कक्षा 12 हिन्दी व्याकरण मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ MP Board Class 12 Grammar Muhaware and Lokoktiyan

MP Board Class 12 Grammar Muhaware and Lokoktiyan : हिंदी भाषा की समृद्धि और जीवंतता में मुहावरे और लोकोक्तियाँ का महत्वपूर्ण योगदान है। ये भाषा को न केवल प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि उसे संक्षिप्तता, रोचकता और गहरा अर्थ भी प्रदान करते हैं। आपके लिए एक विस्तृत आलेख जिसमें मुहावरों और लोकोक्तियों का परिचय, उनके प्रकार, महत्व, पर्याप्त उदाहरण और 20 बहुविकल्पीय प्रश्न शामिल हैं प्रस्तुत है।

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ: भाषा के अलंकार और लोक-ज्ञान के दर्पण

1. परिचय

हिंदी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ (कहावतें) ऐसे वाक्यांश और पूर्ण वाक्य होते हैं जो अपने शाब्दिक अर्थ से हटकर एक विशेष या लाक्षणिक अर्थ प्रकट करते हैं। ये हमारी बोलचाल की भाषा और साहित्य को एक अनूठी पहचान और प्रभावशीलता प्रदान करते हैं। ये लोक-जीवन के अनुभवों, परंपराओं और ज्ञान का निचोड़ होते हैं, जो सदियों से मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते रहे हैं। इन्हें समझना और इनका सही प्रयोग करना भाषा पर आपकी पकड़ को दर्शाता है।


2. मुहावरे (Idioms)

मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘अभ्यास’ या ‘बातचीत’। हिंदी में इसे ‘वाग्धारा’ भी कहते हैं।

2.1. मुहावरे की परिभाषा

ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष या लाक्षणिक अर्थ को प्रकट करता है, उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरा कभी भी पूर्ण वाक्य नहीं होता, यह वाक्य का एक अंश होता है और इसका प्रयोग क्रियापद के रूप में किया जाता है, जो लिंग, वचन और काल के अनुसार बदलता रहता है।

2.2. मुहावरे की विशेषताएँ

  1. वाक्यांश: मुहावरे एक पूर्ण वाक्य नहीं, बल्कि एक वाक्यांश होते हैं।
  2. लाक्षणिक अर्थ: ये अपने शाब्दिक अर्थ से हटकर एक विशेष या लाक्षणिक अर्थ देते हैं।
  3. परिवर्तनशील: मुहावरे का प्रयोग वाक्य के लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार बदल जाता है। इसमें क्रिया अनिवार्य होती है।
  4. स्वतंत्र प्रयोग नहीं: मुहावरे का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता, इसे किसी वाक्य के अंश के रूप में ही प्रयोग किया जाता है।
  5. भाषा को रोचकता: इनके प्रयोग से भाषा में रोचकता, सजीवता और प्रवाह आता है।
  6. संक्षिप्तता: ये बड़ी बात को संक्षिप्त रूप में कहने की क्षमता रखते हैं।

2.3. महत्वपूर्ण मुहावरे और उनके प्रयोग

यहाँ 20 सामान्य और महत्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ विस्तृत व्याख्या दी गई है:

  1. आँख का तारा
    • अर्थ: बहुत प्यारा, अत्यंत प्रिय।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी व्यक्ति के प्रति अत्यधिक स्नेह और लगाव को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। जिस प्रकार आँख का तारा (पुतली) हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और उसके बिना दृष्टि संभव नहीं, उसी प्रकार कोई व्यक्ति जब इतना प्रिय हो कि उसके बिना जीवन की कल्पना भी कठिन लगे, तब उसे ‘आँख का तारा’ कहा जाता है। यह एक गहरे भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
    • वाक्य प्रयोग: “सीमा के लिए उसका इकलौता बेटा उसकी आँख का तारा है, जिसके बिना वह एक पल भी नहीं रह सकती।”
  2. कान भरना
    • अर्थ: चुगली करना, किसी के खिलाफ भड़काना।
    • व्याख्या: इस मुहावरे का प्रयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति गलत बातें कहकर या अफवाहें फैलाकर किसी तीसरे व्यक्ति को उसके खिलाफ भड़काता है। यह नकारात्मक प्रभाव डालने और संबंधों में कड़वाहट लाने की क्रिया को दर्शाता है।
    • वाक्य प्रयोग: “रोहन ने अपने दोस्त के खिलाफ बॉस के कान भर दिए, जिससे उसे नौकरी से निकाल दिया गया।”
  3. नौ-दो ग्यारह होना
    • अर्थ: भाग जाना, गायब हो जाना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी विपरीत या खतरनाक स्थिति से बचने के लिए तुरंत वहाँ से खिसक लेने या भाग जाने की क्रिया को व्यक्त करता है। इसका प्रयोग अक्सर चोरों या संकट में फंसे व्यक्ति के संदर्भ में किया जाता है।
    • वाक्य प्रयोग: “पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।”
  4. पीठ दिखाना
    • अर्थ: भाग जाना, कायरता दिखाना, सामना न करना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी युद्ध, संघर्ष या चुनौती से डरकर पीछे हट जाने या पलायन कर जाने की स्थिति को दर्शाता है। यह वीरता के अभाव और कायरतापूर्ण व्यवहार को इंगित करता है।
    • वा वाक्य प्रयोग: “भारतीय सेना ने कभी दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई।”
  5. हाथ पाँव फूलना
    • अर्थ: घबरा जाना, डर जाना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा अचानक किसी संकट या अप्रत्याशित घटना का सामना करने पर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को दर्शाता है, जहाँ वह अत्यधिक भय या चिंता के कारण कुछ भी सोचने या करने में असमर्थ हो जाता है।
    • वाक्य प्रयोग: “शेर को सामने देखकर शिकारी के हाथ पाँव फूल गए।”
  6. घी के दिए जलाना
    • अर्थ: बहुत खुशी मनाना, अत्यधिक प्रसन्न होना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी बड़ी उपलब्धि, सफलता या शुभ घटना के अवसर पर अत्यधिक खुशी व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है। प्राचीन काल में शुभ अवसरों पर घी के दीपक जलाने की परंपरा थी, उसी से यह मुहावरा बना है।
    • वाक्य प्रयोग: “जब राम अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाए।”
  7. ईद का चाँद होना
    • अर्थ: बहुत दिनों बाद दिखाई देना, कभी-कभार ही नजर आना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो बहुत लंबे समय बाद अचानक मिलता है या जिसकी उपस्थिति बहुत दुर्लभ हो गई हो। ईद का चाँद साल में एक बार ही दिखाई देता है, उसी से इसकी तुलना की गई है।
    • वाक्य प्रयोग: “अरे मित्र! तुम तो आजकल ईद का चाँद हो गए हो, दिखाई ही नहीं देते।”
  8. अँगूठा दिखाना
    • अर्थ: साफ इंकार कर देना, मना कर देना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी काम को करने के लिए सीधे और स्पष्ट रूप से मना कर देने या सहयोग देने से इनकार करने की स्थिति को व्यक्त करता है, भले ही पहले कुछ और संकेत दिए गए हों।
    • वाक्य प्रयोग: “जब मैंने उससे मदद माँगी तो उसने अँगूठा दिखा दिया।”
  9. आँखों में धूल झोंकना
    • अर्थ: धोखा देना, भ्रमित करना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी को अपनी चालाकी या धूर्तता से बेवकूफ बनाने, गुमराह करने या सत्य को छिपाने की क्रिया को दर्शाता है, जिससे दूसरा व्यक्ति वास्तविकता को न समझ पाए।
    • वाक्य प्रयोग: “चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।”
  10. मुँह की खाना
    • अर्थ: बुरी तरह हारना, पराजित होना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी प्रतियोगिता, युद्ध या संघर्ष में अपमानजनक तरीके से हारने या विफल होने की स्थिति को दर्शाता है। यह हार में शामिल निराशा और शर्मिंदगी को व्यक्त करता है।
    • वाक्य प्रयोग: “भारतीय टीम को क्रिकेट मैच में मुँह की खानी पड़ी।”
  11. दाँतों तले उँगली दबाना
    • अर्थ: आश्चर्यचकित रह जाना, हैरान होना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी असाधारण, अप्रत्याशित या अविश्वसनीय घटना को देखकर व्यक्ति के अत्यधिक आश्चर्य और विस्मय की स्थिति को व्यक्त करता है, जहाँ वह अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित नहीं कर पाता।
    • वाक्य प्रयोग: “ताश के पत्तों से बना महल देखकर सबने दाँतों तले उँगली दबा ली।”
  12. लोहे के चने चबाना
    • अर्थ: बहुत कठिन कार्य करना, अत्यधिक परिश्रम करना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी ऐसे कार्य को करने को दर्शाता है जो अत्यंत दुष्कर, चुनौतीपूर्ण और जिसके लिए बहुत अधिक दृढ़ संकल्प, शक्ति और धैर्य की आवश्यकता होती है।
    • वाक्य प्रयोग: “कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग सीखना मेरे लिए लोहे के चने चबाने जैसा था।”
  13. एक पंथ दो काज
    • अर्थ: एक उपाय से दो काम पूरे करना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति एक ही कार्य को करने के दौरान किसी अन्य कार्य को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
    • वाक्य प्रयोग: “मैं दिल्ली गया तो अपनी मौसी से भी मिल लिया और व्यापार का काम भी निपटा लिया, इसे कहते हैं एक पंथ दो काज।”
  14. पानी-पानी होना
    • अर्थ: बहुत शर्मिंदा होना, लज्जित होना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी अपमानजनक या शर्मनाक स्थिति के कारण व्यक्ति की अत्यधिक लज्जा और ग्लानि की भावना को दर्शाता है, जहाँ उसे अपना सिर उठाने में भी शर्म महसूस होती है।
    • वाक्य प्रयोग: “जब मेरी चोरी पकड़ी गई, तो मैं सबके सामने पानी-पानी हो गया।”
  15. अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनना
    • अर्थ: अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जो बिना किसी से पूछे या आवश्यकता के स्वयं ही अपनी तारीफें करता रहता है, जिससे वह दूसरों की नजरों में अहंकारी प्रतीत होता है।
    • वाक्य प्रयोग: “अच्छे लोग कभी अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू नहीं बनते।”
  16. आँखों में खटकना
    • अर्थ: बुरा लगना, अप्रिय लगना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी व्यक्ति या वस्तु का किसी दूसरे व्यक्ति को पसंद न आना या उसे नापसंद होना दर्शाता है, जिससे उस व्यक्ति के मन में नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
    • वाक्य प्रयोग: “जबसे मैंने सच कहा है, तब से मैं उसकी आँखों में खटकने लगा हूँ।”
  17. अक्ल पर पत्थर पड़ना
    • अर्थ: बुद्धि भ्रष्ट हो जाना, कुछ समझ में न आना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति किसी विषम परिस्थिति में सही निर्णय नहीं ले पाता या उसकी सोचने-समझने की शक्ति पूरी तरह से कुंठित हो जाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “विपत्ति के समय उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए, कुछ सूझ ही नहीं रहा था।”
  18. गागर में सागर भरना
    • अर्थ: थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी रचनाकार, वक्ता या लेखक की उस विलक्षण क्षमता को दर्शाता है जिसमें वह सीमित शब्दों का प्रयोग करके भी अत्यंत गहरा, विस्तृत और महत्वपूर्ण अर्थ व्यक्त कर देता है।
    • वाक्य प्रयोग: “बिहारी के दोहे गागर में सागर भरने के समान हैं।”
  19. तिल का ताड़ बनाना
    • अर्थ: छोटी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी तुच्छ या महत्वहीन घटना या बात को अनावश्यक रूप से बहुत बड़ा और गंभीर मुद्दा बना देने की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “छोटी-मोटी बहस हुई थी, लेकिन तुमने तो उसका तिल का ताड़ बना दिया।”
  20. अंधे की लाठी
    • अर्थ: एकमात्र सहारा।
    • व्याख्या: यह मुहावरा किसी असहाय, कमजोर या साधनहीन व्यक्ति के लिए एकमात्र अवलंब या भरोसेमंद व्यक्ति/वस्तु को दर्शाता है, जिस पर उसका पूरा जीवन या अस्तित्व निर्भर करता हो।
    • वाक्य प्रयोग: “उस विधवा माँ के लिए उसका बेटा ही अंधे की लाठी था।”

3. लोकोक्तियाँ (Proverbs/Adages)

लोकोक्ति शब्द ‘लोक’ + ‘उक्ति’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘लोक में प्रचलित उक्ति’ या ‘कथन’।

3.1. लोकोक्ति की परिभाषा

ऐसा पूर्ण वाक्य जो किसी विशेष अवसर पर किसी बात के समर्थन या खंडन में कहा जाता है, तथा जो लोक-अनुभव पर आधारित होकर सार्वभौमिक सत्य या नैतिक शिक्षा देता है, उसे लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति स्वयं में एक स्वतंत्र और पूर्ण वाक्य होती है।

3.2. लोकोक्ति की विशेषताएँ

  1. पूर्ण वाक्य: लोकोक्तियाँ हमेशा एक पूर्ण वाक्य होती हैं।
  2. स्वतंत्र प्रयोग: इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है, ये किसी वाक्य पर आश्रित नहीं होतीं।
  3. अनुभव सिद्ध: ये लोक-जीवन के दीर्घकालीन अनुभव और सत्य पर आधारित होती हैं।
  4. अपरिवर्तनीय: लोकोक्तियों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता (जैसे लिंग, वचन, काल)।
  5. नैतिक शिक्षा: ये किसी न किसी प्रकार की नैतिक शिक्षा, उपदेश या सार्वभौमिक सत्य को व्यक्त करती हैं।
  6. संक्षिप्त एवं प्रभावशाली: ये अपनी बात को संक्षिप्तता और प्रभावशीलता के साथ प्रस्तुत करती हैं।

3.3. महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

यहाँ 20 सामान्य और महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ विस्तृत व्याख्या दी गई है:

  1. अंधों में काना राजा
    • अर्थ: अज्ञानियों या मूर्खों के बीच थोड़ा ज्ञानी या योग्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ माना जाता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति को दर्शाती है जहाँ अकुशल या अनपढ़ लोगों के समूह में, एक सामान्य योग्यता वाला व्यक्ति भी अपनी थोड़ी-सी जानकारी या कौशल के कारण महत्वपूर्ण बन जाता है। यह मूर्खों के बीच बुद्धिमत्ता की सापेक्षता को बताती है।
    • वाक्य प्रयोग: “हमारे गाँव में पढ़े-लिखे लोग कम हैं, इसलिए दसवी पास मोहन भी गाँव में अंधों में काना राजा बन बैठा है।”
  2. नाच न जाने आँगन टेढ़ा
    • अर्थ: अपना दोष छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना या बहाना बनाना।
    • व्याख्या: यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जो किसी कार्य में अपनी अयोग्यता या अक्षमता के कारण असफल हो जाता है, लेकिन अपनी गलती मानने के बजाय, वह उस असफलता का कारण किसी और पर थोप देता है या परिस्थितियों को दोष देता है।
    • वाक्य प्रयोग: “राजेश को खाना बनाना नहीं आता और वह कह रहा है कि तवा ही खराब है, यह तो वही बात हुई ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’।”
  3. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
    • अर्थ: समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति इस बात पर जोर देती है कि जब किसी नुकसान या गलती को सुधारने का समय निकल चुका हो, तब उस पर दुख व्यक्त करना व्यर्थ होता है। यह हमें सही समय पर निर्णय लेने और सतर्क रहने की प्रेरणा देती है।
    • वाक्य प्रयोग: “परीक्षा में फेल होने के बाद रोहन पछता रहा था, लेकिन मैंने कहा, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।”
  4. दूर के ढोल सुहावने
    • अर्थ: दूर से हर चीज अच्छी लगती है, निकट से उसकी वास्तविकता पता चलती है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति बताती है कि किसी चीज या व्यक्ति के बारे में जब हम दूर से देखते या सुनते हैं, तो वह हमें आकर्षक या आदर्श लगती है। लेकिन जब हम उसके करीब जाते हैं या उसे अनुभव करते हैं, तब उसकी कमियाँ या वास्तविकता सामने आती है।
    • वाक्य प्रयोग: “नौकरी लगने से पहले तो वह शहर बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब यहाँ की समस्याएँ देखकर लगता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं।”
  5. बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
    • अर्थ: अज्ञानी व्यक्ति किसी अच्छी या गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता।
    • व्याख्या: यह कहावत उस स्थिति में प्रयोग होती है जब कोई व्यक्ति किसी उत्तम या विशिष्ट चीज़ के महत्व, मूल्य या गुणवत्ता को समझने में असमर्थ होता है क्योंकि उसके पास उस चीज़ को समझने या परखने की क्षमता या अनुभव नहीं होता।
    • वाक्य प्रयोग: “राहुल को शास्त्रीय संगीत पसंद नहीं आता, क्योंकि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।”
  6. जिसकी लाठी उसकी भैंस
    • अर्थ: शक्ति संपन्न व्यक्ति की ही विजय होती है, बलवान का ही सब कुछ होता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति संसार की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाती है जहाँ अक्सर न्याय या अधिकार की बजाय, शारीरिक या सामाजिक शक्ति ही निर्णायक साबित होती है। जिसके पास बल होता है, उसी का वर्चस्व होता है।
    • वाक्य प्रयोग: “जमीन के मामले में तो यही सच है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस।”
  7. सौ सोनार की एक लोहार की
    • अर्थ: सौ छोटी-छोटी बातों या वारों से एक शक्तिशाली और निर्णायक वार बेहतर होता है।
    • व्याख्या: यह कहावत बताती है कि छोटे-छोटे, निरंतर प्रयासों की तुलना में, एक बड़ा, सशक्त और निर्णायक कदम या वार अधिक प्रभावी होता है। यह धैर्य और सही समय पर प्रभावी कार्रवाई के महत्व को दर्शाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “तुम्हारी सौ धमकियों से क्या होगा, मैंने तो सीधे पुलिस में शिकायत कर दी, यह तो वही बात हुई सौ सोनार की एक लोहार की।”
  8. एक अनार सौ बीमार
    • अर्थ: वस्तु कम और चाहने वाले अधिक।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस परिस्थिति को व्यक्त करती है जहाँ किसी वस्तु या अवसर की आपूर्ति बहुत कम होती है, जबकि उसे पाने के इच्छुक या आवश्यकता वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होती है। यह सीमित संसाधनों और अधिक मांग की समस्या को दर्शाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “एक ही सरकारी नौकरी निकली है और हजारों आवेदन आ गए हैं, यह तो वही बात है कि एक अनार सौ बीमार।”
  9. आगे कुआँ पीछे खाई
    • अर्थ: दोनों ओर से मुसीबत, हर तरफ संकट।
    • व्याख्या: यह मुहावरा नहीं, एक लोकोक्ति है जो ऐसी स्थिति को दर्शाती है जहाँ व्यक्ति दो मुश्किल विकल्पों के बीच फँस जाता है, और किसी भी रास्ते को चुनने पर उसे समस्या का सामना करना पड़ता है। यह एक गंभीर दुविधा की स्थिति है।
    • वाक्य प्रयोग: “बिजनेस में इतना घाटा हो गया कि अगर कर्ज लेता हूँ तो ब्याज का बोझ, और नहीं लेता तो दिवालिया, मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति है।”
  10. आम के आम गुठलियों के दाम
    • अर्थ: दोहरा लाभ होना, किसी कार्य से दो फायदे होना।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति को व्यक्त करती है जहाँ व्यक्ति किसी एक काम को करके या किसी एक वस्तु से न केवल प्राथमिक लाभ प्राप्त करता है, बल्कि उससे जुड़े किसी अन्य पहलू से भी लाभ उठाता है। यह अधिकतम उपयोगिता और लाभ की स्थिति है।
    • वाक्य प्रयोग: “मैंने यात्रा के दौरान अपने मित्र से भी मुलाकात कर ली और नए व्यापारिक संबंध भी बना लिए, इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम।”
  11. खोदा पहाड़ निकली चुहिया
    • अर्थ: बहुत अधिक परिश्रम करने पर भी बहुत कम या नगण्य लाभ होना।
    • व्याख्या: यह कहावत उस स्थिति का वर्णन करती है जहाँ किसी कार्य में बहुत बड़ी तैयारी, ऊर्जा और मेहनत लगाई जाती है, लेकिन परिणाम में कुछ भी खास या अपेक्षित हासिल नहीं होता, बल्कि परिणाम बहुत छोटा या निराशाजनक होता है।
    • वाक्य प्रयोग: “चुनाव के लिए इतनी रैली और प्रचार किया, लेकिन मिले केवल दो वोट, यह तो वही बात हुई कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।”
  12. पानी में रहकर मगर से बैर
    • अर्थ: शक्तिशाली व्यक्ति के अधीन रहकर उससे शत्रुता मोल लेना।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस मूर्खतापूर्ण व्यवहार को दर्शाती है जहाँ कोई व्यक्ति अपने प्रभावशाली या ताकतवर संरक्षक या माहौल के खिलाफ जाता है, जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि वह उन्हीं के बल पर या उन्हीं के क्षेत्र में रह रहा है।
    • वाक्य प्रयोग: “बॉस के खिलाफ शिकायत करके तुमने तो पानी में रहकर मगर से बैर ले लिया।”
  13. मान न मान, मैं तेरा मेहमान
    • अर्थ: जबरदस्ती किसी के यहाँ मेहमान बन जाना या अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करना।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जो बिना आमंत्रण के या अवांछित रूप से किसी दूसरे के जीवन या स्थान में प्रवेश कर जाता है और अपनी उपस्थिति को थोपने का प्रयास करता है।
    • वाक्य प्रयोग: “वह बिना बुलाए पार्टी में आ गया और खाने लगा, यह तो वही बात हुई कि मान न मान, मैं तेरा मेहमान।”
  14. ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी
    • अर्थ: समस्या के मूल कारण को ही समाप्त कर देना ताकि समस्या ही न रहे।
    • व्याख्या: यह कहावत तब प्रयोग होती है जब किसी समस्या का समाधान उसके लक्षणों को दूर करने के बजाय, उस समस्या को जन्म देने वाले मूल स्रोत या कारण को ही हमेशा के लिए खत्म करके किया जाता है।
    • वाक्य प्रयोग: “पिताजी ने भाई-बहनों के झगड़े खत्म करने के लिए टीवी ही बेच दिया, ताकि ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी।”
  15. घर का भेदी लंका ढाए
    • अर्थ: आपसी फूट या भेद बताने वाला ही विनाश का कारण बनता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति बताती है कि किसी समूह, परिवार या संगठन के अंदर का व्यक्ति, यदि वह गद्दार हो जाए और अंदरूनी कमजोरियों को बाहरी शत्रुओं को बता दे, तो वह पूरे संगठन के पतन का कारण बन सकता है। यह विश्वासघात के गंभीर परिणामों को दर्शाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “कंपनी के गुप्त राज लीक होने से उसे भारी नुकसान हुआ, सच ही कहा गया है कि घर का भेदी लंका ढाए।”
  16. अधजल गगरी छलकत जाए
    • अर्थ: कम ज्ञान वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जिसके पास अधूरा या सतही ज्ञान होता है, लेकिन वह अपनी थोड़ी-सी जानकारी का प्रदर्शन अधिक करता है। यह ऐसे व्यक्ति की डींग हाँकने या अनावश्यक दिखावे की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “मोहन को हिंदी का थोड़ा-सा ज्ञान है और वह हर जगह अपनी विद्वत्ता झाड़ने लगता है, यह तो वही बात हुई अधजल गगरी छलकत जाए।”
  17. साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे
    • अर्थ: बिना किसी नुकसान के काम बन जाना, अपना काम भी हो जाए और कोई बाधा भी न आए।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति ऐसे कार्य या रणनीति का वर्णन करती है जहाँ कोई व्यक्ति अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लेता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उसे किसी प्रकार का कोई नुकसान या हानि नहीं होती। यह चतुरता और दक्षता को दर्शाती है।
    • वाक्य प्रयोग: “मैंने पुलिस को बिना नाम बताए सूचना दे दी ताकि अपराधी भी पकड़ा जाए और मेरी पहचान भी न खुले, यह तो वही हुआ कि साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे।”
  18. एक हाथ से ताली नहीं बजती
    • अर्थ: झगड़ा या विवाद हमेशा दोनों पक्षों की गलती से होता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति यह सिखाती है कि किसी भी संघर्ष, बहस या विवाद में केवल एक पक्ष दोषी नहीं होता; इसमें दोनों पक्षों की कुछ न कुछ भूमिका होती है। यह आपसी समझ और जिम्मेदारी को समझने की बात करती है।
    • वाक्य प्रयोग: “दोनों भाई एक-दूसरे पर झगड़े का दोष मढ़ रहे थे, पर मैंने समझाया कि एक हाथ से ताली नहीं बजती।”
  19. गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है
    • अर्थ: दोषी के साथ निर्दोष भी दंड पाता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति का वर्णन करती है जहाँ किसी अपराध, गलती या बुरी परिस्थिति के कारण निर्दोष व्यक्ति को भी दोषी के साथ सजा भुगतनी पड़ती है या नुकसान उठाना पड़ता है।
    • वाक्य प्रयोग: “पुलिस ने पूरी बस्ती को घेर लिया, इस कार्रवाई में अच्छे लोग भी परेशानी में पड़ गए, क्योंकि गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है।”
  20. जहाँ चाह, वहाँ राह
    • अर्थ: यदि किसी कार्य को करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई न कोई मार्ग निकल ही आता है।
    • व्याख्या: यह लोकोक्ति आशावाद और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह बताती है कि यदि व्यक्ति में किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की सच्ची लगन और इच्छा हो, तो वह चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद सफलता का मार्ग खोज ही लेता है।
    • वाक्य प्रयोग: “विकलांग होने के बावजूद उसने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, यह सिद्ध करता है कि जहाँ चाह, वहाँ राह।”

4. मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर

मुहावरे और लोकोक्तियाँ दोनों ही भाषा को सशक्त बनाते हैं, लेकिन इनकी प्रकृति और प्रयोग में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:

विशेषतामुहावरेलोकोक्तियाँ
स्वरूपवाक्यांश होते हैं, पूर्ण वाक्य नहीं।पूर्ण वाक्य होते हैं।
अर्थलाक्षणिक/विशेष अर्थ देते हैं, शाब्दिक अर्थ नहीं।अपने आप में पूर्ण अर्थ लिए होती हैं, शाब्दिक भी हो सकता है।
प्रयोगवाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होते हैं, स्वतंत्र नहीं।स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हो सकती हैं।
परिवर्तनलिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार क्रिया में परिवर्तन होता है।अपरिवर्तनीय होती हैं, इनका रूप स्थिर रहता है।
उद्देश्यभाषा को सौंदर्य, संक्षिप्तता, और रोचकता प्रदान करना।अनुभव सिद्ध सत्य या उपदेश देना, कथन की पुष्टि करना।
उत्पत्तिलोक-जीवन के प्रयोग से बनते हैं, क्रिया पर आधारित।लोक-अनुभव पर आधारित होते हैं, सार्वभौमिक सत्य दर्शाते हैं।
उदाहरण“आँख का तारा होना”, “कान भरना”“नाच न जाने आँगन टेढ़ा”, “आगे कुआँ पीछे खाई”

5. मुहावरे एवं लोकोक्तियों का महत्व

मुहावरे और लोकोक्तियाँ किसी भी भाषा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। इनका महत्व कई दृष्टियों से समझा जा सकता है:

  1. भाषा में प्रभावशीलता और सजीवता: ये भाषा को नीरस और सपाट होने से बचाते हैं। इनके प्रयोग से कथन अधिक प्रभावशाली, मर्मस्पर्शी और सजीव बन जाता है।
  2. संक्षिप्तता और सारगर्भिता: ये कम से कम शब्दों में बड़ी और गहरी बात कहने की क्षमता रखते हैं। ये गागर में सागर भरने का काम करते हैं।
  3. रोचकता और सौंदर्य: इनके प्रयोग से भाषा में विशेष प्रकार की रोचकता और सौंदर्य आ जाता है, जो पाठक या श्रोता को आकर्षित करता है।
  4. सांस्कृतिक और लोक-जीवन का दर्पण: मुहावरे और लोकोक्तियाँ किसी समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों, विश्वासों और लोक-अनुभवों को दर्शाती हैं। ये लोक-जीवन की बुद्धिमत्ता और अवलोकन का परिणाम होती हैं।
  5. संवाद को प्रभावशाली बनाना: दैनिक बातचीत में इनके प्रयोग से संवाद अधिक सशक्त और प्रभावशाली होता है। ये वक्ता की भाषा पर पकड़ को सिद्ध करते हैं।
  6. ज्ञान का संवहन: लोकोक्तियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी अनुभव-सिद्ध ज्ञान और नैतिक मूल्यों का संचार करती हैं।

6. अभ्यास प्रश्न: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1: ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष या लाक्षणिक अर्थ को प्रकट करता है, उसे क्या कहते हैं?
(अ) लोकोक्ति
(ब) वाक्य
(स) मुहावरा
(द) छंद

उत्तर: (स) मुहावरा

प्रश्न 2: ‘आँख का तारा’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?
(अ) आँखों में धूल डालना
(ब) आँखों की रोशनी
(स) बहुत प्यारा
(द) आँखों में दर्द होना

उत्तर: (स) बहुत प्यारा

प्रश्न 3: ‘कान भरना’ मुहावरे का अर्थ है:
(अ) बहरा हो जाना
(ब) कान साफ करना
(स) चुगली करना
(द) ध्यान से सुनना

उत्तर: (स) चुगली करना

प्रश्न 4: ‘नौ-दो ग्यारह होना’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?
(अ) जमा हो जाना
(ब) भाग जाना
(स) हिसाब लगाना
(द) नौ और दो को जोड़ना

उत्तर: (ब) भाग जाना

प्रश्न 5: ‘पीठ दिखाना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?
(अ) पीठ पर चोट लगना
(ब) कायरता दिखाना
(स) पीठ थपथपाना
(द) पीठ दर्द करना

उत्तर: (ब) कायरता दिखाना

प्रश्न 6: ऐसा पूर्ण वाक्य जो किसी विशेष अवसर पर किसी बात के समर्थन या खंडन में कहा जाता है, और लोक-अनुभव पर आधारित होता है, उसे क्या कहते हैं?
(अ) मुहावरा
(ब) वाक्यांश
(स) लोकोक्ति
(द) शब्द शक्ति

उत्तर: (स) लोकोक्ति

प्रश्न 7: ‘अंधों में काना राजा’ लोकोक्ति का सही अर्थ है:
(अ) अंधों का राजा
(ब) काने राजा का राज्य
(स) अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी श्रेष्ठ
(द) राजा का अंधा होना

उत्तर: (स) अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी श्रेष्ठ

प्रश्न 8: ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ लोकोक्ति का क्या अर्थ है?
(अ) नाचना न आना
(ब) आँगन का टेढ़ा होना
(स) अपना दोष दूसरों पर मढ़ना
(द) आँगन में नाच न पाना

उत्तर: (स) अपना दोष दूसरों पर मढ़ना

प्रश्न 9: मुहावरा और लोकोक्ति में मुख्य अंतर क्या है?
(अ) मुहावरे पूर्ण वाक्य होते हैं, लोकोक्तियाँ नहीं।
(ब) लोकोक्तियाँ बदलती रहती हैं, मुहावरे नहीं।
(स) मुहावरे वाक्यांश होते हैं, लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य।
(द) लोकोक्तियों का कोई अर्थ नहीं होता।

उत्तर: (स) मुहावरे वाक्यांश होते हैं, लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य।

प्रश्न 10: ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) चिड़ियों का खेत खाना
(ब) समय पर चिड़िया भगाना
(स) समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है
(द) चिड़िया के खेत में रहने देना

उत्तर: (स) समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है

प्रश्न 11: ‘घी के दिए जलाना’ मुहावरे का अर्थ क्या है?
(अ) दिया जलाना
(ब) घी का प्रयोग करना
(स) बहुत खुशी मनाना
(द) अंधेरा दूर करना

उत्तर: (स) बहुत खुशी मनाना

प्रश्न 12: “मोहन तो आजकल दिखाई ही नहीं देता, वह तो _ हो गया है।” रिक्त स्थान के लिए सही मुहावरा चुनें।
(अ) आँख का तारा
(ब) कान का कच्चा
(स) ईद का चाँद
(द) हाथ-पाँव फूलना

उत्तर: (स) ईद का चाँद

प्रश्न 13: ‘दूर के ढोल सुहावने’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) ढोल का बजना
(ब) दूर से ढोल की आवाज अच्छी लगना
(स) दूर से हर चीज अच्छी लगना
(द) ढोल बजाना सीखना

उत्तर: (स) दूर से हर चीज अच्छी लगना

प्रश्न 14: ‘बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद’ लोकोक्ति का सही अर्थ है:
(अ) बंदरों को अदरक पसंद नहीं
(ब) अदरक का स्वाद बताना
(स) अज्ञानी व्यक्ति गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता
(द) अदरक खाना सीख लेना

उत्तर: (स) अज्ञानी व्यक्ति गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता

प्रश्न 15: मुहावरों का प्रयोग किसमें परिवर्तन के साथ होता है?
(अ) हमेशा एक ही रूप में
(ब) केवल लिंग के अनुसार
(स) लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार
(द) केवल क्रिया में परिवर्तन

उत्तर: (स) लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार

प्रश्न 16: ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का भाव क्या है?
(अ) लाठी से भैंस को हाँकना
(ब) शक्तिशाली की ही विजय होती है
(स) भैंस का मालिक लाठी रखता है
(द) लाठी और भैंस का संबंध

उत्तर: (ब) शक्तिशाली की ही विजय होती है

प्रश्न 17: ‘पानी-पानी होना’ मुहावरे का अर्थ है:
(अ) पानी पीना
(ब) पानी में डूबना
(स) बहुत शर्मिंदा होना
(द) पानी भर जाना

उत्तर: (स) बहुत शर्मिंदा होना

प्रश्न 18: ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ लोकोक्ति किस स्थिति को दर्शाती है?
(अ) पहाड़ खोदना
(ब) चुहिया का निकलना
(स) बहुत परिश्रम करने पर भी कम लाभ
(द) पहाड़ में चुहिया का घर

उत्तर: (स) बहुत परिश्रम करने पर भी कम लाभ

प्रश्न 19: मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग भाषा में क्या लाता है?
(अ) नीरसता
(ब) जटिलता
(स) रोचकता और सजीवता
(द) केवल व्याकरणिक शुद्धता

उत्तर: (स) रोचकता और सजीवता

प्रश्न 20: ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) आधी भरी गगरी का छलकना
(ब) पानी से भरी गगरी का छलकना
(स) कम ज्ञान वाला अधिक दिखावा करता है
(द) ज्ञान का छलकना

उत्तर: (स) कम ज्ञान वाला अधिक दिखावा करता है


7. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

निश्चित रूप से! हिंदी भाषा की समृद्धि और जीवंतता में मुहावरे और लोकोक्तियाँ का महत्वपूर्ण योगदान है। ये भाषा को न केवल प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि उसे संक्षिप्तता, रोचकता और गहरा अर्थ भी प्रदान करते हैं। आपके लिए एक विस्तृत आलेख, जिसमें मुहावरों और लोकोक्तियों का परिचय, उनके प्रकार, महत्व, पर्याप्त उदाहरण, 20 बहुविकल्पीय प्रश्न और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न शामिल हैं, प्रस्तुत है।

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ: भाषा के अलंकार और लोक-ज्ञान के दर्पण

  1. परिचय
    हिंदी भाषा में मुहावरे और लोकोक्तियाँ (कहावतें) ऐसे वाक्यांश और पूर्ण वाक्य होते हैं जो अपने शाब्दिक अर्थ से हटकर एक विशेष या लाक्षणिक अर्थ प्रकट करते हैं। ये हमारी बोलचाल की भाषा और साहित्य को एक अनूठी पहचान और प्रभावशीलता प्रदान करते हैं। ये लोक-जीवन के अनुभवों, परंपराओं और ज्ञान का निचोड़ होते हैं, जो सदियों से मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते रहे हैं। इन्हें समझना और इनका सही प्रयोग करना भाषा पर आपकी पकड़ को दर्शाता है।
  2. मुहावरे (Idioms)
    मुहावरा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘अभ्यास’ या ‘बातचीत’। हिंदी में इसे ‘वाग्धारा’ भी कहते हैं।

2.1. मुहावरे की परिभाषा
ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष या लाक्षणिक अर्थ को प्रकट करता है, उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरा कभी भी पूर्ण वाक्य नहीं होता, यह वाक्य का एक अंश होता है और इसका प्रयोग क्रियापद के रूप में किया जाता है, जो लिंग, वचन और काल के अनुसार बदलता रहता है।

2.2. मुहावरे की विशेषताएँ
वाक्यांश: मुहावरे एक पूर्ण वाक्य नहीं, बल्कि एक वाक्यांश होते हैं।
लाक्षणिक अर्थ: ये अपने शाब्दिक अर्थ से हटकर एक विशेष या लाक्षणिक अर्थ देते हैं।
परिवर्तनशील: मुहावरे का प्रयोग वाक्य के लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार बदल जाता है। इसमें क्रिया अनिवार्य होती है।
स्वतंत्र प्रयोग नहीं: मुहावरे का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता, इसे किसी वाक्य के अंश के रूप में ही प्रयोग किया जाता है।
भाषा को रोचकता: इनके प्रयोग से भाषा में रोचकता, सजीवता और प्रवाह आता है।
संक्षिप्तता: ये बड़ी बात को संक्षिप्त रूप में कहने की क्षमता रखते हैं।
2.3. महत्वपूर्ण मुहावरे और उनके प्रयोग
यहाँ 20 सामान्य और महत्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ विस्तृत व्याख्या दी गई है:

आँख का तारा

अर्थ: बहुत प्यारा, अत्यंत प्रिय।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी व्यक्ति के प्रति अत्यधिक स्नेह और लगाव को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है। जिस प्रकार आँख का तारा (पुतली) हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और उसके बिना दृष्टि संभव नहीं, उसी प्रकार कोई व्यक्ति जब इतना प्रिय हो कि उसके बिना जीवन की कल्पना भी कठिन लगे, तब उसे ‘आँख का तारा’ कहा जाता है। यह एक गहरे भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
वाक्य प्रयोग: “सीमा के लिए उसका इकलौता बेटा उसकी आँख का तारा है, जिसके बिना वह एक पल भी नहीं रह सकती।”
कान भरना

अर्थ: चुगली करना, किसी के खिलाफ भड़काना।
व्याख्या: इस मुहावरे का प्रयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति गलत बातें कहकर या अफवाहें फैलाकर किसी तीसरे व्यक्ति को उसके खिलाफ भड़काता है। यह नकारात्मक प्रभाव डालने और संबंधों में कड़वाहट लाने की क्रिया को दर्शाता है।
वाक्य प्रयोग: “रोहन ने अपने दोस्त के खिलाफ बॉस के कान भर दिए, जिससे उसे नौकरी से निकाल दिया गया।”
नौ-दो ग्यारह होना

अर्थ: भाग जाना, गायब हो जाना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी विपरीत या खतरनाक स्थिति से बचने के लिए तुरंत वहाँ से खिसक लेने या भाग जाने की क्रिया को व्यक्त करता है। इसका प्रयोग अक्सर चोरों या संकट में फंसे व्यक्ति के संदर्भ में किया जाता है।
वाक्य प्रयोग: “पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।”
पीठ दिखाना

अर्थ: भाग जाना, कायरता दिखाना, सामना न करना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी युद्ध, संघर्ष या चुनौती से डरकर पीछे हट जाने या पलायन कर जाने की स्थिति को दर्शाता है। यह वीरता के अभाव और कायरतापूर्ण व्यवहार को इंगित करता है।
वा वाक्य प्रयोग: “भारतीय सेना ने कभी दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई।”
हाथ पाँव फूलना

अर्थ: घबरा जाना, डर जाना।
व्याख्या: यह मुहावरा अचानक किसी संकट या अप्रत्याशित घटना का सामना करने पर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति को दर्शाता है, जहाँ वह अत्यधिक भय या चिंता के कारण कुछ भी सोचने या करने में असमर्थ हो जाता है।
वाक्य प्रयोग: “शेर को सामने देखकर शिकारी के हाथ पाँव फूल गए।”
घी के दिए जलाना

अर्थ: बहुत खुशी मनाना, अत्यधिक प्रसन्न होना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी बड़ी उपलब्धि, सफलता या शुभ घटना के अवसर पर अत्यधिक खुशी व्यक्त करने के लिए प्रयोग होता है। प्राचीन काल में शुभ अवसरों पर घी के दीपक जलाने की परंपरा थी, उसी से यह मुहावरा बना है।
वाक्य प्रयोग: “जब राम अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाए।”
ईद का चाँद होना

अर्थ: बहुत दिनों बाद दिखाई देना, कभी-कभार ही नजर आना।
व्याख्या: यह मुहावरा ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो बहुत लंबे समय बाद अचानक मिलता है या जिसकी उपस्थिति बहुत दुर्लभ हो गई हो। ईद का चाँद साल में एक बार ही दिखाई देता है, उसी से इसकी तुलना की गई है।
वाक्य प्रयोग: “अरे मित्र! तुम तो आजकल ईद का चाँद हो गए हो, दिखाई ही नहीं देते।”
अँगूठा दिखाना

अर्थ: साफ इंकार कर देना, मना कर देना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी काम को करने के लिए सीधे और स्पष्ट रूप से मना कर देने या सहयोग देने से इनकार करने की स्थिति को व्यक्त करता है, भले ही पहले कुछ और संकेत दिए गए हों।
वाक्य प्रयोग: “जब मैंने उससे मदद माँगी तो उसने अँगूठा दिखा दिया।”
आँखों में धूल झोंकना

अर्थ: धोखा देना, भ्रमित करना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी को अपनी चालाकी या धूर्तता से बेवकूफ बनाने, गुमराह करने या सत्य को छिपाने की क्रिया को दर्शाता है, जिससे दूसरा व्यक्ति वास्तविकता को न समझ पाए।
वाक्य प्रयोग: “चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।”
मुँह की खाना

अर्थ: बुरी तरह हारना, पराजित होना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी प्रतियोगिता, युद्ध या संघर्ष में अपमानजनक तरीके से हारने या विफल होने की स्थिति को दर्शाता है। यह हार में शामिल निराशा और शर्मिंदगी को व्यक्त करता है।
वाक्य प्रयोग: “भारतीय टीम को क्रिकेट मैच में मुँह की खानी पड़ी।”
दाँतों तले उँगली दबाना

अर्थ: आश्चर्यचकित रह जाना, हैरान होना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी असाधारण, अप्रत्याशित या अविश्वसनीय घटना को देखकर व्यक्ति के अत्यधिक आश्चर्य और विस्मय की स्थिति को व्यक्त करता है, जहाँ वह अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित नहीं कर पाता।
वाक्य प्रयोग: “ताश के पत्तों से बना महल देखकर सबने दाँतों तले उँगली दबा ली।”
लोहे के चने चबाना

अर्थ: बहुत कठिन कार्य करना, अत्यधिक परिश्रम करना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी ऐसे कार्य को करने को दर्शाता है जो अत्यंत दुष्कर, चुनौतीपूर्ण और जिसके लिए बहुत अधिक दृढ़ संकल्प, शक्ति और धैर्य की आवश्यकता होती है।
वाक्य प्रयोग: “कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग सीखना मेरे लिए लोहे के चने चबाने जैसा था।”
एक पंथ दो काज

अर्थ: एक उपाय से दो काम पूरे करना।
व्याख्या: यह मुहावरा तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति एक ही कार्य को करने के दौरान किसी अन्य कार्य को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लेता है, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
वाक्य प्रयोग: “मैं दिल्ली गया तो अपनी मौसी से भी मिल लिया और व्यापार का काम भी निपटा लिया, इसे कहते हैं एक पंथ दो काज।”
पानी-पानी होना

अर्थ: बहुत शर्मिंदा होना, लज्जित होना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी अपमानजनक या शर्मनाक स्थिति के कारण व्यक्ति की अत्यधिक लज्जा और ग्लानि की भावना को दर्शाता है, जहाँ उसे अपना सिर उठाने में भी शर्म महसूस होती है।
वाक्य प्रयोग: “जब मेरी चोरी पकड़ी गई, तो मैं सबके सामने पानी-पानी हो गया।”
अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बनना

अर्थ: अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
व्याख्या: यह मुहावरा ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जो बिना किसी से पूछे या आवश्यकता के स्वयं ही अपनी तारीफें करता रहता है, जिससे वह दूसरों की नजरों में अहंकारी प्रतीत होता है।
वाक्य प्रयोग: “अच्छे लोग कभी अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू नहीं बनते।”
आँखों में खटकना

अर्थ: बुरा लगना, अप्रिय लगना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी व्यक्ति या वस्तु का किसी दूसरे व्यक्ति को पसंद न आना या उसे नापसंद होना दर्शाता है, जिससे उस व्यक्ति के मन में नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
वाक्य प्रयोग: “जबसे मैंने सच कहा है, तब से मैं उसकी आँखों में खटकने लगा हूँ।”
अक्ल पर पत्थर पड़ना

अर्थ: बुद्धि भ्रष्ट हो जाना, कुछ समझ में न आना।
व्याख्या: यह मुहावरा तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति किसी विषम परिस्थिति में सही निर्णय नहीं ले पाता या उसकी सोचने-समझने की शक्ति पूरी तरह से कुंठित हो जाती है।
वाक्य प्रयोग: “विपत्ति के समय उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए, कुछ सूझ ही नहीं रहा था।”
गागर में सागर भरना

अर्थ: थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी रचनाकार, वक्ता या लेखक की उस विलक्षण क्षमता को दर्शाता है जिसमें वह सीमित शब्दों का प्रयोग करके भी अत्यंत गहरा, विस्तृत और महत्वपूर्ण अर्थ व्यक्त कर देता है।
वाक्य प्रयोग: “बिहारी के दोहे गागर में सागर भरने के समान हैं।”
तिल का ताड़ बनाना

अर्थ: छोटी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी तुच्छ या महत्वहीन घटना या बात को अनावश्यक रूप से बहुत बड़ा और गंभीर मुद्दा बना देने की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है।
वाक्य प्रयोग: “छोटी-मोटी बहस हुई थी, लेकिन तुमने तो उसका तिल का ताड़ बना दिया।”
अंधे की लाठी

अर्थ: एकमात्र सहारा।
व्याख्या: यह मुहावरा किसी असहाय, कमजोर या साधनहीन व्यक्ति के लिए एकमात्र अवलंब या भरोसेमंद व्यक्ति/वस्तु को दर्शाता है, जिस पर उसका पूरा जीवन या अस्तित्व निर्भर करता हो।
वाक्य प्रयोग: “उस विधवा माँ के लिए उसका बेटा ही अंधे की लाठी था।”

  1. लोकोक्तियाँ (Proverbs/Adages)
    लोकोक्ति शब्द ‘लोक’ + ‘उक्ति’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘लोक में प्रचलित उक्ति’ या ‘कथन’।

3.1. लोकोक्ति की परिभाषा
ऐसा पूर्ण वाक्य जो किसी विशेष अवसर पर किसी बात के समर्थन या खंडन में कहा जाता है, तथा जो लोक-अनुभव पर आधारित होकर सार्वभौमिक सत्य या नैतिक शिक्षा देता है, उसे लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति स्वयं में एक स्वतंत्र और पूर्ण वाक्य होती है।

3.2. लोकोक्ति की विशेषताएँ
पूर्ण वाक्य: लोकोक्तियाँ हमेशा एक पूर्ण वाक्य होती हैं।
स्वतंत्र प्रयोग: इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है, ये किसी वाक्य पर आश्रित नहीं होतीं।
अनुभव सिद्ध: ये लोक-जीवन के दीर्घकालीन अनुभव और सत्य पर आधारित होती हैं।
अपरिवर्तनीय: लोकोक्तियों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता (जैसे लिंग, वचन, काल)।
नैतिक शिक्षा: ये किसी न किसी प्रकार की नैतिक शिक्षा, उपदेश या सार्वभौमिक सत्य को व्यक्त करती हैं।
संक्षिप्त एवं प्रभावशाली: ये अपनी बात को संक्षिप्तता और प्रभावशीलता के साथ प्रस्तुत करती हैं।
3.3. महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग
यहाँ 20 सामान्य और महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग के साथ विस्तृत व्याख्या दी गई है:

अंधों में काना राजा

अर्थ: अज्ञानियों या मूर्खों के बीच थोड़ा ज्ञानी या योग्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ माना जाता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति को दर्शाती है जहाँ अकुशल या अनपढ़ लोगों के समूह में, एक सामान्य योग्यता वाला व्यक्ति भी अपनी थोड़ी-सी जानकारी या कौशल के कारण महत्वपूर्ण बन जाता है। यह मूर्खों के बीच बुद्धिमत्ता की सापेक्षता को बताती है।
वाक्य प्रयोग: “हमारे गाँव में पढ़े-लिखे लोग कम हैं, इसलिए दसवी पास मोहन भी गाँव में अंधों में काना राजा बन बैठा है।”
नाच न जाने आँगन टेढ़ा

अर्थ: अपना दोष छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना या बहाना बनाना।
व्याख्या: यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जो किसी कार्य में अपनी अयोग्यता या अक्षमता के कारण असफल हो जाता है, लेकिन अपनी गलती मानने के बजाय, वह उस असफलता का कारण किसी और पर थोप देता है या परिस्थितियों को दोष देता है।
वाक्य प्रयोग: “राजेश को खाना बनाना नहीं आता और वह कह रहा है कि तवा ही खराब है, यह तो वही बात हुई ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’।”
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत

अर्थ: समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता।
व्याख्या: यह लोकोक्ति इस बात पर जोर देती है कि जब किसी नुकसान या गलती को सुधारने का समय निकल चुका हो, तब उस पर दुख व्यक्त करना व्यर्थ होता है। यह हमें सही समय पर निर्णय लेने और सतर्क रहने की प्रेरणा देती है।
वाक्य प्रयोग: “परीक्षा में फेल होने के बाद रोहन पछता रहा था, लेकिन मैंने कहा, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।”
दूर के ढोल सुहावने

अर्थ: दूर से हर चीज अच्छी लगती है, निकट से उसकी वास्तविकता पता चलती है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति बताती है कि किसी चीज या व्यक्ति के बारे में जब हम दूर से देखते या सुनते हैं, तो वह हमें आकर्षक या आदर्श लगती है। लेकिन जब हम उसके करीब जाते हैं या उसे अनुभव करते हैं, तब उसकी कमियाँ या वास्तविकता सामने आती है।
वाक्य प्रयोग: “नौकरी लगने से पहले तो वह शहर बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब यहाँ की समस्याएँ देखकर लगता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं।”
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद

अर्थ: अज्ञानी व्यक्ति किसी अच्छी या गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता।
व्याख्या: यह कहावत उस स्थिति में प्रयोग होती है जब कोई व्यक्ति किसी उत्तम या विशिष्ट चीज़ के महत्व, मूल्य या गुणवत्ता को समझने में असमर्थ होता है क्योंकि उसके पास उस चीज़ को समझने या परखने की क्षमता या अनुभव नहीं होता।
वाक्य प्रयोग: “राहुल को शास्त्रीय संगीत पसंद नहीं आता, क्योंकि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।”
जिसकी लाठी उसकी भैंस

अर्थ: शक्ति संपन्न व्यक्ति की ही विजय होती है, बलवान का ही सब कुछ होता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति संसार की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाती है जहाँ अक्सर न्याय या अधिकार की बजाय, शारीरिक या सामाजिक शक्ति ही निर्णायक साबित होती है। जिसके पास बल होता है, उसी का वर्चस्व होता है।
वाक्य प्रयोग: “जमीन के मामले में तो यही सच है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस।”
सौ सोनार की एक लोहार की

अर्थ: सौ छोटी-छोटी बातों या वारों से एक शक्तिशाली और निर्णायक वार बेहतर होता है।
व्याख्या: यह कहावत बताती है कि छोटे-छोटे, निरंतर प्रयासों की तुलना में, एक बड़ा, सशक्त और निर्णायक कदम या वार अधिक प्रभावी होता है। यह धैर्य और सही समय पर प्रभावी कार्रवाई के महत्व को दर्शाती है।
वाक्य प्रयोग: “तुम्हारी सौ धमकियों से क्या होगा, मैंने तो सीधे पुलिस में शिकायत कर दी, यह तो वही बात हुई सौ सोनार की एक लोहार की।”
एक अनार सौ बीमार

अर्थ: वस्तु कम और चाहने वाले अधिक।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस परिस्थिति को व्यक्त करती है जहाँ किसी वस्तु या अवसर की आपूर्ति बहुत कम होती है, जबकि उसे पाने के इच्छुक या आवश्यकता वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होती है। यह सीमित संसाधनों और अधिक मांग की समस्या को दर्शाती है।
वाक्य प्रयोग: “एक ही सरकारी नौकरी निकली है और हजारों आवेदन आ गए हैं, यह तो वही बात है कि एक अनार सौ बीमार।”
आगे कुआँ पीछे खाई

अर्थ: दोनों ओर से मुसीबत, हर तरफ संकट।
व्याख्या: यह मुहावरा नहीं, एक लोकोक्ति है जो ऐसी स्थिति को दर्शाती है जहाँ व्यक्ति दो मुश्किल विकल्पों के बीच फँस जाता है, और किसी भी रास्ते को चुनने पर उसे समस्या का सामना करना पड़ता है। यह एक गंभीर दुविधा की स्थिति है।
वाक्य प्रयोग: “बिजनेस में इतना घाटा हो गया कि अगर कर्ज लेता हूँ तो ब्याज का बोझ, और नहीं लेता तो दिवालिया, मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति है।”
आम के आम गुठलियों के दाम

अर्थ: दोहरा लाभ होना, किसी कार्य से दो फायदे होना।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति को व्यक्त करती है जहाँ व्यक्ति किसी एक काम को करके या किसी एक वस्तु से न केवल प्राथमिक लाभ प्राप्त करता है, बल्कि उससे जुड़े किसी अन्य पहलू से भी लाभ उठाता है। यह अधिकतम उपयोगिता और लाभ की स्थिति है।
वाक्य प्रयोग: “मैंने यात्रा के दौरान अपने मित्र से भी मुलाकात कर ली और नए व्यापारिक संबंध भी बना लिए, इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम।”
खोदा पहाड़ निकली चुहिया

अर्थ: बहुत अधिक परिश्रम करने पर भी बहुत कम या नगण्य लाभ होना।
व्याख्या: यह कहावत उस स्थिति का वर्णन करती है जहाँ किसी कार्य में बहुत बड़ी तैयारी, ऊर्जा और मेहनत लगाई जाती है, लेकिन परिणाम में कुछ भी खास या अपेक्षित हासिल नहीं होता, बल्कि परिणाम बहुत छोटा या निराशाजनक होता है।
वाक्य प्रयोग: “चुनाव के लिए इतनी रैली और प्रचार किया, लेकिन मिले केवल दो वोट, यह तो वही बात हुई कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।”
पानी में रहकर मगर से बैर

अर्थ: शक्तिशाली व्यक्ति के अधीन रहकर उससे शत्रुता मोल लेना।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस मूर्खतापूर्ण व्यवहार को दर्शाती है जहाँ कोई व्यक्ति अपने प्रभावशाली या ताकतवर संरक्षक या माहौल के खिलाफ जाता है, जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि वह उन्हीं के बल पर या उन्हीं के क्षेत्र में रह रहा है।
वाक्य प्रयोग: “बॉस के खिलाफ शिकायत करके तुमने तो पानी में रहकर मगर से बैर ले लिया।”
मान न मान, मैं तेरा मेहमान

अर्थ: जबरदस्ती किसी के यहाँ मेहमान बन जाना या अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करना।
व्याख्या: यह लोकोक्ति ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जो बिना आमंत्रण के या अवांछित रूप से किसी दूसरे के जीवन या स्थान में प्रवेश कर जाता है और अपनी उपस्थिति को थोपने का प्रयास करता है।
वाक्य प्रयोग: “वह बिना बुलाए पार्टी में आ गया और खाने लगा, यह तो वही बात हुई कि मान न मान, मैं तेरा मेहमान।”
ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी

अर्थ: समस्या के मूल कारण को ही समाप्त कर देना ताकि समस्या ही न रहे।
व्याख्या: यह कहावत तब प्रयोग होती है जब किसी समस्या का समाधान उसके लक्षणों को दूर करने के बजाय, उस समस्या को जन्म देने वाले मूल स्रोत या कारण को ही हमेशा के लिए खत्म करके किया जाता है।
वाक्य प्रयोग: “पिताजी ने भाई-बहनों के झगड़े खत्म करने के लिए टीवी ही बेच दिया, ताकि ना रहेगा बाँस, ना बजेगी बाँसुरी।”
घर का भेदी लंका ढाए

अर्थ: आपसी फूट या भेद बताने वाला ही विनाश का कारण बनता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति बताती है कि किसी समूह, परिवार या संगठन के अंदर का व्यक्ति, यदि वह गद्दार हो जाए और अंदरूनी कमजोरियों को बाहरी शत्रुओं को बता दे, तो वह पूरे संगठन के पतन का कारण बन सकता है। यह विश्वासघात के गंभीर परिणामों को दर्शाती है।
वाक्य प्रयोग: “कंपनी के गुप्त राज लीक होने से उसे भारी नुकसान हुआ, सच ही कहा गया है कि घर का भेदी लंका ढाए।”
अधजल गगरी छलकत जाए

अर्थ: कम ज्ञान वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस व्यक्ति के लिए प्रयोग होती है जिसके पास अधूरा या सतही ज्ञान होता है, लेकिन वह अपनी थोड़ी-सी जानकारी का प्रदर्शन अधिक करता है। यह ऐसे व्यक्ति की डींग हाँकने या अनावश्यक दिखावे की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
वाक्य प्रयोग: “मोहन को हिंदी का थोड़ा-सा ज्ञान है और वह हर जगह अपनी विद्वत्ता झाड़ने लगता है, यह तो वही बात हुई अधजल गगरी छलकत जाए।”
साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे

अर्थ: बिना किसी नुकसान के काम बन जाना, अपना काम भी हो जाए और कोई बाधा भी न आए।
व्याख्या: यह लोकोक्ति ऐसे कार्य या रणनीति का वर्णन करती है जहाँ कोई व्यक्ति अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लेता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उसे किसी प्रकार का कोई नुकसान या हानि नहीं होती। यह चतुरता और दक्षता को दर्शाती है।
वाक्य प्रयोग: “मैंने पुलिस को बिना नाम बताए सूचना दे दी ताकि अपराधी भी पकड़ा जाए और मेरी पहचान भी न खुले, यह तो वही हुआ कि साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे।”
एक हाथ से ताली नहीं बजती

अर्थ: झगड़ा या विवाद हमेशा दोनों पक्षों की गलती से होता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति यह सिखाती है कि किसी भी संघर्ष, बहस या विवाद में केवल एक पक्ष दोषी नहीं होता; इसमें दोनों पक्षों की कुछ न कुछ भूमिका होती है। यह आपसी समझ और जिम्मेदारी को समझने की बात करती है।
वाक्य प्रयोग: “दोनों भाई एक-दूसरे पर झगड़े का दोष मढ़ रहे थे, पर मैंने समझाया कि एक हाथ से ताली नहीं बजती।”
गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है

अर्थ: दोषी के साथ निर्दोष भी दंड पाता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति उस स्थिति का वर्णन करती है जहाँ किसी अपराध, गलती या बुरी परिस्थिति के कारण निर्दोष व्यक्ति को भी दोषी के साथ सजा भुगतनी पड़ती है या नुकसान उठाना पड़ता है।
वाक्य प्रयोग: “पुलिस ने पूरी बस्ती को घेर लिया, इस कार्रवाई में अच्छे लोग भी परेशानी में पड़ गए, क्योंकि गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है।”
जहाँ चाह, वहाँ राह

अर्थ: यदि किसी कार्य को करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई न कोई मार्ग निकल ही आता है।
व्याख्या: यह लोकोक्ति आशावाद और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह बताती है कि यदि व्यक्ति में किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की सच्ची लगन और इच्छा हो, तो वह चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद सफलता का मार्ग खोज ही लेता है।
वाक्य प्रयोग: “विकलांग होने के बावजूद उसने ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता, यह सिद्ध करता है कि जहाँ चाह, वहाँ राह।”

  1. मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर
    मुहावरे और लोकोक्तियाँ दोनों ही भाषा को सशक्त बनाते हैं, लेकिन इनकी प्रकृति और प्रयोग में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:

विशेषता मुहावरे लोकोक्तियाँ
स्वरूप वाक्यांश होते हैं, पूर्ण वाक्य नहीं। पूर्ण वाक्य होते हैं।
अर्थ लाक्षणिक/विशेष अर्थ देते हैं, शाब्दिक अर्थ नहीं। अपने आप में पूर्ण अर्थ लिए होती हैं, शाब्दिक भी हो सकता है।
प्रयोग वाक्य के अंग के रूप में प्रयुक्त होते हैं, स्वतंत्र नहीं। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हो सकती हैं।
परिवर्तन लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार क्रिया में परिवर्तन होता है। अपरिवर्तनीय होती हैं, इनका रूप स्थिर रहता है।
उद्देश्य भाषा को सौंदर्य, संक्षिप्तता, और रोचकता प्रदान करना। अनुभव सिद्ध सत्य या उपदेश देना, कथन की पुष्टि करना।
उत्पत्ति लोक-जीवन के प्रयोग से बनते हैं, क्रिया पर आधारित। लोक-अनुभव पर आधारित होते हैं, सार्वभौमिक सत्य दर्शाते हैं।
उदाहरण “आँख का तारा होना”, “कान भरना” “नाच न जाने आँगन टेढ़ा”, “आगे कुआँ पीछे खाई”

Export to Sheets

  1. मुहावरे एवं लोकोक्तियों का महत्व
    मुहावरे और लोकोक्तियाँ किसी भी भाषा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। इनका महत्व कई दृष्टियों से समझा जा सकता है:

भाषा में प्रभावशीलता और सजीवता: ये भाषा को नीरस और सपाट होने से बचाते हैं। इनके प्रयोग से कथन अधिक प्रभावशाली, मर्मस्पर्शी और सजीव बन जाता है।
संक्षिप्तता और सारगर्भिता: ये कम से कम शब्दों में बड़ी और गहरी बात कहने की क्षमता रखते हैं। ये गागर में सागर भरने का काम करते हैं।
रोचकता और सौंदर्य: इनके प्रयोग से भाषा में विशेष प्रकार की रोचकता और सौंदर्य आ जाता है, जो पाठक या श्रोता को आकर्षित करता है।
सांस्कृतिक और लोक-जीवन का दर्पण: मुहावरे और लोकोक्तियाँ किसी समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों, विश्वासों और लोक-अनुभवों को दर्शाती हैं। ये लोक-जीवन की बुद्धिमत्ता और अवलोकन का परिणाम होती हैं।
संवाद को प्रभावशाली बनाना: दैनिक बातचीत में इनके प्रयोग से संवाद अधिक सशक्त और प्रभावशाली होता है। ये वक्ता की भाषा पर पकड़ को सिद्ध करते हैं।
ज्ञान का संवहन: लोकोक्तियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी अनुभव-सिद्ध ज्ञान और नैतिक मूल्यों का संचार करती हैं।

  1. अभ्यास प्रश्न: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
    यहाँ 20 बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं, जो आपकी समझ का परीक्षण करेंगे।

प्रश्न 1: ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष या लाक्षणिक अर्थ को प्रकट करता है, उसे क्या कहते हैं?
(अ) लोकोक्ति
(ब) वाक्य
(स) मुहावरा
(द) छंद

उत्तर: (स) मुहावरा

प्रश्न 2: ‘आँख का तारा’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?
(अ) आँखों में धूल डालना
(ब) आँखों की रोशनी
(स) बहुत प्यारा
(द) आँखों में दर्द होना

उत्तर: (स) बहुत प्यारा

प्रश्न 3: ‘कान भरना’ मुहावरे का अर्थ है:
(अ) बहरा हो जाना
(ब) कान साफ करना
(स) चुगली करना
(द) ध्यान से सुनना

उत्तर: (स) चुगली करना

प्रश्न 4: ‘नौ-दो ग्यारह होना’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?
(अ) जमा हो जाना
(ब) भाग जाना
(स) हिसाब लगाना
(द) नौ और दो को जोड़ना

उत्तर: (ब) भाग जाना

प्रश्न 5: ‘पीठ दिखाना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?
(अ) पीठ पर चोट लगना
(ब) कायरता दिखाना
(स) पीठ थपथपाना
(द) पीठ दर्द करना

उत्तर: (ब) कायरता दिखाना

प्रश्न 6: ऐसा पूर्ण वाक्य जो किसी विशेष अवसर पर किसी बात के समर्थन या खंडन में कहा जाता है, और लोक-अनुभव पर आधारित होता है, उसे क्या कहते हैं?
(अ) मुहावरा
(ब) वाक्यांश
(स) लोकोक्ति
(द) शब्द शक्ति

उत्तर: (स) लोकोक्ति

प्रश्न 7: ‘अंधों में काना राजा’ लोकोक्ति का सही अर्थ है:
(अ) अंधों का राजा
(ब) काने राजा का राज्य
(स) अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी श्रेष्ठ
(द) राजा का अंधा होना

उत्तर: (स) अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी श्रेष्ठ

प्रश्न 8: ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ लोकोक्ति का क्या अर्थ है?
(अ) नाचना न आना
(ब) आँगन का टेढ़ा होना
(स) अपना दोष दूसरों पर मढ़ना
(द) आँगन में नाच न पाना

उत्तर: (स) अपना दोष दूसरों पर मढ़ना

प्रश्न 9: मुहावरा और लोकोक्ति में मुख्य अंतर क्या है?
(अ) मुहावरे पूर्ण वाक्य होते हैं, लोकोक्तियाँ नहीं।
(ब) लोकोक्तियाँ बदलती रहती हैं, मुहावरे नहीं।
(स) मुहावरे वाक्यांश होते हैं, लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य।
(द) लोकोक्तियों का कोई अर्थ नहीं होता।

उत्तर: (स) मुहावरे वाक्यांश होते हैं, लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य।

प्रश्न 10: ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) चिड़ियों का खेत खाना
(ब) समय पर चिड़िया भगाना
(स) समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है
(द) चिड़िया के खेत में रहने देना

उत्तर: (स) समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है

प्रश्न 11: ‘घी के दिए जलाना’ मुहावरे का अर्थ क्या है?
(अ) दिया जलाना
(ब) घी का प्रयोग करना
(स) बहुत खुशी मनाना
(द) अंधेरा दूर करना

उत्तर: (स) बहुत खुशी मनाना

प्रश्न 12: “मोहन तो आजकल दिखाई ही नहीं देता, वह तो _ हो गया है।” रिक्त स्थान के लिए सही मुहावरा चुनें।
(अ) आँख का तारा
(ब) कान का कच्चा
(स) ईद का चाँद
(द) हाथ-पाँव फूलना

उत्तर: (स) ईद का चाँद

प्रश्न 13: ‘दूर के ढोल सुहावने’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) ढोल का बजना
(ब) दूर से ढोल की आवाज अच्छी लगना
(स) दूर से हर चीज अच्छी लगना
(द) ढोल बजाना सीखना

उत्तर: (स) दूर से हर चीज अच्छी लगना

प्रश्न 14: ‘बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद’ लोकोक्ति का सही अर्थ है:
(अ) बंदरों को अदरक पसंद नहीं
(ब) अदरक का स्वाद बताना
(स) अज्ञानी व्यक्ति गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता
(द) अदरक खाना सीख लेना

उत्तर: (स) अज्ञानी व्यक्ति गुणी वस्तु का महत्व नहीं समझता

प्रश्न 15: मुहावरों का प्रयोग किसमें परिवर्तन के साथ होता है?
(अ) हमेशा एक ही रूप में
(ब) केवल लिंग के अनुसार
(स) लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार
(द) केवल क्रिया में परिवर्तन

उत्तर: (स) लिंग, वचन, काल और पुरुष के अनुसार

प्रश्न 16: ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ लोकोक्ति का भाव क्या है?
(अ) लाठी से भैंस को हाँकना
(ब) शक्तिशाली की ही विजय होती है
(स) भैंस का मालिक लाठी रखता है
(द) लाठी और भैंस का संबंध

उत्तर: (ब) शक्तिशाली की ही विजय होती है

प्रश्न 17: ‘पानी-पानी होना’ मुहावरे का अर्थ है:
(अ) पानी पीना
(ब) पानी में डूबना
(स) बहुत शर्मिंदा होना
(द) पानी भर जाना

उत्तर: (स) बहुत शर्मिंदा होना

प्रश्न 18: ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ लोकोक्ति किस स्थिति को दर्शाती है?
(अ) पहाड़ खोदना
(ब) चुहिया का निकलना
(स) बहुत परिश्रम करने पर भी कम लाभ
(द) पहाड़ में चुहिया का घर

उत्तर: (स) बहुत परिश्रम करने पर भी कम लाभ

प्रश्न 19: मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग भाषा में क्या लाता है?
(अ) नीरसता
(ब) जटिलता
(स) रोचकता और सजीवता
(द) केवल व्याकरणिक शुद्धता

उत्तर: (स) रोचकता और सजीवता

प्रश्न 20: ‘अधजल गगरी छलकत जाए’ लोकोक्ति का अर्थ है:
(अ) आधी भरी गगरी का छलकना
(ब) पानी से भरी गगरी का छलकना
(स) कम ज्ञान वाला अधिक दिखावा करता है
(द) ज्ञान का छलकना

उत्तर: (स) कम ज्ञान वाला अधिक दिखावा करता है

7.अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


    प्र1: मुहावरे और लोकोक्तियों को आसानी से कैसे याद करें?
    उ1: मुहावरे और लोकोक्तियों को याद करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उन्हें रटने के बजाय उनके पीछे छिपे भाव और संदर्भ को समझें। उनके शाब्दिक अर्थ पर ध्यान न दें, बल्कि उनके लाक्षणिक अर्थ को कहानियों, घटनाओं या दैनिक जीवन के अनुभवों से जोड़कर देखें। अपने वाक्यों में उनका बार-बार प्रयोग करें, इससे वे आपकी स्मृति में स्थायी हो जाएँगे। समूह में दोस्तों के साथ उनका प्रयोग करके अभ्यास करना भी बहुत प्रभावी होता है।

      प्र2: क्या मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग आपस में एक-दूसरे की जगह किया जा सकता है?
      उ2: नहीं, मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग एक-दूसरे की जगह नहीं किया जा सकता, क्योंकि उनकी प्रकृति और व्याकरणिक संरचना भिन्न होती है। मुहावरे वाक्यांश होते हैं और वाक्य के अंश के रूप में क्रिया के अनुसार बदलते हैं, जबकि लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य होती हैं और स्वतंत्र रूप से प्रयोग की जाती हैं तथा अपरिवर्तनीय होती हैं। इनके प्रयोग में यह अंतर समझना बहुत आवश्यक है।

      प्र3: क्या मुहावरे और लोकोक्तियाँ केवल औपचारिक भाषा में प्रयोग होते हैं?
      उ3: नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मुहावरे और लोकोक्तियाँ औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की भाषा में प्रयोग होते हैं। ये हमारी बोलचाल की भाषा को स्वाभाविक और प्रभावी बनाते हैं, वहीं साहित्य, निबंध लेखन, भाषण और समाचार लेखन जैसी औपचारिक विधाओं में भी इनका प्रयोग भाषा को सशक्त, संक्षिप्त और आकर्षक बनाता है। ये लेखक या वक्ता की भाषा पर पकड़ को दर्शाते हैं।

      प्र4: क्या मुहावरे और लोकोक्तियाँ समय के साथ बदलती हैं?
      उ4: लोकोक्तियाँ, जो लोक-अनुभवों पर आधारित होती हैं, आमतौर पर बहुत कम बदलती हैं क्योंकि वे सार्वभौमिक सत्यों और स्थायी अनुभवों को व्यक्त करती हैं। मुहावरे भी काफी हद तक स्थिर होते हैं, लेकिन कभी-कभी नए मुहावरे समाज में प्रचलित होते रहते हैं जो समकालीन संदर्भों या नई घटनाओं से संबंधित होते हैं। हालाँकि, उनके मूल अर्थ और संरचना में आमतौर पर बदलाव नहीं होता।

      प्र5: वाक्य में मुहावरे या लोकोक्ति को कैसे पहचानें?
      उ5: मुहावरों को पहचानने का एक आसान तरीका है कि वे अक्सर क्रिया के साथ समाप्त होते हैं और वाक्य के एक अंग के रूप में प्रयुक्त होते हुए अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर विशेष अर्थ देते हैं (जैसे ‘आँख का तारा होना’)। लोकोक्तियाँ एक पूर्ण और स्वतंत्र वाक्य होती हैं, जो एक कहावत या उपदेश की तरह प्रतीत होती हैं और किसी स्थिति का पूरा निचोड़ प्रस्तुत करती हैं (जैसे ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’)। मुहावरा क्रिया के अनुसार बदलता है, जबकि लोकोक्ति का रूप अपरिवर्तनीय होता है।

      प्र6: परीक्षाओं में मुहावरे और लोकोक्तियों का क्या महत्व है?
      उ6: परीक्षाओं में मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाषा ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। इनके प्रश्न अक्सर अर्थ बताने, वाक्य प्रयोग करने, या दिए गए वाक्य में मुहावरे/लोकोक्ति को पहचानकर उनका अर्थ स्पष्ट करने के रूप में आते हैं। सही प्रयोग और अर्थ की समझ आपको अच्छे अंक दिलाती है और आपकी भाषा शैली को उच्च स्तर का दर्शाती है।

      8. निष्कर्ष

      मुहावरे और लोकोक्तियाँ केवल व्याकरण के नियम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी भाषा की आत्मा हैं। ये सदियों के मानवीय अनुभव, अवलोकन और बुद्धिमत्ता का सार हैं। इनके प्रयोग से हमारी बात में गहराई, संक्षिप्तता और प्रभावशालीता आती है। ये भाषा को मात्र सूचना का माध्यम न बनाकर, उसे एक कलात्मक और सजीव रूप प्रदान करते हैं। हिंदी भाषा पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने और प्रभावी संचार करने के लिए मुहावरों और लोकोक्तियों का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।

      Leave a Comment