MP Board Class 11th Biology Classification of Living World जीव जगत का वर्गीकरण

Classification of Living World

Classification of Living World: हमारे चारों ओर जीव-जगत में अद्भुत विविधता पाई जाती है। पृथ्वी पर लाखों प्रकार के जीव मौजूद हैं, जिनमें सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर विशालकाय पेड़-पौधे और जानवर शामिल हैं। जीवों की इस विशाल संख्या और विविधता का अध्ययन आसान बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने उन्हें विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया है। इसी प्रक्रिया को जीव जगत का वर्गीकरण कहते हैं।

  • जीव विविधता (Biodiversity): पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीव और उनके पारिस्थितिक तंत्रों का समग्र रूप।
  • वर्गीकरण की आवश्यकता (Need for Classification):
    • जीवों की पहचान और अध्ययन को आसान बनाना।
    • जीवों के बीच संबंधों को समझना।
    • जीवों के विकासवादी इतिहास (evolutionary history) का पता लगाना।
    • नए खोजे गए जीवों को व्यवस्थित करना।
  • वर्गीकरण विज्ञान (Taxonomy): जीव विज्ञान की वह शाखा जो जीवों की पहचान (identification), नामकरण (nomenclature) और वर्गीकरण (classification) से संबंधित है।
  • क्रमबद्धता (Systematics): वर्गीकरण विज्ञान का वह क्षेत्र जो जीवों के विकासवादी संबंधों (evolutionary relationships) को ध्यान में रखते हुए उनके वर्गीकरण का अध्ययन करता है।

2. वर्गीकरण का इतिहास (History of Classification)

जीवों को वर्गीकृत करने के प्रयास प्राचीन काल से ही किए जा रहे हैं:

  • अरस्तू (Aristotle): इन्हें ‘जीव विज्ञान का जनक’ माना जाता है। इन्होंने सबसे पहले जीवों को उनके आवास (जल, स्थल, वायु) और रक्त की उपस्थिति/अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकृत किया।
  • कैरोलस लिनिअस (Carolus Linnaeus): इन्हें ‘वर्गीकरण विज्ञान का जनक’ कहा जाता है। इन्होंने द्विपद नामकरण पद्धति (Binomial Nomenclature) और वर्गीकरण पदानुक्रम (Taxonomic Hierarchy) की नींव रखी। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सिस्टेमा नेचुरी’ (Systema Naturae) है।

3. वर्गीकरण के विभिन्न तंत्र (Different Systems of Classification)

समय के साथ, जीवों को वर्गीकृत करने के लिए विभिन्न प्रणालियाँ विकसित की गईं:

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3.1 द्वि-जगत वर्गीकरण (Two-Kingdom Classification)

  • प्रतिपादक: कैरोलस लिनिअस।
  • आधार: गतिशीलता और कोशिका भित्ति की उपस्थिति।
  • जगत:
    1. प्लांटी (Plantae): सभी पौधे (जो गति नहीं करते और जिनमें कोशिका भित्ति होती है)।
    2. एनिमेलिया (Animalia): सभी जानवर (जो गति करते हैं और जिनमें कोशिका भित्ति नहीं होती है)।
  • कमियाँ (Limitations):
    • यह प्रोकैरियोट्स (जैसे बैक्टीरिया) और यूकैरियोट्स (जैसे फंजाई, पौधे, जानवर) के बीच अंतर नहीं करता था।
    • एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों को अलग नहीं करता था।
    • प्रकाश संश्लेषी (हरे पौधे) और अप्रकाश संश्लेषी (फंजाई) जीवों के बीच अंतर नहीं करता था।

3.2 पंच-जगत वर्गीकरण (Five-Kingdom Classification)

  • प्रतिपादक: आर.एच. व्हिटेकर (R.H. Whittaker) ने 1969 में यह प्रणाली प्रस्तावित की। यह सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत वर्गीकरण प्रणाली है।
  • आधार (Basis):
    • कोशिका संरचना (Prokaryotic/Eukaryotic)
    • शारीरिक संगठन (एककोशिकीय/बहुकोशिकीय)
    • पोषण की विधि (स्वपोषी/परपोषी – अवशोषण/अंतर्ग्रहण)
    • प्रजनन की विधि
    • फाइलोजेनेटिक संबंध (विकासवादी संबंध)
  • पाँच जगत:
    1. मोनेरा (Monera):
      • सभी प्रोकैरियोटिक जीव (जैसे बैक्टीरिया, नीले-हरे शैवाल/सायनोबैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा)।
      • एककोशिकीय।
      • कोशिका भित्ति उपस्थित।
      • पोषण: स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषी या रसायन संश्लेषी) या परपोषी।
    2. प्रोटिस्टा (Protista):
      • सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव (जैसे अमीबा, पैरामीशियम, यूग्लीना, डायटम)।
      • पोषण: स्वपोषी, परपोषी या मिश्रपोषी।
      • इनमें गमन के लिए कशाभ (flagella) या पक्ष्माभ (cilia) हो सकते हैं।
    3. फंजाई (Fungi):
      • सभी विषमपोषी (परपोषी) यूकैरियोटिक जीव (जैसे खमीर, मशरूम, मोल्ड)।
      • कोशिका भित्ति काइटिन (chitin) की बनी होती है।
      • पोषण: मृतोपजीवी (saprophytic) या परजीवी (parasitic) – अवशोषण द्वारा।
      • अधिकांश बहुकोशिकीय, लेकिन खमीर (yeast) एककोशिकीय है।
    4. प्लांटी (Plantae):
      • सभी बहुकोशिकीय, स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषी) यूकैरियोटिक जीव (जैसे शैवाल, ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म, एंजियोस्पर्म)।
      • कोशिका भित्ति सेलुलोज (cellulose) की बनी होती है।
      • पोषण: स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषण)।
    5. एनिमेलिया (Animalia):
      • सभी बहुकोशिकीय, परपोषी (अंतर्ग्रहण द्वारा) यूकैरियोटिक जीव।
      • कोशिका भित्ति अनुपस्थित।
      • पोषण: अंतर्ग्रहण द्वारा।
      • अधिकांश गतिशील होते हैं।

3.3 छह-जगत वर्गीकरण / तीन डोमेन प्रणाली (Six-Kingdom Classification / Three-Domain System)

  • प्रतिपादक: कार्ल वूस (Carl Woese) ने 1977 में।
  • आधार: 16S राइबोसोमल आरएनए (rRNA) अनुक्रमों का विश्लेषण।
  • डोमेन (Domains): यह प्रणाली जीवों को तीन बड़े डोमेन में विभाजित करती है, और इन डोमेन के भीतर जगत (Kingdoms) होते हैं।
    1. आर्किया (Archaea): इसमें आर्किया नामक प्रोकैरियोटिक जीव शामिल हैं, जो अत्यधिक विषम परिस्थितियों (जैसे गर्म झरने, लवणीय क्षेत्र) में पाए जाते हैं।
    2. बैक्टीरिया (Bacteria): इसमें सभी सामान्य बैक्टीरिया (यूबैक्टीरिया) शामिल हैं।
    3. यूकेरिया (Eukarya): इसमें सभी यूकैरियोटिक जीव शामिल हैं (प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी, एनिमेलिया)।
  • पंच-जगत से अंतर: यह मोनेरा जगत को आर्किया और बैक्टीरिया में विभाजित करता है, यह दर्शाता है कि आर्किया और बैक्टीरिया एक-दूसरे से उतने संबंधित नहीं हैं जितना पहले सोचा गया था।

4. वर्गीकरण पदानुक्रम (Taxonomic Hierarchy)

जीवों को वर्गीकृत करने के लिए एक क्रमबद्ध प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिसे वर्गीकरण पदानुक्रम कहते हैं। इसमें जीवों को बड़े से छोटे समूहों में व्यवस्थित किया जाता है। प्रत्येक स्तर को एक वर्गक (Taxon) कहते हैं।

  • जगत (Kingdom): वर्गीकरण की सबसे बड़ी इकाई।
  • संघ (Phylum) / प्रभाग (Division): जंतुओं के लिए ‘संघ’ और पौधों के लिए ‘प्रभाग’ शब्द का प्रयोग होता है।
  • वर्ग (Class): संघ/प्रभाग से छोटा समूह।
  • गण (Order): वर्ग से छोटा समूह।
  • कुल (Family): गण से छोटा समूह।
  • वंश (Genus): संबंधित जातियों का समूह।
  • जाति (Species): वर्गीकरण की सबसे छोटी और मूलभूत इकाई। एक ही जाति के जीव आपस में प्रजनन करके उपजाऊ संतान उत्पन्न कर सकते हैं।

उदाहरण (मानव का वर्गीकरण):

  • जगत: एनिमेलिया (Animalia)
  • संघ: कॉर्डेटा (Chordata)
  • वर्ग: मैमेलिया (Mammalia)
  • गण: प्राइमेट्स (Primates)
  • कुल: होमिनिडी (Hominidae)
  • वंश: होमो (Homo)
  • जाति: सेपियन्स (sapiens)
  • वैज्ञानिक नाम: Homo sapiens

5. द्विपद नामकरण पद्धति (Binomial Nomenclature System)

यह जीवों को वैज्ञानिक नाम देने की एक सार्वभौमिक विधि है, जिसे कैरोलस लिनिअस ने प्रतिपादित किया था।

  • नियम (Rules):
    1. प्रत्येक वैज्ञानिक नाम के दो घटक होते हैं: वंश नाम (Generic name) और जाति संकेत पद (Specific epithet)
    2. नाम लैटिन भाषा में होते हैं और तिरछे (italics) अक्षरों में लिखे जाते हैं।
    3. हाथ से लिखते समय, वंश नाम और जाति संकेत पद को अलग-अलग रेखांकित (underline) किया जाता है
    4. वंश नाम का पहला अक्षर बड़ा (capital) होता है, जबकि जाति संकेत पद का पहला अक्षर छोटा (small) होता है।
    5. नाम के बाद, वैज्ञानिक का संक्षिप्त नाम लिखा जाता है जिसने पहली बार उस जाति का वर्णन किया था (जैसे Mangifera indica Linn. – लिनिअस)।
  • महत्व (Importance):
    • यह पूरे विश्व में जीवों की पहचान में एकता और स्पष्टता लाता है।
    • एक ही जीव के लिए विभिन्न स्थानीय नामों के कारण होने वाले भ्रम को समाप्त करता है।

6. वर्गीकरण विज्ञान के उपकरण (Taxonomical Aids)

जीवों की पहचान और वर्गीकरण के अध्ययन में सहायता के लिए विभिन्न उपकरण और सुविधाएँ विकसित की गई हैं:

  • हर्बेरियम (Herbarium): पौधों के सूखे, दबाए गए और परिरक्षित (preserved) नमूनों का संग्रह, जिन्हें शीटों पर चिपकाकर व्यवस्थित रूप से रखा जाता है।
  • वनस्पति उद्यान (Botanical Gardens): जीवित पौधों का संग्रह, जिन्हें पहचान और अध्ययन के लिए उगाया जाता है।
  • संग्रहालय (Museums): पौधों और जंतुओं के परिरक्षित नमूनों का संग्रह, जिन्हें अध्ययन और संदर्भ के लिए रखा जाता है। इसमें कंकाल, कीट, सूखे नमूने आदि हो सकते हैं।
  • प्राणी उपवन (Zoological Parks) / चिड़ियाघर: जीवित जंगली जानवरों का संग्रह, जिन्हें मानव देखभाल में रखा जाता है ताकि उनके व्यवहार, आहार और प्रजनन का अध्ययन किया जा सके।
  • कुंजी (Key): यह एक विश्लेषणात्मक विधि है जिसका उपयोग पौधों और जंतुओं की पहचान के लिए किया जाता है। यह विपरीत लक्षणों के युग्मों (couplets) पर आधारित होती है।
  • फ्लोरा (Flora): किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों की जातियों और उनके आवासों के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
  • मैनुअल्स (Manuals): किसी विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली जातियों की पहचान के लिए जानकारी प्रदान करते हैं।
  • मोनोग्राफ (Monographs): किसी एक वर्गक (taxon) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।
  • कैटलॉग (Catalogues): किसी विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली जातियों की सूची।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

जीव जगत का वर्गीकरण जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह हमें पृथ्वी पर मौजूद विशाल जैव विविधता को समझने, उसका अध्ययन करने और उसके विकासवादी संबंधों को जानने में मदद करता है। पंच-जगत वर्गीकरण और द्विपद नामकरण जैसी प्रणालियों ने जीव विज्ञान के अध्ययन को व्यवस्थित और सार्वभौमिक बनाया है, जिससे वैज्ञानिक समुदाय के लिए जीवों को पहचानना और उनके बारे में जानकारी साझा करना संभव हो पाया है।

Classification of Living World अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. वर्गीकरण क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों है?

उत्तर: वर्गीकरण जीवों को उनके गुणों के आधार पर विभिन्न समूहों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। इसकी आवश्यकता इसलिए है ताकि जीवों की विशाल विविधता का अध्ययन आसान हो सके, उनके बीच के संबंध समझे जा सकें, और उनके विकासवादी इतिहास का पता लगाया जा सके।

2. वर्गीकरण विज्ञान (Taxonomy) और क्रमबद्धता (Systematics) में क्या अंतर है?

उत्तर: वर्गीकरण विज्ञान (Taxonomy) जीव विज्ञान की वह शाखा है जो जीवों की पहचान, नामकरण और वर्गीकरण से संबंधित है। जबकि, क्रमबद्धता (Systematics) वर्गीकरण विज्ञान का वह क्षेत्र है जो जीवों के विकासवादी संबंधों को ध्यान में रखते हुए उनके वर्गीकरण का अध्ययन करता है।

3. ‘जीव विज्ञान का जनक’ और ‘वर्गीकरण विज्ञान का जनक’ किसे कहा जाता है?

उत्तर:

  • जीव विज्ञान का जनक: अरस्तू (Aristotle)
  • वर्गीकरण विज्ञान का जनक: कैरोलस लिनिअस (Carolus Linnaeus)

4. द्वि-जगत वर्गीकरण किसने दिया और इसकी मुख्य कमियाँ क्या थीं?

उत्तर: द्वि-जगत वर्गीकरण कैरोलस लिनिअस ने दिया था। इसकी मुख्य कमियाँ थीं:

  • यह प्रोकैरियोट्स और यूकैरियोट्स के बीच अंतर नहीं करता था।
  • एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों को अलग नहीं करता था।
  • प्रकाश संश्लेषी (पौधे) और अप्रकाश संश्लेषी (फंजाई) जीवों के बीच अंतर नहीं करता था।

5. पंच-जगत वर्गीकरण किसने प्रस्तावित किया और इसके मुख्य आधार क्या थे?

उत्तर: पंच-जगत वर्गीकरण आर.एच. व्हिटेकर (R.H. Whittaker) ने 1969 में प्रस्तावित किया था। इसके मुख्य आधार थे:

  • कोशिका संरचना (प्रोकैरियोटिक/यूकैरियोटिक)
  • शारीरिक संगठन (एककोशिकीय/बहुकोशिकीय)
  • पोषण की विधि (स्वपोषी/परपोषी)
  • प्रजनन की विधि
  • फाइलोजेनेटिक संबंध (विकासवादी संबंध)

6. पंच-जगत वर्गीकरण के पाँच जगत कौन-कौन से हैं?

उत्तर: पंच-जगत वर्गीकरण के पाँच जगत हैं:

  1. मोनेरा (Monera): सभी प्रोकैरियोटिक जीव (जैसे बैक्टीरिया)।
  2. प्रोटिस्टा (Protista): सभी एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव (जैसे अमीबा)।
  3. फंजाई (Fungi): सभी विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव (जैसे मशरूम)।
  4. प्लांटी (Plantae): सभी बहुकोशिकीय, स्वपोषी यूकैरियोटिक जीव (जैसे पौधे)।
  5. एनिमेलिया (Animalia): सभी बहुकोशिकीय, परपोषी यूकैरियोटिक जीव (जैसे जानवर)।

7. छह-जगत वर्गीकरण (तीन डोमेन प्रणाली) किसने दी और यह पंच-जगत से कैसे भिन्न है?

उत्तर: छह-जगत वर्गीकरण (तीन डोमेन प्रणाली) कार्ल वूस (Carl Woese) ने 1977 में दी थी। यह पंच-जगत से इस मायने में भिन्न है कि यह मोनेरा जगत को आर्किया (Archaea) और बैक्टीरिया (Bacteria) नामक दो अलग डोमेन में विभाजित करता है, यह दर्शाता है कि ये दोनों समूह एक-दूसरे से उतने संबंधित नहीं हैं जितना पहले सोचा गया था। तीसरा डोमेन यूकेरिया (Eukarya) है जिसमें सभी यूकैरियोटिक जगत (प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी, एनिमेलिया) शामिल हैं।

8. वर्गीकरण पदानुक्रम (Taxonomic Hierarchy) के मुख्य स्तर क्या हैं (बड़े से छोटे क्रम में)?

उत्तर: वर्गीकरण पदानुक्रम के मुख्य स्तर हैं:

  • जगत (Kingdom)
  • संघ (Phylum) / प्रभाग (Division)
  • वर्ग (Class)
  • गण (Order)
  • कुल (Family)
  • वंश (Genus)
  • जाति (Species)

9. द्विपद नामकरण पद्धति (Binomial Nomenclature) क्या है और इसके नियम क्या हैं?

उत्तर: द्विपद नामकरण पद्धति जीवों को वैज्ञानिक नाम देने की एक सार्वभौमिक विधि है, जिसमें प्रत्येक जीव का नाम दो घटकों से मिलकर बनता है: वंश नाम (Generic name) और जाति संकेत पद (Specific epithet)नियम:

  • नाम लैटिन भाषा में होते हैं और तिरछे (italics) अक्षरों में लिखे जाते हैं।
  • हाथ से लिखते समय, वंश नाम और जाति संकेत पद को अलग-अलग रेखांकित (underline) किया जाता है
  • वंश नाम का पहला अक्षर बड़ा (capital) होता है, जबकि जाति संकेत पद का पहला अक्षर छोटा (small) होता है।

10. वर्गीकरण विज्ञान के अध्ययन में सहायक किन्हीं चार उपकरणों के नाम बताइए।

उत्तर: वर्गीकरण विज्ञान के अध्ययन में सहायक कुछ उपकरण हैं:

  1. हर्बेरियम (Herbarium): पौधों के सूखे नमूनों का संग्रह।
  2. वनस्पति उद्यान (Botanical Gardens): जीवित पौधों का संग्रह।
  3. संग्रहालय (Museums): पौधों और जंतुओं के परिरक्षित नमूनों का संग्रह।
  4. प्राणी उपवन (Zoological Parks) / चिड़ियाघर: जीवित जंगली जानवरों का संग्रह।
  5. कुंजी (Key): जीवों की पहचान के लिए विश्लेषणात्मक विधि।

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