MP Board Class 12 Physics Basic Properties of Electric Charges
1.4 वैद्युत आवेश के मूल गुण (Basic Properties of Electric Charges)
हम पहले ही जान चुके हैं कि वैद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं—धनावेश (positive charge) तथा ऋणावेश (negative charge)—और इनमें एक-दूसरे के प्रभाव को निरस्त (neutralize) करने की प्रवृत्ति होती है। अब हम वैद्युत आवेश के कुछ अन्य महत्वपूर्ण गुणों का वर्णन करेंगे।
1.4.1 बिंदु आवेश (Point Charges)
- यदि आवेशित वस्तुओं का आकार (size) उनके बीच की दूरी की तुलना में बहुत कम होता है, तो हम उन आवेशित वस्तुओं को बिंदु आवेश (Point Charges) मानते हैं।
- यह एक सरलीकृत अवधारणा है जिसमें यह मान लिया जाता है कि वस्तु का संपूर्ण आवेश आकाश में एक बिंदु पर संकेंद्रित (concentrated) है।
1.4.2 आवेशों की योज्यता (Additivity of Charges)
- आवेशों को बीजगणितीय रीति (algebraic method) से जोड़ा जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे वास्तविक संख्याओं (real numbers) को जोड़ा जाता है।
- यदि किसी निकाय (system) में n बिंदु आवेश q1,q2,q3,…,qn हैं, तो निकाय का कुल आवेश (Total charge) Q=q1+q2+q3+⋯+qn होता है।
- अदिश राशि (Scalar Quantity): आवेश द्रव्यमान (mass) की भाँति एक अदिश राशि है; इसका केवल परिमाण (magnitude) होता है, दिशा नहीं।
- चिह्न का महत्व: द्रव्यमान सदैव धनात्मक होता है, जबकि आवेश या तो धनात्मक हो सकता है अथवा ऋणात्मक। किसी निकाय के आवेश का योग करते समय उसके उपयुक्त चिह्न (sign) का उपयोग करना अनिवार्य है।
- उदाहरण: यदि किसी निकाय में किसी यादृच्छिक मात्रक (arbitrary unit) में मापे गए पाँच आवेश +1,+2,−3,+4 तथा −5 हैं, तब उसी मात्रक में निकाय का कुल आवेश Q=(+1)+(+2)+(−3)+(+4)+(−5)=−1 होगा।
1.4.3 वैद्युत आवेश का क्वांटमीकरण (Quantization of Electric Charge)
- मूल सिद्धांत: प्रायोगिक रूप से यह स्थापित किया गया है कि सभी मुक्त आवेश (free charges) परिमाण में आवेश की मूल इकाई (basic unit of charge), जिसे e द्वारा दर्शाया जाता है, के पूर्णांक गुणज (integral multiples) होते हैं।
- इस प्रकार किसी वस्तु के आवेश q को सदैव इस प्रकार दर्शाया जाता है:
q=ne यहाँ n कोई धनात्मक अथवा ऋणात्मक पूर्णांक (positive or negative integer) है। - आवेश की मूल इकाई (e): यह मूल इकाई इलेक्ट्रॉन (electron) अथवा प्रोटॉन (proton) के आवेश का परिमाण है।
- परिपाटी (convention) के अनुसार, इलेक्ट्रॉन के आवेश को ऋणात्मक मानते हैं; इसीलिए किसी इलेक्ट्रॉन पर आवेश −e तथा प्रोटॉन पर आवेश +e द्वारा व्यक्त करते हैं।
- क्वांटमीकरण की परिभाषा: वैद्युत आवेश सदैव e का पूर्णांक गुणज होता है। इस तथ्य को आवेश का क्वांटमीकरण (Quantization of Charge) कहते हैं।
- ऐतिहासिक विकास:
- आवेश के क्वांटमीकरण का सुझाव सर्वप्रथम अंग्रेज प्रयोगकर्ता फैराडे (Faraday) द्वारा खोजे गए विद्युत अपघटन (electrolysis) के प्रायोगिक नियमों से प्राप्त हुआ था।
- सन् 1912 में मिलिकन (Millikan) ने इसे वास्तव में प्रायोगिक रूप से सिद्ध (demonstrated) किया था।
- आवेश का मात्रक (Unit of Charge):
- मात्रकों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली (SI) में आवेश का मात्रक कूलॉम (Coulomb) है, जिसका प्रतीक C है।
- एक कूलॉम को विद्युत धारा (electric current) के मात्रक (ऐम्पियर) के पदों में परिभाषित किया जाता है: एक कूलॉम वह आवेश है जो किसी तार में 1 A (ऐम्पियर) धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित करता है।
- इस प्रणाली में, आवेश की मूल इकाई e का मान:
e=1.602192×10−19 C - इस प्रकार, −1 C आवेश में लगभग 6×1018 इलेक्ट्रॉन होते हैं।
- स्थिरवैद्युतिकी में इतने विशाल परिमाण के आवेशों से यदा-कदा ही सामना होता है, और इसीलिए हम इसके छोटे मात्रकों जैसे 1μC (माइक्रोकूलॉम) =10−6 C अथवा 1 mC (मिलीकूलॉम) =10−3 C का उपयोग करते हैं।
- समग्र निकाय पर आवेश (Charge on a Composite Body):
- यदि केवल इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन ही विश्व में आवेश के मूल मात्रक हैं, तो सभी प्रेक्षित आवेशों को e का पूर्णांक गुणज होना चाहिए।
- इस प्रकार, यदि किसी वस्तु में ne इलेक्ट्रॉन तथा np प्रोटॉन हैं, तो उस वस्तु पर कुल आवेश Q=np×(+e)+ne×(−e)=(np−ne)e है।
- चूँकि np तथा ne पूर्णांक हैं, इनका अंतर भी एक पूर्णांक है। अतः, किसी वस्तु पर आवेश सदैव e का पूर्णांक गुणज होता है, जिसे e के चरणों में ही घटाया अथवा बढ़ाया जा सकता है।
- स्थूल तथा सूक्ष्म स्तर पर क्वांटमीकरण (Quantization at Macroscopic and Microscopic Levels):
- स्थूल स्तर (Macroscopic Level): मूल मात्रक e का आकार बहुत छोटा होता है। स्थूल स्तर पर हम कुछ μC के आवेशों को व्यवहार में लाते हैं। इस पैमाने पर यह तथ्य दृष्टिंगोचर (visible) नहीं होता कि किसी वस्तु का आवेश e के मात्रकों में घट अथवा बढ़ सकता है। आवेश की कणिकीय (particulate) प्रकृति लुप्त हो जाती है और यह सतत (continuous) प्रतीत होता है।
- इस स्थिति की तुलना बिंदु तथा रेखा की ज्यामितीय परिकल्पनाओं से की जा सकती है। दूर से देखने पर कोई बिंदुकित रेखा हमें सतत प्रतीत होती है, परंतु वह वास्तव में सतत नहीं होती। जिस प्रकार एक-दूसरे के अत्यधिक निकट के बहुत से बिंदु हमें सतत रेखा का आभास देते हैं, उसी प्रकार एक साथ लेने पर बहुत से छोटे आवेशों का संकलन भी सतत आवेश वितरण जैसा दिखाई देता है।
- स्थूल स्तर पर हम ऐसे आवेशों से व्यवहार करते हैं जो इलेक्ट्रॉन e के आवेश की तुलना में परिमाण में अत्यधिक विशाल होते हैं। चूंकि e=1.6×10−19 C, परिमाण में 1 C आवेश में एक e के आवेश का लगभग 1019 गुना आवेश होता है। इस पैमाने पर, यह तथ्य कि किसी वस्तु में आवेश की कमी अथवा वृद्धि केवल e के मात्रकों में ही हो सकती है, इस कथन से सर्वथा भिन्न नहीं है कि आवेश सतत मान ग्रहण कर सकता है। इस प्रकार, स्थूल स्तर पर आवेश के क्वांटमीकरण का कोई व्यावहारिक महत्त्व नहीं है तथा इसकी उपेक्षा की जा सकती है।
- सूक्ष्म स्तर (Microscopic Level): सूक्ष्म स्तर पर जहाँ आवेश के परिमाण e के कुछ दशक अथवा कुछ शतक कोटि के होते हैं (अर्थात जिनकी गणना की जा सकती है), वहाँ पर आवेश विविक्त (discrete) प्रतीत होते हैं तथा आवेश के क्वांटमीकरण की उपेक्षा नहीं की जा सकती। अतः, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि किस परिमाण के आवेश की बात हो रही है।
उदाहरण 1.1 यदि किसी पिंड से एक सेकंड में 10⁹ इलेक्ट्रॉन किसी अन्य पिंड में स्थानांतरित होते हैं तो 1 C आवेश के स्थानांतरण में कितना समय लगेगा?
यदि किसी पिंड से एक सेकंड में 10⁹ इलेक्ट्रॉन स्थानांतरित होते हैं, तो 1 कूलॉम आवेश के लिए समय की गणना करें।
हल:
- 1 सेकंड में 10⁹ इलेक्ट्रॉन स्थानांतरित होते हैं।
- प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 × 10⁻¹⁹ C।
- 1 सेकंड में आवेश = 1.6 × 10⁻¹⁹ × 10⁹ = 1.6 × 10⁻¹⁰ C/s।
- 1 कूलॉम (1 C) आवेश के लिए समय = 1 / (1.6 × 10⁻¹⁰) ≈ 6.25 × 10⁹ सेकंड।
- वर्ष, माह, और दिन में रूपांतरण: 6.25 × 10⁹ सेकंड ≈ 198 वर्ष, 3 माह, और 7 दिन।
- निष्कर्ष: 1 कूलॉम आवेश संचित करने में लगभग 198 वर्ष, 3 माह, और 7 दिन लगेंगे।
तथापि, 1 घन सेंटीमीटर ताँबे में लगभग 2.5 × 10²² इलेक्ट्रॉन होते हैं।
इस तरह के प्रश्नो के लिए इस Tool का इस्तेमाल करें : आवेश स्थानांतरण Calculation Tool
उदाहरण 1.2 एक कप जल में कितनें धन तथा ऋण आवेश होते हैं?
हल:
- एक कप जल का द्रव्यमान = 250 g मानें।
- जल का अणु द्रव्यमान = 18 g।
- एक मोल जल (= 6.02 × 10²³ अणु) का द्रव्यमान = 18 g।
- एक कप जल में अणुओं की संख्या = (250 / 18) × 6.02 × 10²³।
- जल के प्रत्येक अणु में 10 इलेक्ट्रॉन और 10 प्रोटॉन होते हैं, अत: धन और ऋण आवेश परिमाण में समान होते हैं।
- आवेश का परिमाण = (250 / 18) × 6.02 × 10²³ × 10 × 1.6 × 10⁻¹⁹ C ≈ 1.34 × 10⁷ C।
इस तरह के प्रश्नो के लिए इस Tool का इस्तेमाल करें : Positive and Negative Charges Calculator in Water
