MP Board Class 9 Atomic Structure and Model : अध्याय 3 में, हमने पढ़ा कि पदार्थ परमाणुओं (atoms) और अणुओं (molecules) से मिलकर बने हैं। इस अध्याय में हम परमाणु की आंतरिक संरचना और उसके अवपरमाणुक कणों (sub-atomic particles) का अध्ययन करेंगे।
MP Board Class 9 Atomic Structure and Model
परमाणु की संरचना और परमाणु मॉडल (Atomic Structure and Model)
1. परमाणुओं की अविभाज्यता पर संदेह (Doubt on Indivisibility of Atoms)
19वीं शताब्दी के अंत में, वैज्ञानिकों ने पाया कि परमाणु डाल्टन के सिद्धांत के अनुसार अविभाज्य (indivisible) नहीं हैं, बल्कि उनके भीतर छोटे कण भी विद्यमान होते हैं।
- संकेत (Clues): स्थिर-विद्युत (static electricity) और विभिन्न पदार्थों द्वारा विद्युत चालन (conduction of electricity) की परिस्थितियों के अध्ययन से यह संकेत मिला कि परमाणु विभाज्य हो सकते हैं।
2. पदार्थों में आवेशित कण (Charged Particles in Matter)
क्रियाकलाप 4.1 (Activity 4.1) से यह निष्कर्ष निकलता है कि दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से उनमें विद्युत आवेश (electric charge) आ जाता है। यह आवेश परमाणुओं के भीतर मौजूद कणों से आता है।
- जे. जे. टॉमसन (J.J. Thomson): इन्होंने इलेक्ट्रॉन (electron) की खोज की। इलेक्ट्रॉन (e−) ऋणावेशित कण होते हैं, जिनका द्रव्यमान नगण्य (negligible mass) और आवेश -1 होता है।
- ई. गोल्डस्टीन (E. Goldstein): 1886 में, इन्होंने एक नए विकिरण की खोज की जिसे केनाल रे (Canal Rays) का नाम दिया।
- ये किरणें धनावेशित विकिरण (positively charged radiations) थीं।
- इनके द्वारा प्रोटॉन (Proton) की खोज हुई।
- प्रोटॉन (p+) का आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर, किंतु विपरीत (+1) होता है।
- प्रोटॉन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा लगभग 2000 गुणा अधिक (लगभग 1 इकाई) होता है।
- निष्कर्ष (Conclusion): ऐसा माना गया कि परमाणु प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने हैं, जो परस्पर आवेशों को संतुलित करते हैं, जिससे परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन (electrically neutral) होता है। प्रोटॉन परमाणु के भीतरी भाग में होते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉन आसानी से निकाले जा सकते हैं।
3. परमाणु की संरचना के मॉडल (Models of the Atom)
इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की खोज के बाद, वैज्ञानिकों के सामने यह चुनौती थी कि ये कण परमाणु के भीतर कैसे व्यवस्थित हैं।
3.1 टॉमसन का परमाणु मॉडल (Thomson’s Atomic Model)
- प्रस्तुतकर्ता (Proposed by): जे. जे. टॉमसन (J.J. Thomson)
- अवधारणा (Concept): यह मॉडल क्रिसमस केक या तरबूज के समान था (चित्र 4.1)।
- परमाणु एक धनावेशित गोला (positively charged sphere) होता है।
- इलेक्ट्रॉन उसमें क्रिसमस केक में सूखे मेवों या तरबूज में बीजों की तरह धँसे होते हैं।
- मुख्य बिंदु (Key Points):
- परमाणु धन आवेशित गोले का बना होता है और इलेक्ट्रॉन उसमें धँसे होते हैं।
- ऋणात्मक (negative) और धनात्मक (positive) आवेश परिमाण में समान होते हैं, इसलिए परमाणु वैद्युतीय रूप से उदासीन (electrically neutral) होते हैं।
- कमियाँ (Limitations):
- यह मॉडल परमाणु के उदासीन होने की व्याख्या तो कर सका, किंतु दूसरे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए प्रयोगों (जैसे रदरफोर्ड के प्रयोग) के परिणामों को समझा नहीं सका।
3.2 रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford’s Atomic Model)
- प्रस्तुतकर्ता (Proposed by): अरनेस्ट रदरफ़ोर्ड (Ernest Rutherford)
- प्रयोग (Experiment):अल्फ़ा कण-प्रकीर्णन प्रयोग (Alpha-particle Scattering Experiment)
- उन्होंने सोने की एक बहुत पतली पन्नी (लगभग 1000 परमाणुओं मोटी) पर तेज़ गति से चल रहे अल्फ़ा कणों (Alpha particles) को टकराया।
- अल्फ़ा कण द्विआवेशित हीलियम कण (He2+) होते हैं, जो धनावेशित और भारी (4 u) होते हैं।
- प्रेक्षण (Observations – चित्र 4.2):
- तेज़ गति से चल रहे अधिकतर अल्फ़ा कण सोने की पन्नी से सीधे निकल गए (passed straight through)।
- कुछ अल्फ़ा कण पन्नी के द्वारा बहुत छोटे कोण से विक्षेपित (deflected by small angles) हुए।
- आश्चर्यजनक रूप से, प्रत्येक 12000 कणों में से एक कण वापस आ गया (rebounded)।
- निष्कर्ष (Conclusions):
- परमाणु के भीतर का अधिकतर भाग खाली (mostly empty space) है, क्योंकि अधिकतर अल्फ़ा कण बिना विक्षेपित हुए बाहर निकल गए।
- परमाणु में धनावेशित भाग बहुत कम है, क्योंकि बहुत कम कण अपने मार्ग से विक्षेपित होते हैं।
- सोने के परमाणु का पूर्ण धनावेशित भाग और द्रव्यमान, परमाणु के भीतर बहुत कम आयतन (very small volume) में सीमित है, क्योंकि बहुत कम अल्फ़ा कण 180° पर विक्षेपित हुए।
- नाभिक की त्रिज्या परमाणु की त्रिज्या से 105 गुणा छोटी है।
- परमाणु का नाभिकीय-मॉडल के लक्षण (Features of the Nuclear Model of Atom):
- परमाणु का केंद्र धनावेशित (positively charged) होता है जिसे नाभिक (nucleus) कहा जाता है। एक परमाणु का लगभग संपूर्ण द्रव्यमान नाभिक में होता है।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वर्तुलाकार मार्ग (circular paths) में चक्कर लगाते हैं।
- नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में काफी कम होता है।
- कमियाँ (Limitations/Drawbacks):
- वर्तुलाकार मार्ग में चक्रण करते हुए इलेक्ट्रॉन का स्थायी हो पाना संभावित नहीं है। त्वरित (accelerated) आवेशित कणों से ऊर्जा का विकिरण (radiation of energy) होगा।
- इस प्रकार, स्थायी कक्ष में घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन अपनी ऊर्जा विकिरित करेगा और अंततः नाभिक से टकरा जाएगा, जिससे परमाणु अस्थिर (unstable) हो जाएगा। लेकिन परमाणु स्थायी होते हैं।
3.3 बोर का परमाण्विक मॉडल (Bohr’s Atomic Model)
- प्रस्तुतकर्ता (Proposed by): नील्स बोर (Niels Bohr)
- अवधारणाएँ (Concepts) – रदरफोर्ड की आपत्तियों को दूर करने के लिए:
- इलेक्ट्रॉन केवल कुछ निश्चित कक्षाओं (Orbits) में ही चक्कर लगा सकते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन की विविक्त कक्षा (Discrete Orbits) कहते हैं।
- जब इलेक्ट्रॉन इन विविक्त कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं, तो उनकी ऊर्जा का विकिरण नहीं (do not radiate energy) होता है।
- ऊर्जा स्तर (Energy Levels): इन कक्षाओं (या कोशों – shells) को ऊर्जा-स्तर कहते हैं (चित्र 4.3)।
- ये कक्षाएँ K, L, M, N…. या संख्याओं 1, 2, 3, 4…. के द्वारा दिखाई जाती हैं।
4. न्यूट्रॉन (Neutron)
- खोजकर्ता (Discoverer): जे. चैडविक (J. Chadwick) ने 1932 में खोजा।
- विशेषताएँ (Characteristics):
- यह एक और अवपरमाणुक कण है जो अनावेशित (no charge) होता है।
- इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के बराबर (equal to proton) होता है।
- इसे ‘n’ से दर्शाया जाता है।
- हाइड्रोजन को छोड़कर ये सभी परमाणुओं के नाभिक (nucleus) में होते हैं।
- परमाणु का द्रव्यमान (Mass of Atom): परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है।
5. विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन वितरण (Electron Distribution in Different Orbits)
परमाणुओं की विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉनों के वितरण के लिए बोर और बरी (Bohr and Bury) ने कुछ नियम प्रस्तुत किए जिसे बोर-बरी स्कीम (Bohr-Bury Scheme) के नाम से जाना जाता है।
- नियम (Rules):
- किसी कक्षा में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या को सूत्र 2n2 से दर्शाया जाता है, जहाँ ‘n’ कक्षा की संख्या या ऊर्जा स्तर है।
- K कोश (n=1): 2×12=2 इलेक्ट्रॉन
- L कोश (n=2): 2×22=8 इलेक्ट्रॉन
- M कोश (n=3): 2×32=18 इलेक्ट्रॉन
- N कोश (n=4): 2×42=32 इलेक्ट्रॉन
- सबसे बाहरी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 8 हो सकती है।
- किसी परमाणु के दिए गए कोश में इलेक्ट्रॉन तब तक स्थान नहीं लेते हैं जब तक कि उससे पहले वाले भीतरी कक्ष पूर्ण रूप से भर नहीं जाते। इससे स्पष्ट होता है कि कक्षाएँ क्रमानुसार भरती हैं।
- किसी कक्षा में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या को सूत्र 2n2 से दर्शाया जाता है, जहाँ ‘n’ कक्षा की संख्या या ऊर्जा स्तर है।
6. संयोजकता (Valency)
- संयोजकता-इलेक्ट्रॉन (Valence Electrons): किसी परमाणु की सबसे बाहरी कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को संयोजकता-इलेक्ट्रॉन कहा जाता है।
- स्थिरता (Stability): जिन तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कक्ष पूर्ण रूप से इलेक्ट्रॉनों (8) से भरे होते हैं (या हीलियम के मामले में 2), वे रासायनिक रूप से अक्रिय (inert) होते हैं। इनकी संयोजन-शक्ति या संयोजकता शून्य होती है।
- संयोजकता की परिभाषा (Definition of Valency): परमाणु अपने अंतिम कक्ष में अष्टक (octet) प्राप्त करने के लिए (या हीलियम जैसी संरचना) इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (sharing), उनको ग्रहण (gaining) करने या उनका त्याग (losing) करने से क्रिया करते हैं। परमाणु के बाह्यतम कक्ष में अष्टक बनाने के लिए जितनी संख्या में इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी या स्थानांतरण होता है, वही उस तत्व की संयोजकता होती है।
- उदाहरण (Examples):
- हाइड्रोजन, लीथियम या सोडियम (प्रत्येक के बाह्यतम कक्ष में 1 इलेक्ट्रॉन) एक इलेक्ट्रॉन का त्याग कर सकते हैं, इसलिए इनकी संयोजकता 1 है।
- मैग्नीशियम (बाह्यतम कक्ष में 2 इलेक्ट्रॉन) की संयोजकता 2 है।
- ऐलुमिनियम (बाह्यतम कक्ष में 3 इलेक्ट्रॉन) की संयोजकता 3 है।
- फ़्लोरीन (बाह्यतम कक्ष में 7 इलेक्ट्रॉन) 7 इलेक्ट्रॉनों का त्याग करने की बजाय 1 इलेक्ट्रॉन प्राप्त करना पसंद करता है, इसलिए इसकी संयोजकता 8−7=1 है।