मिश्रित फसल महत्व, सिद्धांत और आवश्यकता Mixed Cropping Importance Basics and Needs

मिश्रित फसल (Mixed Cropping): अर्थ, महत्व, सिद्धांत, आवश्यकता, गुण और दोष 🌾🤝

Mixed Cropping Importance Basics and Needs: मिश्रित फसल, जिसे अंतर-फसल (Intercropping) या बहु-फसल (Multi-cropping) भी कहा जाता है, कृषि की एक प्राचीन और टिकाऊ पद्धति है जिसमें एक ही खेत में, एक ही समय में दो या दो से अधिक फसलें एक साथ उगाई जाती हैं। यह एकल फसल (Monoculture) के विपरीत है जहाँ एक समय में केवल एक ही फसल उगाई जाती है। मिश्रित फसल का उद्देश्य सीमित भूमि और संसाधनों का अधिकतम उपयोग करते हुए उत्पादकता, स्थिरता और लाभप्रदता बढ़ाना है।

1. मिश्रित फसल का अर्थ (Meaning of Mixed Cropping)

मिश्रित फसल कृषि की वह प्रणाली है जहाँ किसान एक ही कृषि भूमि पर, एक ही समय में, दो या दो से अधिक फसलें एक साथ बोता और उगाता है। इन फसलों को आमतौर पर एक पूर्व-निर्धारित पैटर्न या बेतरतीब ढंग से बोया जा सकता है, जिससे वे एक-दूसरे के पूरक बनें और संसाधनों का बेहतर उपयोग करें।

2. मिश्रित फसल का महत्व, गुण और दोष (Importance, Advantages, and Disadvantages of Mixed Cropping)

मिश्रित फसल के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं लेकिन इसमें कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं:

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क. जोखिम का फैलाव और आय में स्थिरता (Risk Diversification and Income Stability):

  • महत्व: यह मिश्रित फसल का सबसे महत्वपूर्ण लाभ है। यदि किसी प्राकृतिक आपदा (जैसे सूखा, बाढ़, बीमारी) या बाजार की कीमतों में गिरावट के कारण एक फसल खराब हो जाती है, तो दूसरी फसल से किसान को कुछ आय प्राप्त हो जाती है। यह किसानों की खाद्य सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है।
  • गुण (Advantages):
    • वित्तीय सुरक्षा: आय के कई स्रोत होने से किसी एक फसल के नुकसान से होने वाले प्रभाव कम हो जाते हैं।
    • खाद्य सुरक्षा: विविध फसलें परिवार की विभिन्न पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकती हैं।
  • दोष (Disadvantages):
    • कमजोर फसल का प्रभाव: यदि एक फसल को गंभीर बीमारी या कीट लग जाता है, तो वह दूसरी फसल को भी प्रभावित कर सकती है।
    • बाजार की चुनौती: एक साथ कई उत्पादों को बेचने के लिए विभिन्न बाजारों या खरीदारों तक पहुंच की आवश्यकता हो सकती है।

ख. भूमि का अधिकतम उपयोग और उच्च उत्पादकता (Maximum Land Utilization and Higher Productivity):

  • महत्व: मिश्रित फसल एकल फसल की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उत्पादन करती है। विभिन्न फसलों की जड़ प्रणालियाँ और पोषण संबंधी आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं, जिससे वे मिट्टी के विभिन्न स्तरों से पोषक तत्वों और पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग कर पाती हैं।
  • गुण (Advantages):
    • उच्च उपज: प्रति इकाई क्षेत्र में कुल उत्पादन में वृद्धि होती है।
    • संसाधन दक्षता: पानी, पोषक तत्व और सूर्य के प्रकाश जैसे संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग होता है।
  • दोष (Disadvantages):
    • प्रतिस्पर्धा का जोखिम: यदि फसलों का चुनाव और प्रबंधन सही नहीं है, तो वे पानी, पोषक तत्वों या प्रकाश के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं, जिससे उपज घट सकती है।
    • मशीनीकरण में कठिनाई: एक साथ कई फसलें होने से मशीनीकृत कटाई और अन्य कृषि कार्यों में बाधा आ सकती है।

ग. मिट्टी की उर्वरता में सुधार (Improvement in Soil Fertility):

  • महत्व: फलीदार फसलों (जैसे दालें – मूंग, उड़द, अरहर) को अनाज या अन्य फसलों के साथ उगाने से मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है। फलीदार फसलें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में बदलकर रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों की आवश्यकता को कम करती हैं। फसलों के अवशेष और जड़ें मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ को बढ़ाती हैं।
  • गुण (Advantages):
    • प्राकृतिक नाइट्रोजन: रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है, जिससे लागत बचती है और पर्यावरणीय प्रदूषण घटता है।
    • मृदा संरचना: मिट्टी के भौतिक गुणों (जैसे संरचना और जल-धारण क्षमता) में सुधार होता है।
  • दोष (Disadvantages):
    • पोषक तत्वों का असंतुलन: यदि चक्र को ठीक से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो कुछ पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।

घ. कीटों और रोगों का बेहतर नियंत्रण (Better Pest and Disease Control):

  • महत्व: विभिन्न फसलों की उपस्थिति कीटों और रोगजनकों को भ्रमित कर सकती है या उनके प्रसार को धीमा कर सकती है। कुछ फसलें कीटों के लिए प्रतिकारक (repellent) के रूप में कार्य करती हैं, जबकि अन्य मित्र कीटों (जो हानिकारक कीटों को खाते हैं) को आकर्षित करती हैं।
  • गुण (Advantages):
    • प्राकृतिक नियंत्रण: रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कम होता है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण लाभ मिलते हैं।
    • जैव विविधता: खेत में जैव विविधता बढ़ती है, जो एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करती है।
  • दोष (Disadvantages):
    • साझा रोग: कुछ रोग या कीट ऐसे हो सकते हैं जो दोनों फसलों को प्रभावित करते हों, जिससे समस्या बढ़ सकती है।

ङ. खरपतवारों का प्रभावी दमन (Effective Weed Suppression):

  • महत्व: जब कई फसलें एक साथ उगाई जाती हैं, तो वे मिट्टी की सतह को अधिक कुशलता से ढक लेती हैं, जिससे खरपतवारों को उगने और पनपने के लिए कम जगह मिलती है। यह खरपतवार नियंत्रण की लागत और आवश्यकता को कम करता है।
  • गुण (Advantages):
    • कम खरपतवार: खरपतवारों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे उनकी वृद्धि रुकती है।
    • कम श्रम/रसायन: खरपतवारनाशकों के उपयोग या हाथ से निराई की आवश्यकता कम होती है।
  • दोष (Disadvantages):
    • चुनौतीपूर्ण प्रबंधन: कुछ खरपतवार अभी भी पनप सकते हैं, और उनका प्रबंधन मिश्रित फसल में अधिक जटिल हो सकता है।

च. संसाधनों का कुशल उपयोग (Efficient Resource Utilization):

  • महत्व: विभिन्न फसलों की ऊँचाई, जड़ गहराई और पोषक तत्व अवशोषण पैटर्न में अंतर होता है। यह पानी, पोषक तत्वों और प्रकाश जैसे संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग सुनिश्चित करता है।
  • गुण (Advantages):
    • अधिकतम उपयोग: उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग होता है।
    • पर्यावरणीय लाभ: पानी के अत्यधिक उपयोग और पोषक तत्वों के लीचिंग (लीचिंग) को कम करने में मदद करता है।
  • दोष (Disadvantages):
    • संसाधन विभाजन: यदि फसलों का चुनाव सही नहीं है, तो वे सीमित संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं।

छ. मिट्टी का कटाव कम करना (Reduced Soil Erosion):

  • महत्व: खेत को लगातार फसलों से ढका रखने से बारिश और हवा से होने वाला मिट्टी का कटाव कम होता है। विभिन्न फसलों की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं।
  • गुण (Advantages):
    • मिट्टी संरक्षण: मूल्यवान ऊपरी मिट्टी को नुकसान से बचाता है।
    • मृदा स्वास्थ्य: दीर्घकालिक मृदा स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान देता है।
  • दोष (Disadvantages):
    • सीधा कोई दोष नहीं, लेकिन खराब योजना से मिट्टी को पूर्ण रूप से ढकना मुश्किल हो सकता है।

डेटा: कई अध्ययनों से पता चला है कि मिश्रित फसल में भूमि समकक्ष अनुपात (Land Equivalent Ratio – LER) 1 से अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि मिश्रित फसल में प्रति इकाई क्षेत्र में एकल फसल की तुलना में अधिक उपज मिलती है। उदाहरण के लिए, यदि गेहूं और सरसों को एक साथ उगाया जाता है और LER 1.25 आता है, तो इसका मतलब है कि मिश्रित फसल में 25% अधिक उत्पादन मिला।

3. मिश्रित फसल के सिद्धांत (Principles of Mixed Cropping)

एक सफल मिश्रित फसल प्रणाली के लिए कुछ मूलभूत सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है:

  1. विभिन्न विकास अवधियों वाली फसलें (Crops with Different Growth Durations):
    • ऐसी फसलें चुनें जिनकी परिपक्वता अवधि अलग-अलग हो। एक छोटी अवधि की फसल को तब काटा जा सकता है जब लंबी अवधि की फसल अभी भी बढ़ रही हो, जिससे भूमि का उपयोग अधिकतम हो सके।
    • उदाहरण: मक्का (लंबी अवधि) के साथ मूंग या उड़द (छोटी अवधि)।
  2. विभिन्न जड़ प्रणालियों वाली फसलें (Crops with Different Root Systems):
    • ऐसी फसलें चुनें जिनकी जड़ें मिट्टी में अलग-अलग गहराई तक जाती हों। यह मिट्टी की विभिन्न परतों से पोषक तत्वों और पानी का कुशल अवशोषण सुनिश्चित करता है।
    • उदाहरण: गहरी जड़ वाली अरहर के साथ उथली जड़ वाली ज्वार।
  3. विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता वाली फसलें (Crops with Different Nutrient Requirements):
    • एक पोषक तत्व-गहन फसल (जैसे अनाज) के साथ एक पोषक तत्व-जोड़ने वाली फसल (जैसे दालें) उगाएं। दालें नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं, जो दूसरी फसल के लिए उपयोगी होता है।
    • उदाहरण: गेहूं के साथ सरसों (जो सल्फर का उपयोग करती है) या चना (जो नाइट्रोजन जोड़ता है)।
  4. प्रतिस्पर्धा से बचें (Avoid Competition):
    • ऐसी फसलें न चुनें जो पानी, पोषक तत्वों, प्रकाश या स्थान के लिए एक-दूसरे के साथ अत्यधिक प्रतिस्पर्धा करती हों। फसलों को एक-दूसरे के पूरक होना चाहिए।
    • उदाहरण: ऐसी फसलें जो अत्यधिक छाया करती हों, उन्हें छोटी या प्रकाश-प्रेमी फसलों के साथ नहीं उगाना चाहिए।
  5. कीट/रोग प्रतिरोधक क्षमता और प्रतिकारक गुण (Pest/Disease Resistance and Repellent Properties):
    • ऐसी फसलों को शामिल करें जो एक-दूसरे के कीटों या रोगों के प्रति प्रतिरोधी हों या कुछ हानिकारक कीटों को दूर भगाती हों।
    • उदाहरण: कुछ गेंदा की किस्में सूत्रकृमि (nematodes) को नियंत्रित करने में मदद करती हैं, इसलिए उन्हें सब्जियों के साथ उगाया जा सकता है।
  6. उचित पंक्ति अनुपात और रिक्ति (Proper Row Ratio and Spacing):
    • फसलों को इस तरह से बोना चाहिए जिससे वे एक-दूसरे के विकास में बाधा न डालें बल्कि एक-दूसरे का समर्थन करें। पंक्ति अनुपात और रिक्ति का निर्धारण महत्वपूर्ण है।
    • उदाहरण: 1:1, 2:1 या 2:2 के पंक्ति अनुपात में फसलों की बुवाई।

4. मिश्रित फसल की आवश्यकता (Necessity of Mixed Cropping)

आज के कृषि परिदृश्य में मिश्रित फसल की आवश्यकता कई कारणों से बढ़ गई है:

  1. बढ़ती जनसंख्या और खाद्य सुरक्षा (Growing Population and Food Security):
    • सीमित कृषि योग्य भूमि पर बढ़ती आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रति इकाई क्षेत्र से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना आवश्यक है। मिश्रित फसल इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करती है।
  2. जलवायु परिवर्तन का सामना (Coping with Climate Change):
    • जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता (जैसे अप्रत्याशित सूखा या बाढ़) बढ़ गई है। मिश्रित फसल जोखिम को कम करके किसानों को इन चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है। यदि एक फसल जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती है, तो दूसरी फसल से कुछ उपज प्राप्त हो सकती है।
  3. टिकाऊ कृषि पद्धतियाँ (Sustainable Agricultural Practices):
    • रासायनिक इनपुट पर निर्भरता कम करके और मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर, मिश्रित फसल दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान करती है। यह मृदा अपरदन को कम करती है, जल प्रदूषण को रोकती है और जैव विविधता को बढ़ावा देती है।
  4. छोटे और सीमांत किसानों के लिए आजीविका सुरक्षा (Livelihood Security for Small and Marginal Farmers):
    • भारत में अधिकांश किसान छोटे और सीमांत जोत वाले हैं। मिश्रित फसल उन्हें अपनी छोटी भूमि से अधिकतम लाभ उठाने, जोखिम कम करने और अपनी खाद्य और आय सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है।
    • डेटा: भारत में 86% से अधिक किसान 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले हैं, जिनके लिए मिश्रित फसल जैसी पद्धतियाँ बहुत उपयोगी हैं।
  5. इनपुट लागत में कमी (Reduction in Input Costs):
    • मिट्टी की उर्वरता में सुधार (दलहनी फसलों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण से) और प्राकृतिक कीट/खरपतवार नियंत्रण से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की खरीद पर होने वाला खर्च कम हो जाता है, जिससे किसानों का लाभ बढ़ता है।
  6. पोषक तत्वों से भरपूर भोजन (Nutrient-Rich Food):
    • मिश्रित फसल अक्सर आहार में विविधता लाती है। उदाहरण के लिए, अनाज (ऊर्जा) और दालें (प्रोटीन) को एक साथ उगाना पोषण संबंधी सुरक्षा को बढ़ाता है।

कुल मिलाकर, मिश्रित फसल आधुनिक कृषि के लिए एक व्यवहार्य और प्रभावी समाधान है जो किसानों को बदलते पर्यावरणीय और आर्थिक परिदृश्यों के अनुकूल ढलने में मदद करती है, जबकि मिट्टी और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को भी बनाए रखती है।

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