं। उदाहरण के लिए, मनुष्य में :
- मांसपेशी कोशिकाएं (Muscle cells) गति के लिए विशिष्ट होती हैं।
- तंत्रिका कोशिकाएं (Nerve cells) संदेशों को प्रसारित करने का कार्य करती हैं।
- लाल रक्त कोशिकाएं (Red blood cells) ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं।
- अस्थि कोशिकाएं (Bone cells) शरीर को संरचनात्मक सहायता प्रदान करती हैं।
यह श्रम विभाजन सुनिश्चित करता है कि जीव के सभी कार्य कुशलतापूर्वक और समन्वित तरीके से संपन्न हों।
प्रश्न 10: कोशिका जीवन की मूल इकाई है, इसे संक्षिप्त में वर्णन करें। (The cell is the basic unit of life, describe this briefly.)
कोशिका जीवन की मूल इकाई है क्योंकि यह जीवन के सभी आवश्यक कार्य करने में सक्षम है। कोशिका के बिना, किसी भी जीव का स्वतंत्र अस्तित्व संभव नहीं है। सभी जीवित जीव एक या अधिक कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं। यह न केवल जीवों की संरचनात्मक इकाई (structural unit) है, बल्कि उनकी क्रियात्मक इकाई (functional unit) भी है, क्योंकि जीवन की सभी रासायनिक अभिक्रियाएं कोशिका के भीतर ही होती हैं।
प्रश्न 11: केंद्रक छिद्र क्या है? इनके कार्य को बताइए। (What is a nuclear pore? Describe its functions.)
केंद्रक छिद्र (Nuclear pores) केंद्रक आवरण (nuclear envelope) में पाए जाने वाले छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। ये छिद्र केंद्रक आवरण की दोनों झिल्लियों के संलयन (fusion) से बनते हैं।
इनका मुख्य कार्य केंद्रक और कोशिका द्रव्य (cytoplasm) के बीच अणुओं के परिवहन को नियंत्रित करना है। इन छिद्रों से होकर RNA और प्रोटीन जैसे अणु केंद्रक से कोशिका द्रव्य में और कोशिका द्रव्य से केंद्रक में आते-जाते रहते हैं।
प्रश्न 12: लयनकाय व रसधानी दोनों अंतःझिल्लीमय संरचना है और फिर भी कार्य की दृष्टि से ये अलग होते हैं। इस पर टिप्पणी लिखें? (Both lysosomes and vacuoles are endomembranous structures, yet they differ in function. Comment on this.)
लयनकाय और रसधानी दोनों ही अंतः झिल्ली तंत्र का हिस्सा हैं और झिल्ली-युक्त संरचनाएँ हैं, लेकिन उनके कार्य पूरी तरह से भिन्न हैं।
- लयनकाय (Lysosomes) मुख्य रूप से पाचन (digestion) से संबंधित हैं। इनमें जल-अपघटनीय एंजाइम (hydrolytic enzymes) होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड और न्यूक्लिक एसिड को पचाने में सक्षम होते हैं। इन्हें “आत्मघाती थैली (suicidal bags)” भी कहा जाता है क्योंकि ये कोशिका के क्षतिग्रस्त या अनावश्यक हिस्सों को नष्ट कर सकते हैं।
- रसधानी (Vacuoles) का मुख्य कार्य भंडारण (storage) है। ये पानी, रस, उत्सर्जक पदार्थों और अन्य अनुपयोगी उत्पादों को संग्रहीत करती हैं। पादप कोशिकाओं में, ये कोशिका को यांत्रिक सहायता देने के लिए स्फीति (turgidity) बनाए रखती हैं, और अमीबा जैसे जीवों में, ये उत्सर्जन और भोजन ग्रहण करने में भी मदद करती हैं।
इस प्रकार, दोनों का कार्य एक दूसरे से बहुत अलग है, जहाँ लयनकाय पाचन और सफाई का काम करता है, वहीं रसधानी भंडारण और स्फीति बनाए रखने का कार्य करती है।
प्रश्न 13: रेखांकित चित्र की सहायता से निम्न की संरचना का वर्णन करें- (I) केंद्रक (II) तारककाय। (Describe the structure of the following with the help of a labelled diagram – I) Nucleus II) Centrosome.)
I) केंद्रक (Nucleus) केंद्रक एक दोहरी झिल्ली से घिरा कोशिकांग है, जिसे केंद्रक आवरण (nuclear envelope) कहते हैं। केंद्रक आवरण में केंद्रक छिद्र (nuclear pores) होते हैं जो केंद्रक और कोशिका द्रव्य के बीच पदार्थों के आवागमन को नियंत्रित करते हैं। केंद्रक के भीतर एक अर्धतरल पदार्थ होता है जिसे केंद्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहते हैं। केंद्रक द्रव्य में केंद्रिका (nucleolus) और क्रोमेटिन (chromatin) नामक एक जालिका होती है। क्रोमेटिन DNA और प्रोटीन से बना होता है जो कोशिका विभाजन के दौरान गुणसूत्रों (chromosomes) का निर्माण करता है।
II) तारककाय (Centrosome) तारककाय एक कोशिकांग है जो दो बेलनाकार संरचनाओं, तारककेंद्रों (centrioles) से मिलकर बना होता है। ये तारककेंद्र एक दूसरे के लंबवत स्थित होते हैं और एक अक्रिस्टलीय परिद्रव्य (amorphous pericentriolar material) से घिरे होते हैं। प्रत्येक तारककेंद्र की संरचना बैलगाड़ी के पहिए जैसी होती है, जिसमें परिधि पर 9 त्रिक (triplets) होते हैं। यह जंतु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु तंतु (spindle fibers) बनाता है और कशाभिका तथा पक्ष्माभ का आधारीकाय (basal body) बनाता है।
प्रश्न 14: गुणसूत्रबिंदु क्या है? कैसे गुणसूत्रबिंदु की स्थिति के आधार पर गुणसूत्र का वर्गीकरण किस रूप में होता है? अपने उत्तर को देने हेतु विभिन्न प्रकार के गुणसूत्रों पर गुणसूत्रबिंदु की स्थिति को दर्शाने हेतु चित्र बनाएँ। (What is a centromere? How are chromosomes classified based on the position of the centromere? Draw a diagram to show the position of the centromere on different types of chromosomes to support your answer.)
गुणसूत्रबिंदु (Centromere) एक गुणसूत्र पर प्राथमिक संकीर्णन (primary constriction) होता है। यह वह बिंदु है जहाँ कोशिका विभाजन के दौरान गुणसूत्र के दोनों अर्द्धगुणसूत्र (sister chromatids) जुड़े होते हैं। गुणसूत्रबिंदु पर बिंब के आकार की एक संरचना होती है जिसे काइनेटोकोर (kinetochore) कहते हैं।
गुणसूत्रबिंदु की स्थिति के आधार पर गुणसूत्रों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- मध्याकेंद्री (Metacentric): गुणसूत्रबिंदु गुणसूत्र के ठीक बीच में होता है, जिससे दोनों भुजाएँ समान लंबाई की होती हैं।
- उपमध्याकेंद्री (Sub-metacentric): गुणसूत्रबिंदु मध्य से थोड़ा हटकर होता है, जिससे एक भुजा छोटी और एक बड़ी होती है।
- अग्रबिंदुक (Acrocentric): गुणसूत्रबिंदु सिरे के पास होता है, जिससे एक भुजा बहुत छोटी और दूसरी बहुत लंबी होती है।
- अंत्याकेंद्री (Telocentric): गुणसूत्रबिंदु गुणसूत्र के बिल्कुल सिरे पर होता है।