MP Board class 9 Science Equations of Motion
गति के समीकरण (Equations of Motion)
जब कोई वस्तु एकसमान त्वरण (Uniform Acceleration) के साथ एक सीधी रेखा में गति करती है, तो उसके प्रारंभिक वेग, अंतिम वेग, त्वरण, तय की गई दूरी और लिया गया समय के बीच कुछ विशेष संबंध होते हैं। इन्हीं संबंधों को गति के समीकरण कहा जाता है।
आपके पाठ्यक्रम में, इन समीकरणों को आमतौर पर ग्राफ विधि (Graphical Method) का उपयोग करके व्युत्पन्न किया जाता है, विशेष रूप से वेग-समय ग्राफ से।
प्रयुक्त प्रतीक (Symbols Used):
इन समीकरणों को समझने के लिए, आइए पहले उन प्रतीकों को जान लें जिनका हम उपयोग करेंगे:
- u = वस्तु का प्रारंभिक वेग (Initial Velocity): गति शुरू होने के समय वस्तु का वेग।
- v = वस्तु का अंतिम वेग (Final Velocity): दिए गए समय अंतराल के अंत में वस्तु का वेग।
- a = वस्तु का एकसमान त्वरण (Uniform Acceleration): प्रति इकाई समय में वेग में होने वाला स्थिर परिवर्तन।
- t = लिया गया समय (Time taken): प्रारंभिक वेग से अंतिम वेग तक पहुँचने में या दूरी तय करने में लगा समय।
- s = वस्तु द्वारा t समय में तय की गई दूरी (Distance) या विस्थापन (Displacement)।
गति के तीन मुख्य समीकरण:
ये तीन समीकरण हैं जो एकसमान त्वरित गति का वर्णन करते हैं:
1. पहला समीकरण: वेग-समय संबंध (Velocity-Time Relation)
यह समीकरण वस्तु के अंतिम वेग (v), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और समय (t) के बीच सीधा संबंध स्थापित करता है।
सूत्र: v=u+at
स्पष्टीकरण: यह समीकरण हमें बताता है कि यदि हम जानते हैं कि कोई वस्तु किस प्रारंभिक वेग से शुरू हुई, उसे कितना त्वरण मिला और कितने समय के लिए मिला, तो हम उसका अंतिम वेग ज्ञात कर सकते हैं। यह वास्तव में त्वरण की परिभाषा (a=tv−u) का ही पुनर्व्यवस्थित रूप है।
- उदाहरण: एक साइकिल विराम अवस्था (रेस्ट) से चलना शुरू करती है (u=0 m/s)। यदि वह 2 m/s2 के एकसमान त्वरण से 5 सेकंड तक चलती है, तो 5 सेकंड के बाद साइकिल का वेग क्या होगा?
- u=0 m/s
- a=2 m/s2
- t=5 s
- सूत्र v=u+at का उपयोग करने पर: v=0+(2 m/s2×5 s) v=10 m/s
- तो, 5 सेकंड के बाद साइकिल का वेग 10 m/s होगा।
2. दूसरा समीकरण: स्थिति-समय संबंध (Position-Time Relation)
यह समीकरण वस्तु द्वारा तय की गई दूरी (s), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और समय (t) के बीच संबंध स्थापित करता है।
सूत्र: s=ut+21at2
स्पष्टीकरण: यह समीकरण हमें बताता है कि यदि हमें वस्तु का प्रारंभिक वेग, उसे प्राप्त त्वरण और उस त्वरण के लिए लिया गया समय पता है, तो हम उस समय में वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी (या विस्थापन) की गणना कर सकते हैं। सूत्र का पहला भाग (ut) प्रारंभिक वेग के कारण तय की गई दूरी को दर्शाता है, जबकि दूसरा भाग (21at2) त्वरण के कारण अतिरिक्त दूरी को दर्शाता है।
- उदाहरण: एक कार 15 m/s के प्रारंभिक वेग (u=15 m/s) से सीधी सड़क पर चल रही है। यदि कार 2 m/s2 के त्वरण से 4 सेकंड तक चलती है, तो इस दौरान कार द्वारा कितनी दूरी तय की जाएगी?
- u=15 m/s
- a=2 m/s2
- t=4 s
- सूत्र s=ut+21at2 का उपयोग करने पर: s=(15 m/s×4 s)+21×2 m/s2×(4 s)2 s=60 m+21×2×16 m s=60 m+16 m s=76 m
- तो, कार द्वारा 76 m की दूरी तय की जाएगी।
3. तीसरा समीकरण: स्थिति-वेग संबंध (Position-Velocity Relation)
यह समीकरण वस्तु के अंतिम वेग (v), प्रारंभिक वेग (u), त्वरण (a) और तय की गई दूरी (s) के बीच संबंध स्थापित करता है। इस समीकरण की खास बात यह है कि इसमें समय (t) शामिल नहीं होता है।
सूत्र: 2as=v2−u2
स्पष्टीकरण: यह समीकरण विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब आपको गति के लिए लिया गया समय ज्ञात न हो, लेकिन आपको प्रारंभिक वेग, अंतिम वेग और त्वरण या तय की गई दूरी में से किसी एक की गणना करनी हो। इसे पहले दो समीकरणों को मिलाकर व्युत्पन्न किया जा सकता है।
- उदाहरण: एक गेंद को 10 m/s के वेग से ऊपर की ओर फेंका जाता है (u=10 m/s)। यदि गुरुत्वाकर्षण के कारण उसका त्वरण −9.8 m/s2 है (ऋणात्मक क्योंकि यह ऊपर की गति के विपरीत है), तो वह अधिकतम कितनी ऊँचाई तक जाएगी जहाँ उसका अंतिम वेग शून्य हो जाएगा (v=0 m/s)?
- u=10 m/s
- v=0 m/s
- a=−9.8 m/s2
- सूत्र 2as=v2−u2 का उपयोग करने पर: 2×(−9.8 m/s2)×s=(0 m/s)2−(10 m/s)2 −19.6s=0−100 −19.6s=−100 s=−19.6−100≈5.10 m
- तो, गेंद अधिकतम लगभग 5.10 m की ऊँचाई तक जाएगी।
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
- ये सभी समीकरण केवल तभी लागू होते हैं जब वस्तु एकसमान त्वरण (Uniform Acceleration) के साथ गति कर रही हो। यदि त्वरण बदल रहा है, तो इन समीकरणों का सीधा उपयोग नहीं किया जा सकता।
- यदि वस्तु विराम अवस्था (Rest) से चलना शुरू करती है, तो उसका प्रारंभिक वेग (u) हमेशा शून्य (0) होता है।
- यदि वस्तु गति करने के बाद विराम अवस्था में आती है (रुक जाती है), तो उसका अंतिम वेग (v) हमेशा शून्य (0) होता है।
- जब वेग घट रहा होता है (यानी, मंदन या अवत्वरण हो रहा हो), तो त्वरण (a) का मान ऋणात्मक लिया जाता है।