मिट्टी में पोषक तत्वों के स्रोत
11th Crop Production Sources of Nutrients in the Soil
11th Crop Production Sources of Nutrients in the Soil : पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व विभिन्न प्राकृतिक और मानव-जनित स्रोतों से मिट्टी में उपलब्ध होते हैं। मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इन स्रोतों को समझना महत्वपूर्ण है। मिट्टी में पोषक तत्वों के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:
1. खाद एवं जैविक खाद (Manures and Organic Manures):
गोबर की खाद (Farmyard Manure – FYM), कम्पोस्ट खाद, हरी खाद और अन्य जैविक खाद मिट्टी में पोषक तत्व जोड़ने के सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक स्रोत हैं। ये मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम सहित कई सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करते हैं। जैविक खाद मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और सूक्ष्मजीवों की गतिविधि में भी सुधार करती है।
2. मृदा संशोधन (Soil Amendments):
कुछ पदार्थ मिट्टी के गुणों को सुधारने और पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए मिलाए जाते हैं। इन्हें मृदा संशोधन कहते हैं। उदाहरण के लिए:
- जिप्सम (Gypsum): यह क्षारीय और लवणीय-क्षारीय मिट्टी में कैल्शियम और सल्फर प्रदान करता है, जिससे मिट्टी की संरचना सुधरती है और लवणीयता कम होती है।
- चूना (Lime): अम्लीय मिट्टी में कैल्शियम और मैग्नीशियम प्रदान करता है और मिट्टी के pH को बढ़ाकर अन्य पोषक तत्वों (जैसे फास्फोरस) की उपलब्धता बढ़ाता है।
3. फसल अवशेष (Crop Residues):
फसल कटाई के बाद खेत में छोड़े गए फसल अवशेष (जैसे डंठल, पत्तियाँ, जड़ें) जब मिट्टी में सड़ते हैं, तो वे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ और विभिन्न पोषक तत्व (जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम) वापस छोड़ते हैं। यह पोषक तत्व चक्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
4. वर्षा (Rains):
वर्षा जल भी कुछ पोषक तत्व मिट्टी में लाता है, हालांकि इसकी मात्रा सीमित होती है:
- नाइट्रोजन: बिजली चमकने (तड़ित) के दौरान वायुमंडलीय नाइट्रोजन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है जो वर्षा जल के साथ घुलकर मिट्टी में आती है। यह नाइट्रेट के रूप में थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन प्रदान करती है।
- सल्फर: औद्योगिक क्षेत्रों में वायुमंडल में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) भी वर्षा जल के साथ सल्फ्यूरिक एसिड के रूप में मिट्टी में आ सकती है।
5. रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers):
रासायनिक उर्वरक पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का सबसे केंद्रित स्रोत हैं। इन्हें विशेष रूप से पौधों की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया जाता है। ये आमतौर पर नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम (NPK) के मुख्य स्रोत होते हैं, लेकिन इनमें द्वितीयक और सूक्ष्म पोषक तत्व भी हो सकते हैं।
6. दलहनी फसलों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation by Leguminous Crops):
दलहनी फसलें (जैसे मटर, चना, मूंगफली) अपनी जड़ों में विशेष ग्रंथियों (नोड्यूल्स) में राइजोबियम (Rhizobium) नामक बैक्टीरिया के साथ सहजीवी संबंध बनाती हैं। ये बैक्टीरिया वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N2) को पौधों द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले अमोनिया (NH3) में परिवर्तित करते हैं, जिसे नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं। यह मिट्टी में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जोड़ने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
7. एजोटोबैक्टर (Azotobacter):
एजोटोबैक्टर मिट्टी में पाया जाने वाला एक मुक्त-जीवित (free-living) जीवाणु है जो दलहनी फसलों के बिना भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकता है। यह मिट्टी में नाइट्रोजन की उपलब्धता को बढ़ाता है और कुछ वृद्धि-नियामक पदार्थ भी उत्पन्न करता है।
8. मिट्टी की गहरी परतें (Deep Layers of the Soil):
मिट्टी की गहरी परतों में भी कुछ पोषक तत्व मौजूद हो सकते हैं जो लंबे समय से नीचे जमा हुए हैं या जो ऊपर की परतों से रिसकर नीचे चले गए हैं। कुछ पौधों की गहरी जड़ें इन पोषक तत्वों तक पहुंच सकती हैं और उन्हें ऊपरी मिट्टी में ला सकती हैं।
9. चट्टानों का अपक्षय (Weathering of Rocks):
मिट्टी का निर्माण चट्टानों के अपक्षय (टूटने) से होता है। इस प्रक्रिया के दौरान, चट्टानों में मौजूद खनिज धीरे-धीरे टूटते हैं और उनमें निहित पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और कई सूक्ष्म पोषक तत्व मिट्टी में घुलनशील रूप में उपलब्ध हो जाते हैं। यह पोषक तत्वों का एक दीर्घकालिक प्राकृतिक स्रोत है।
10. अन्य स्रोत:
- कीटनाशक और कवकनाशी (Pesticides and Fungicides): हालांकि ये सीधे पोषक तत्वों के स्रोत नहीं हैं, कुछ कीटनाशक और कवकनाशी में ऐसे तत्व (जैसे सल्फर या तांबा) हो सकते हैं जो बहुत कम मात्रा में पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, इनका प्राथमिक उद्देश्य कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करना है, न कि पोषक तत्व प्रदान करना। इनका अत्यधिक या अनुचित उपयोग मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और पोषक तत्व चक्रण पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है।
- सिंचाई जल (Irrigation Water): सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी में भी घुलनशील रूप में कुछ पोषक तत्व (जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, बाइकार्बोनेट) हो सकते हैं, खासकर यदि यह नदी, नहर या भूजल से आता हो।
ये सभी स्रोत मिलकर मिट्टी की उर्वरता को निर्धारित करते हैं और पौधों को उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। मिट्टी की उत्पादकता को बनाए रखने के लिए इन विभिन्न स्रोतों का सही ढंग से प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।